पॉलिटॉक्स न्यूज/महाराष्ट्र. कांग्रेस की राष्ट्रीय प्रवक्ता रही प्रियंका चतुर्वेदी ने जब पार्टी छोड़ शिवसेना ज्वॉइन की थी, तब उन्हें खुद भी इस बात का अहसास नहीं रहा होगा कि दल बदलने का इतना फायदा उन्हें मिलेगा. करीब एक दशक कांग्रेस में बिताने के बाद मथुरा में राफेल डील पर प्रेस कॉन्फ्रेंस में पार्टी कार्यकर्ताओं द्वारा किए गए दुर्व्यवहार और फिर पार्टी द्वारा आरोपित कार्यकर्ताओं पर कार्रवाई न किए जाने से नाराज होकर पिछले साल आम चुनावों से पहले प्रियंका ने कांग्रेस छोड़ कुछ ही दिनों में शिवसेना ज्वॉइन कर ली थी. शिवसेना में शामिल होने पर पार्टी सुप्रीमो उद्धव ठाकरे ने उन्हें अपनी बहिन बताया था. उन्हें पार्टी में शामिल हुए एक साल भी पूरा नहीं हुआ और शिवसेना ने उन्हें राज्यसभा का टिकट थमा दिया. हालांकि एक गैर मराठी को टिकट देने के चलते पार्टी के कई वरिष्ठ और पूर्व सांसद नाराज हो गए हैं.
कांग्रेस में प्रियंका प्रवक्ता जैसे अहम पद पर थीं और उनका युवाओं के साथ-साथ सोशल मीडिया में खासा प्रभाव रहा है. कांग्रेस से नाराजगी की एक वजह ये भी बताई जा रही थी कि उन्होंने मुंबई नॉर्थ से लोकसभा का टिकट मांगा था लेकिन उनकी मांग ठुकरा दी गई. टिकट न मिलने से वे नाराज हो गई और प्रेस कॉन्फ्रेंस में मथुरा में हुए घटनाक्रम पर नाराज होने का बहाना बना कांग्रेस छोड़ी दी. आम चुनाव के 6 महीने बाद यहां शिवसेना की ही सरकार बन गई और खुद उद्धव ठाकरे0 मुख्यमंत्री बन गए. इससे अच्छा प्रियंका के लिए क्या हो सकता था. इस बहाने उनकी उद्दव ठाकरे से रिश्ते और प्रगाड़ हो गए. अब शिवेसना ने अपने खाते में आ रही राज्यसभा की इकलौती सीट से प्रियंका चतुर्वेदी को टिकट दिया है. यहां से उनका चुनाव पक्का है. माना यही जा रहा है कि प्रियंका को टिकट उद्धव ठाकरे के बेटे और महाराष्ट्र के पर्यटन मंत्री आदित्य ठाकरे की पहल पर दिया गया. आदित्य प्रियंका को अपनी बुआ मानते हैं.
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महाराष्ट्र से शिवसेना ने अपने खाते में आ रही इकलौती सीट से प्रियंका चतुर्वेदी के राज्यसभा भेजने पर औरंगाबाद से शिवसेना के वरिष्ठ नेता और पूर्व सांसद चंद्रकांत खैरे भड़क गये हैं. वजह ये है कि खैरे ने खुद इस सीट पर नजर गढ़ाई हुई थी और उच्च सदन जाने का अरमान दिल में पाले हुए थे. खैरे औरंगाबाद से चार बार लोकसभा सांसद रह चुके हैं लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव में उन्हें एमआईएम के इंतियाज जलील ने हराते हुए 5वीं बार सदन में जाने का सपना तोड़ दिया. ऐसे में को उम्मीद थी कि वरिष्ठ नेता होने के नाते पार्टी उनका सम्मान करते हुए उन्हें राज्यसभा भेज देगी, लेकिन प्रियंका चतुर्वेदी की उम्मीदवारी ने उनकी उम्मीदों पर पानी फेर दिया.
अब खैरे पार्टी के इस फैसले से नाराज हो गए हैं. खैरे ने गुस्से में आकर अपना फोन बंद कर दिया है और किसी से भी बात नहीं कर रहे. इससे पहले एक टीवी चैनल को इंटरव्यू देते हुए खैरे ने जूनियर ठाकरे पर निशाना साधते हुए कहा था, ‘मेरे शहर को सांसद की जरूरत थी लेकिन आदित्य साहब को पसंद नहीं आया. मैने बालासाहब और उद्धव साहब के साथ कई सालों तक काम किया. अब उनको लग रहा है कि नए लोगों को मौका दिया जाना चाहिये. अब ये महिला अच्छा काम करेगी. हिंदी, अंग्रेजी भी बोलती है. मैं श्मशान जाने तक शिव सैनिक रहूंगा. बाकी के लोग आते जाते रहते हैं. पुराने लोगों की जरूरत होती है’. शिवसेना नेता ने प्रियंका के गैर मराठी होने के बावजूद टिकट दिए जाने पर भी सवाल खड़ा किया.
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हालांकि ऐसा पहली बार नहीं है कि शिवसेना ने गैर मराठी को टिकट दिया है. प्रियंका से पहले भी शिवसेना संजय निरूपम, प्रितीश नंदी और राम जेठमलानी जैसे कई गैर मराठियों को टिकट दे चुकी है. लेकिन खैरे को साइड लाइन किया जाना उन्हें बर्दास्त नहीं हो रहा. खैर, जो भी हो टिकट मिलने के बाद प्रियंका की जमकर चांदी हो गई है. दस साल कांग्रेस में रहने के बाद भी प्रियंका को ये मुकाम हासिल नहीं हो पा रहा था क्योंकि उनकी पैठ महाराष्ट्र तक सीमित रही और पार्टी आलाकमान दिल्ली में रहते हैं. यहां शिवसेना के पार्टी आलाकमान से उनकी करीब करीब हर रोज मुलाकात होती है और ठाकरे परिवार से संबंंध भी काफी अच्छे हैं. ऐसे में प्रियंका के लिए ये किसी गोल्डन चांस से कम नहीं है.