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संसद में विधेयकों को पारित कराने के लिए मोदी सरकार जो तरीके अपना रही है, उससे विपक्षी पार्टियां असंतुष्ट हैं. विधेयकों को स्थायी समिति या प्रवर समिति के पास भेजे बगैर पारित कराने का सिलसिला शुरू हो चुका है. अब तक 11 विधेयक पारित किए जा चुके हैं. सोमवार को भी राज्यसभा में कार्य संचालन परिषद की बैठक में संसदीय कार्यमंत्री प्रहलाद जोशी ने मौजूदा सत्र में पारित कराने के लिए तीन तलाक प्रतिबंध सहित 16 विधेयक सूचीबद्ध किए. इन सभी विधेयकों को पारित करने के लिए समय सीमा तय की गई है.

विपक्षी पार्टियों के सांसद इस बात को लेकर असंतुष्ट हैं कि दोनों सदनों के पीठासीन अधिकारी उनकी बात नहीं सुनते हैं. इस समस्या को लेकर राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद के साथ विपक्षी पार्टियों के नेताओं की बैठक के बाद दोनों सदनों के पीठासीन अधिकारियों को पत्र भेजा जाएगा कि संसद में संसदीय प्रणाली के अनुरूप कार्य नहीं हो रहा है. गौरतलब है कि सरकार संसद का मौजूदा सत्र एक हफ्ता और बढ़ाने की तैयारी कर रही है.

तृणमूल कांग्रेस सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने कहा कि सरकार अगर सत्र का समय बढ़ाना चाहती है तो उसे यह तय करना चाहिए कि वह सदन में महिला आरक्षण विधेयक पेश करेगी. एक अन्य सांसद सुखेन्दु शेखर रॉय के मुताबिक लोकसभा ने मानवाधिकार संशोधन विधेयक शुक्रवार शाम राज्यसभा को भेजा था, जो सोमवार को सुबह राज्यसभा में सूचीबद्ध था और संशोधनों के लिए उन्हें पर्याप्त समय ही नहीं मिला.

राज्यसभा में माकपा के एक सदस्य ने कहा कि मौजूदा सरकार इस संसद को गुजरात विधानसभा में तब्दील करना चाहती है, जहां विपक्ष की आवाज सुने जाने की अनुमति नहीं है. रॉय ने कहा कि नियम 95 (1) के तहत सदस्यों को यह अधिकार है कि वे बहस के 24 घंटे के भीतर संशोधन प्रस्तुत कर सकते हैं. सभापति ने अनुमति नहीं दी तो तृणमूल सांसदों ने दिन भर के लिए सदन का बायकाट कर दिया.

राज्यसभा की कार्य संचालन परिषद की बैठक में संसदीय कार्यमंत्री ने सदस्यों को बताया कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के मुद्दे पर संक्षिप्त बहस के लिए 16 राजनीतिक पार्टियों ने जो नोटिस दिया है, उसके लिए प्रयाप्त समय नहीं है. राज्यसभा में तृणमूल सांसदों ने सोमवार को एक वीडियो पेश किया, जो में सोनभद्र नरसंहार में घायल पीड़ितों से अस्पताल में की गई बातचीत के आधार पर तैयार किया गया था. सभापति ने आश्वस्त किया कि वह इस मुद्दे पर गौर करेंगे. गौरतलब है कि सोनभद्र नरसंहार के मामले में कांग्रेस ने लोकसभा या राज्यसभा में बहस के लिए कोई नोटिस नहीं दिया है, जबकि प्रियंका गांधी वाड्रा सोनभद्र पहुंचकर धरने पर बैठी थीं. उन्हें उत्तर प्रदेश प्रशासन ने हिरासत में भी लिया था.

बहरहाल सरकार 16 विधेयकों को पारित कराने के लिए संसद का सत्र एक हफ्ता और बढ़ाने की तैयारी कर रही है. विपक्ष यही रणनीति बना रहा है कि सरकार की मनमानी कैसे रुके. सरकार की मंशा विपक्ष की बात सुने बगैर विधेयक पारित कराने की है. लोकसभा में सरकार के पास स्पष्ट बहुमत है, इसलिए वहां दिक्कत नहीं है, लेकिन राज्यसभा में फिलहाल भाजपा सरकार का पूर्ण बहुमत नहीं है. इसी लिए खींचतान चल रही है.

सत्रहवीं लोकसभा गठित होने के बाद इसका पहला सत्र 27 जून से शुरू हुआ था, जिसका समापन 26 जुलाई को होगा. संसद सत्र की अवधि बढ़ाने की चर्चाओं के बीच मंगलवार सुबह भाजपा संसदीय बोर्ड की बैठक हुई. उसके बाद विपक्षी नेताओं की बैठक हो रही है. लोकसभा में सोमवार को आरटीआई संशोधन विधेयक पारित हो चुका है, अब इसे राज्यसभा में लाया जाएगा. विपक्ष की मांग है कि यह सूचना का अधिकार कानून को कमजोर करने वाला विधेयक है, इसे पहले प्रवर समिति के पास भेजा जाए. विपक्ष का आरोप है कि सरकार ने समितियों का गठन नहीं किया है और वह अपने बहुमत के कारण लोकसभा में विधेयकों को पारित करवा रही है.

सामाजिक कार्यकर्ताओं ने सड़क पर आरटीआई संशोधन विधयक का विरोध शुरू कर दिया है. तृणमूल कांग्रेस सहित 10 विपक्षी पार्टियों ने राज्यसभा के सभापति को पत्र लिखकर विधेयक को प्रवर समिति के पास भेजने की मांग की है. तीन तलाक विधेयक को लेकर भी राजनीतिक पार्टियों की अलग-अलग राय है.

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