गहलोत सरकार बताए किन-किन मन्दिर माफी कृषि भूमियों को करवाया अतिक्रमण मुक्त- पूनियां

पूनियां का गहलोत सरकार पर पलटवार, कहा- वर्ष 2007 में सरकार द्वारा एक परिपत्र जारी किया गया, जिसमें मन्दिर माफी की भूमियों के संरक्षण एवं पुजारियों के अधिकारों से सम्बन्धित निर्देश दिये गये

सतीश पूनियां का गहलोत सरकार पर पलटवार
सतीश पूनियां का गहलोत सरकार पर पलटवार

Politalks.News/Rajasthan. प्रदेश में मंदिर माफी की जमीनों को अतिक्रमण मुक्त करने के मामले में भाजपा प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनियां ने गहलोत सरकार पर पलटवार करते हुए बताया कि वर्ष 2007 में सरकार द्वारा एक परिपत्र जारी किया गया, जिसमें मन्दिर माफी की भूमियों के संरक्षण एवं पुजारियों के अधिकारों से सम्बन्धित निर्देश दिये गये. पूनियां ने कहा कि 18 सितम्बर, 2018 में भाजपा सरकार ने मन्दिर माफी से सम्बन्धित प्रकरणों के बारे में मंत्री स्तरीय स्थायी समिति का गठन किया गया था. इसमें मन्दिर माफी की भूमि के समुचित उपयोग को लेकर जिला कलेक्टर तहसील स्तरीय मन्दिर प्रबन्ध समिति के मन्दिर माफी की भूमियों से सम्बन्धित रिपोर्ट राज्य स्तरीय समिति के समक्ष निस्तारण हेतु प्रस्तुत कर उनका उचित रूप से निस्तारण करने का प्रावधान किया गया था.

सतीश पूनियां ने प्रदेश सरकार से पूछा कि गहलोत सरकार बताये कि परिपत्र में निर्देशों के अनुसार कितने मन्दिरों की भूमि के विकास के लिए सम्बन्धित विभागों के नियमानुसार बिजली, पेयजल, ट्यूबवेल आदि के लिए कनैक्शन दिये गये?, फसल खराब होने की स्थिति में कितनी सहायता एवं अनुदान दिया गया?, कृषि विभाग की योजना अनुसार बीज, कृषि उपादान आदि पर कितना अनुदान दिया गया?, मन्दिर के पुजारी या पटवारी के द्वारा तहसीलदार को मन्दिर की भूमि पर अतिक्रमण होने की दशा में शिकायत कराने पर सरकार के द्वारा किन-किन मन्दिर माफी कृषि भूमियों को अतिक्रमण मुक्त करवाया गया? इन मामलों में राज्य सरकार मौन क्यों है?, प्रदेश की जनता को जवाब दें मुख्यमंत्री गहलोत.

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सतीश पूनियां ने बताया कि 12 सितम्बर, 2018 में राजस्व विभाग द्वारा जारी परिपत्र के अनुसार मन्दिर की भूमि हेतु पृथक रूप से पंजिका बनाये जाने के आदेश पूर्व में दिये गये परिपत्र के अनुसार पुजारियों के नाम दर्ज करने एवं पंजिका को पारदर्शी बनाने हेतु आॅनलाइन कम्प्यूटराइज्ड रूप में एल.आर.सी. पर जमाबंदी से लिंक किये जाने की कार्यवाही किये जाने हेतु समस्त संभागीय आयुक्त एवं समस्त जिला कलेक्टर को निर्देश जारी किये गये थे, जिसमें पुजारी को मन्दिर माफी भूमि का संरक्षक घोषित किया गया था.

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