Politalks.News/UP. कांग्रेस की महासचिव और यूपी प्रभारी प्रियंका गांधी ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को प्रदेश के युवाओं के दर्द से रूबरू कराते हुए एक पत्र लिखा है. पत्र प्रदेश के बेरोजगार युवाओं को लेकर है जिसमें शिक्षक भर्ती के पात्र उम्मीदवारों को नियुक्ति देने का अनुरोध किया गया है. नियुक्त पाने के लिए ये युवा कोर्ट कचहरी के चक्कर लगाने को मजबूर हैं. पिय्रंका ने ये पत्र ऐसे समय में लिखा जब एक दिन पहले ही योगी सरकार ने प्रदेश में आगामी 6 महीने में तीन लाख लोगों को रोजगार देने का खाका तैयार करने के निर्देश दिए हैं. पिछले 5 महीनों में प्रियंका गांधी को सीएम योगी को लिखा गया ये नौवां पत्र है. अलग अलग समस्याओं को लेकर प्रियंका ने ये पत्र मुख्यमंत्री योगी को लिखे हैं.
मुख्यमंत्री योगी को लिखे पत्र में प्रियंका ने लिखा, ‘मैं बेरोजगार युवाओं से बात करने के बाद उनकी समस्याओं के बारे में आपको पत्र लिख रही हूं. युवा मजबूरी में कोर्ट-कचहरी के चक्कर काट रहे हैं. 2016 में 12460 शिक्षक भर्ती के उम्मीदवारों ने परीक्षा दी और अच्छे नंबर से पास भी हो गए लेकिन तीन साल बीतने के बाद भी इन प्रतिभाशाली युवाओं की नियुक्ति नहीं हो पाई है. इनमें से कई ऐसे भी हैं जिनका जीवन संघर्ष से भरा हुआ है. इनकी कहानी सुनकर बहुत दुख हुआ. मैं समझ नहीं पा रही कि सरकार ने इनके प्रति इतना निर्मम स्वभाव क्यों बनाया हुआ है जबकि यही यूपी की आने वाली पीढ़ी है.’
प्रियंका गांधी ने आगे कहा कि सरकार इनके प्रति पूर्ण रूप से जवाबदेह है. एक तो इन्हें नियुक्ति नहीं मिल रही, वहीं इस महामारी में उनके सामने आर्थिक संकट भी गहरा रहा है. कई अभ्यार्थी तो गहरे अवसाद में है. प्रियंका ने सीएम योगी से अनुरोध किया है कि मानवीय संवेदनाओं को देखते हुए और युवाओं का सम्मान करते हुए 24 शून्य जनपद के अभ्यार्थियों की तत्काल नियुक्ति कराने का कष्ट करें. बता दें, प्रियंका गांधी ने 2016 के 12460 शिक्षक भर्ती के अभ्यर्थियों से वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए बातचीत की थी और उनकी परेशानियां जानी थी.
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इससे पहले सीएम योगी ने शुक्रवार को समीक्षा बैठक के दौरान आगामी 6 महीनों में 3 लाख रोजगार के अवसर पैदा करने का एलान किया है. पिछले तीन चार महीनों में ही प्रियंका गांधी कोरोना संकट, कानून व्यवस्था, बेटियों की सुरक्षा जैसे तमाम मुद्दों पर सीएम योगी को पत्र लिख चुकी है. इन पत्रों में वह कभी कानून व्यवस्था को लेकर सरकार पर भड़की तो कोरोना को लेकर सुझाव दिया तो कभी प्रवासी मजदूरों की मदद की पेशकश भी की है. हालांकि सियासी गलियारों में इसे राजनीतिक पैंतरेबाजी की ही दृष्टि से देखा गया है.