कर्नाटक के बागी विधायकों की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार सुबह 11 बजे से सुनवाई शुरू हुई. चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने बागी विधायकों के वकील मुकुल रोहतगी से विधायकों के इस्तीफे की तारीख पूछी, इसके अलावा उन्हें अयोग्य करार दिए जाने की तारीख भी पूछी, जिसके जवाब में मुकुल रोहतगी ने कहा कि 10 जुलाई को 10 विधायकों ने इस्तीफा दिया, वहीं सरकार के दो विधायकों का अयोग्य करार दिया जाना 11 फरवरी से लंबित है. चीफ जस्टिस ने बाकी पांच विधायकों के बारे में पूछा, जिसके जवाब में मुकुल रोहतगी ने बताया कि वे सभी भी इस्तीफा दे चुके हैं.
रोहतगी ने कहा कि अगर व्यक्ति विधायक नहीं रहना चाहता है, तो उस पर विधायक बने रहने का दबाव नहीं डाला जा सकता. विधायकों ने इस्तीफा देकर वापस जनता के बीच जाने का फैसला किया है. विधायकों को अयोग्य करार दिया जाना इस इच्छा के खिलाफ होगा. जिन विधायकों ने याचिका दायर की है, अगर उनकी मांग पूरी होती है तो कर्नाटक सरकार गिर जाएगी. विधानसभा अध्यक्ष जबरन इस्तीफा नहीं रोक सकते हैं. इसी दौरान चीफ जस्टिस ने रोहतगी से विधायकों को अयोग्य करार दिए जाने वाले नियमों के बारे में पूछा.
चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा, हम यह तय नहीं करेंगे कि विधानसभा अध्यक्ष को क्या करना चाहिए, यानी उन्हें इस्तीफा स्वीकार करना चाहिए या नहीं. हम सिर्फ यह देख सकते हैं कि क्या संवैधानिक रूप से विधानसभा अध्यक्ष पहले किस मुद्दे पर निर्णय कर सकता है. उन्होंने कहा, अदालत यह तय नहीं करेगी कि स्पीकर को क्या करना है. रोहतगी ने इस दौरान कहा कि इस्तीफे के पीछे कई मिरियाड कारण हो सकते हैं, इस पर चीफ जस्टिस ने पूछा, क्या मिलियन? उसके बाद रोहतगी ने वाक्य सुधारा.
बागी विधायकों के पक्ष में दलील पेश करते हुए रोहतगी ने केरल, गोवा, तमिलनाडु हाईकोर्ट के कुछ फैसलों का उल्लेख किया, जिसमें स्पीकर को पहले इस्तीफे पर विचार करने को कहा गया है और अयोग्यता का फैसला बाद में करने की बात कही गई है. विधायक कोई ब्यूरोक्रेट या कोई नौकरशाह नहीं है, जो कि इस्तीफा देने के लिए उन्हें कोई कारण बताना पड़े.
इस पर चीफ जस्टिस ने कहा कि अगर हम आपकी बात मानें, तो क्या हम स्पीकर को कोई आदेश दे सकते हैं? आप ही बताएं कि ऐसे में क्या आदेश हम दे सकते हैं? मुकुल रोहतगी ने इस दौरान मध्य प्रदेश, कर्नाटक और गोवा के उदाहरण भी पेश किए.
मुकुल रोहतगी की दलील के बाद विधानसभा अध्यक्ष की तरफ से अभिषेक मनु सिंघवी ने दलील पेश की. उन्होंने कहा कि जब अयोग्य होने पर सुनवाई जारी है तो विधायक इस्तीफा कैसे दे सकते हैं? इस दौरान चीफ जस्टिस ने स्पीकर के उपलब्ध नहीं होने की बात कही, तब सिंघवी ने कहा कि स्पीकर पहले ही स्पष्ट कर चुके हैं कि उनसे मुलाकात का समय नहीं मांगा गया था.
उन्होंने कहा कि अयोग्यता वाला मामला इस्तीफा देने से पहले का है. चीफ जस्टिस ने पूछा कि यदि कोई व्यक्ति आमने-सामने इस्तीफा नहीं देता है तो क्या होता है, क्या स्पीकर ने अदालत आने से पहले कुछ नहीं किया? वह लगातार यह क्यों कहते रहे कि वह तुरंत फैसला नहीं कर सकते हैं? चीफ जस्टिस ने कहा कि अगर आप इस्तीफे पर फैसला कर सकते हैं तो करिए. जब हमने पिछले साल चौबीस घंटे में विश्वासमत हासिल करने का आदेश दिया तो आपने एतराज नहीं किया क्योंकि वह आपके हक में था.
तब अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष को कुछ समय मिलना चाहिए क्योंकि उन्हें सही तर्कों के साथ इस्तीफों और अयोग्यता पर निर्णय करना है. सुप्रीम कोर्ट में भोजनावकाश के बाद बहस जारी रहेगी.