17वीं लोकसभा का पहला सत्र आज से शुरू होगा. इसमें सरकार बजट के अलावा तीन तलाक समेत कई महत्वपूर्ण विधेयकों को पारित कराने की कोशिश करेगी. 26 जुलाई को समाप्ति से पहले सत्र में कुल 30 बैठकें होंगी. पहले दो दिन प्रोटेम स्पीकर वीरेंद्र कुमार सांसदों को शपथ दिलाएंगे. 19 जून को लोकसभा अध्यक्ष का चुनाव होगा और 5 जुलाई को बजट पेश होगा.
संसद के नए सत्र से एक दिन पहले रविवार को बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में विपक्षी दलों ने सत्ता पक्ष से किसानों के हालात, सूखा, पेयजल और बेरोजगारी जैसे मुद्दों पर संसद में चर्चा की. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में सभी दलों के वरिष्ठ प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया. प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि इस बार संसद में कई नए चेहरे भी आए हैं. इन नए चेहरों के साथ नई सोच भी आनी चाहिए. मोदी ने कहा कि एक बार जनप्रतिनिधि चुन लिए जाने पर हम सभी के जनप्रतिनिधि हो जाते हैं. अब एक अच्छे माहौल में नए इंडिया की शुरुआत होनी चाहिए, यह माहौल सदन के सत्र से ही शुरू होना चाहिए.
कांग्रेस पार्टी की ओर से बैठक में शिरकत करने वाले राज्यसभा के नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद ने बैठक के बाद पत्रकारों से चर्चा में कहा कि कांग्रेस पार्टी ने अपनी तरफ से नई सरकार को बधाई दी, लेकिन साथ में ये भी कहा कि हमारे बीच विचारधारा की लड़ाई है और आगे भी रहेगी. हमने सरकार को बताया कि कुछ मुद्दे हैं, जिसकी तरफ सरकार को ध्यान देना होगा. इसमें किसानों के मुद्दे हैं, सूखा की समस्या है, पीने के पानी की बेतहाशा कमी, बेरोजगारी, प्रेस की स्वतंत्रता और स्वायत्त संस्थानों की स्वतंत्रता जैसे मुद्दे शामिल हैं. सरकार को इस पर ध्यान देना चाहिए. आजाद ने कहा कि ऐसे विधेयक जो किसानों, महिलाओं से जुड़े हैं या जो देशहित में हैं, उन्हें पारित करने में कांग्रेस विरोध नहीं करेगी.
तृणमूल कांग्रेस के सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने बैठक में महिलाओं के लिए एक तिहाई आरक्षण सुनिश्चित करने वाले महिला आरक्षण विधेयक को बिना देरी किए संसद के सत्र में पेश करने की मांग की. इसके अलावा तृणमूल सांसदों ने चुनावों की सरकारी फंडिंग एवं बैलेट पेपर से चुनाव कराने, अध्यादेश का इस्तेमाल सिर्फ आपात स्थितियों में करने और देश के संघीय ढांचे को चोट न पहुंचाने की मांग रखी. तृणमूल सांसदों ने यह भी कहा कि कम से कम 75 फीसदी विधेयक बिना जांच के पारित नहीं होने चाहिए. संसदीय कार्य मंत्री प्रहलाद जोशी ने बैठक की जानकारी देते हुए बताया कि पिछले दो साल में जिस तरह से संसद में कामकाज बाधित हुआ उसे लेकर प्रधानमंत्री ने सभी सांसदों को आत्मचिंतन करने की नसीहत देते हुए कहा ये दो साल वापस नहीं आ सकते हैं.