पॉलिटॉक्स न्यूज. कोटा में कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों के बाद यूपी सरकार ने अपने राज्य के करीब 8 हजार छात्रों को वापिस लाने के लिए 252 बसें कोटा भेज दी. अब इस मुद्दे पर सियासी बवाल मचने लगा है. एक पक्ष तो इसे योगी सरकार की अहम पहल मानते हुए उनकी तारीफ कर रहा है तो वहीं बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इसे लॉकडाउन का उल्लंघन मानते हुए केंद्र से दखल देने की अपील की है. वहीं नीतीश के राज्य में भी योगी सरकार के कदम को अच्छा बताया जा रहा है और नीतीश कुमार पर भी ऐसा ही कुछ करने का दवाब डाला जा रहा है. तेजस्वी यादव इस बात को लेकर पिछले कई दिनों से नीतीश पर जमकर हमला बोल रहे हैं.
दरअसल हुआ कुछ यूं कि शिक्षा नगरी कोटा में एक छात्र के कोरोना पॉजिटिव आने के बाद हडकंप मच गया. छात्र कोटा से भरतपुर गया था और वहां वो कोरोना संक्रमण की चपेट में आ गया. बात सामने आने पर हॉस्टल के अन्य छात्रों की जांच की गई लेकिन उनमें से कोई संक्रमित नहीं पाया गया लेकिन तेजी के साथ शहर में कोरेाना के मरीज बढ़ने लगे. अब हाल-ए-बयां ये है कि अब तक वहां 92 कोरोना के मरीज सामने आ चुके हैं जिसके बाद प्रवासी छात्र और अन्य राज्यों में रह रहे उनके परिवारजन दहशत में आ गए हैं.
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इसके बाद यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ ने अपने राज्य के आठ हजार छात्रों को वापिस बुलाने के लिए 252 बसों को कोटा के लिए रवाना कर दिया. यहां से बच्चों को धीरे धीरे भेजा जा रहा है. महाराष्ट्र, राजस्थान और एमपी की सरकारें भी ऐसा करने के बारे में सोच रही हैं. इधर बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष और राजद नेता तेजस्वी यादव ने यूपी सरकार की इस पहल का स्वागत करते हुए नीतीश कुमार पर राज्य के मजदूरों और छात्रों को भी बुलाने पर जोर डालना शुरु कर दिया है. तेजस्वी पहले भी इस बात को लेकर सरकार पर हमलावर रहे हैं लेकिन योगी के इस कदम के बाद तेजस्वी के हमले बिहार की जदयू सरकार पर पहले से तीखे हो चले हैं.
तेजस्वी ने एक ट्वीट करते हुए लिखा कि राशन के अभाव में इस तनावपूर्ण माहौल में हर कोई अपने घर आना चाहता है. जब सब राज्यों की सरकारें लॉकडाउन के मध्य अपने-अपने नागरिकों के लिए विशेष बंदोबस्त कर सुरक्षित घर वापस ला रही है तो बिहार सरकार ऐसा क्यों नहीं कर सकती? आप उनकी स्क्रीनिंग और टेस्टिंग करके क्वारांटाइन कर सकते है.
राशन के अभाव में इस तनावपूर्ण माहौल में हर कोई अपने घर आना चाहता है। जब सब राज्यों की सरकारें लॉकडाउन के मध्य अपने-अपने नागरिकों के लिए विशेष बंदोबस्त कर सुरक्षित घर वापस ला रही है तो बिहार सरकार ऐसा क्यों नहीं कर सकती? आप उनकी स्क्रीनिंग और टेस्टिंग करके क्वारांटाइन कर सकते है।
— Tejashwi Yadav (@yadavtejashwi) April 17, 2020
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एक अन्य ट्वीट में तेजस्वी ने योगी आदित्यनाथ की तारीफ की लेकिन नीतीश कुमार पर निशाना साधते हुए कहा कि उप्र के मुख्यमंत्री का यह कदम सराहनीय है लेकिन बिहार का क्या करे जहां हज़ारों छात्र कोटा के ज़िलाधिकारी से विशेष अनुमति लेकर आएं लेकिन बिहार सरकार ने उन्हें बिहार सीमा पर रोक प्रदेश में नहीं घुसने दिया? विद्यार्थी हो या अप्रवासी मज़दूर बिहार सरकार ने संकट में सभी को त्याग दिया है. राजद नेता ने सरकार पर लोगों को बीच मझदार में छोड़ने का आरोप लगाया.
उप्र के मुख्यमंत्री का यह कदम सराहनीय है लेकिन बिहार का क्या करे जहाँ हज़ारों छात्र कोटा के ज़िलाधिकारी से विशेष अनुमति लेकर आएँ लेकिन बिहार सरकार ने उन्हें बिहार सीमा पर रोक प्रदेश में नहीं घुसने दिया?विद्यार्थी हो या अप्रवासी मज़दूर बिहार सरकार ने संकट में सभी को त्याग दिया है। https://t.co/5phxwrzzB2
— Tejashwi Yadav (@yadavtejashwi) April 17, 2020
इधर, बिहार सीएम नीतीश कुमार ने कोटा से छात्रों को वापिस बुलाने के योगी सरकार के फैसले पर आपत्ति जताई और यूपी सरकार के इस कदम को लॉकडाउन का उल्लंघन माना. उन्होंने इस मामले में केंद्र से दखल देने की अपील की है. नीतीश ने कहा कि कोटा में पढ़ने वाले संपन्न छात्र हैं. ये फैसला गलत है और ऐसा करके लॉकडाउन का मजाक उड़ाया जा रहा है. नीतीश पहले भी छात्र और मजदूरों को प्रदेश में बुलाने से साफ तौर पर इनकार कर चुके हैं. उन्होंने कहा कि लॉकडाउन के दौरान बाहर से किसी को बुलाना संभव नहीं. इससे फिजिकल डिस्टेंसिंग की अवहेलना होगी. उन्होंने कहा कि बिहार के छात्र जहां फंसे हैं, सरकार उन्हें वहीं सुविधाएं पहुंचाएगी. नीतीश ने छात्र व उनके अभिभावकों से धैर्य बनाए रखने को कहा है.
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बिहार सीएम ने कहा कि बिहार फाउण्डेशन के माध्यम से देश के 9 राज्यों के 12 शहरों में 50 से अधिक राहत केंद्र चलाये जा रहे हैं जहां पर लोगों को भोजन और राशन सामग्री दी जा रही है. अब तक साढ़े सात लाख से अधिक इसका लाभ उठा चुके हैं. उन्होंने सभी को जहां हैं वहीं रहने की हिदायत देते हुए कहा कि परेशान न हों, सरकार सभी लोगों को सहायता उपलब्ध कराने का पूरा प्रबंध कर रही है.
दूसरी ओर, योगी सरकार के अपने राज्य के छात्रों को वापिस बुलवाने के फैसले पर विरोधी पक्ष भी सीएम योगी की तारीफ कर रहा है. बसपा प्रमुख मायावती ने मुख्यमंत्री की तारीफ करते हुए कहा कि कोचिंग में पढ़ने वाले लगभग 7,500 युवकों को लाॅॅकडाउन से निकालने व उन्हें सुरक्षित घरो में भेजने के लिए यूपी सरकार ने, काफी बसें कोटा भेजी हैं. यह स्वागत योग्य कदम है और बसपा इसकी सराहना करती है.
1. कोचिंग पढ़ने वाले लगभग 7,500 युवकों को लाॅॅकडाउन से निकालने व उन्हें सुरक्षित घरो में भेजने के लिए यू.पी. सरकार ने, काफी बसंे कोटा, राजस्थान भेजी है। यह स्वागत योग्य कदम है। बी.एस.पी. इसकी सराहना भी करती है। 1/2
— Mayawati (@Mayawati) April 18, 2020
वहीं सपा अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा कि राजस्थान के कोटा में फंसे उप्र के विद्यार्थियों को वापस लाने की योजना का स्वागत है. हालांकि उन्होंने एक नया सवाल खड़ा करते हुए सरकार से पूछा कि अन्य राज्यों में भुखमरी के शिकार हो रहे अति निम्न आय वर्ग के गरीबों को वापस लाने की क्या योजना है? प्रदेश के तथाकथित नोडल अधिकारियों के मोबाइल मूक-मौन क्यों हैं?
राजस्थान के कोटा में फँसे उप्र के विद्यार्थियों को वापस लाने की योजना का स्वागत है लेकिन ये सवाल भी है कि अन्य राज्यों में भुखमरी के शिकार हो रहे अति निम्न आय वर्ग के गरीबों को वापस लाने की क्या योजना है और ये भी कि प्रदेश के तथाकथित नोडल अधिकारियों के मोबाइल मूक-मौन क्यों हैं ?
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) April 17, 2020
योगी सरकार के लॉकडाउन के बावजूद छात्रों को वापिस बुलाने से प्रभावित होकर राजस्थान, मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र सरकार भी ऐसा करने की तैयारी कर रही है. हो सकता है आने वाले कुछ दिनों में लॉकडाउन 2.0 खत्म होने से पहले ही गहलोत सरकार भी अन्य राज्यों में पढ़ रहे राजस्थानी छात्रों को वापिस लाने के प्रयास करें. साथ ही महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश सरकार भी इस ओर कदम उठाए.