Politalks.News/Rajasthan. बीते दिनों राजस्थान कांग्रेस में आए राजनीतिक उबाल के बाद अचानक छाई सियासी चुप्पी अभी और लंबी चलती नजर आ रही है. उसका कारण है गहलोत समर्थक नेताओं को दिए गए कारण बताओ नोटिस. हालांकि गुरुवार सुबह तक माना जा रहा था कि मंत्री शांति धारीवाल, महेश जोशी और धर्मेंद्र राठौड़ को दिए गए नोटिस की 10 दिन की मियाद आज पूरी हो रही है तो इन तीनों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई होना तय है. लेकिन इसी बीच मंत्री महेश जोशी ने आधिकारिक रूप से पुष्टि करते हुए बताया कि उन्हें आज ही यह नोटिस मिला है और अब इसका जवाब वो अगले 10 दिनों में देंगे. ऐसे में अब यह मामला अगले 10 दिन यानी 16 अक्टूबर तक तो वैसे ही लंबा चला गया है. इसके बाद 17 अक्टूबर को पार्टी अध्यक्ष का चुनाव है, तो आप मानकर चलिए यह पूरा मामला अब दीवाली के बाद ही निपटेगा.
आपको याद दिला दें कि राजस्थान कांग्रेस में बीते दिनों हुए घटनाक्रम के मामले में बीती 25 सितंबर को सीएम आवास पर होने वाली विधायक दल की बैठक के समानांतर बुलाई गई मीटिंग को लेकर पार्टी आलाकमान की तल्खी के चलते मंत्री शांति धारीवाल के सरकारी बंगले पर हुई बैठक के मामले में पार्टी प्रभारी अजय माकन और पर्यवेक्षक मल्लिकार्जुन खड़गे की रिपोर्ट के आधार पर सीएम अशोक गहलोत के करीबी संसदीय कार्य मंत्री शांति धारीवाल, मुख्य सचेतक डॉ. महेश जोशी और आरटीडीसी की चेयरमैन और मुख्यमंत्री के करीबी नेता धर्मेंद्र राठौड़ को 27 सितंबर नोटिस जारी करके 10 दिन में जवाब तलब किया गया था. इस नोटिस की मियाद और 10 दिन गुरुवार यानि आज पूरे हो चुके हैं. अब सवाल यह उठता है कि जब महेश जोशी मीडिया में पिछले 10 दिनों में कई बार यह बयान दे चुके हैं कि मुझे अभी तक कोई नोटिस नहीं मिला है, जिसे मीडिया ने भी अच्छे से प्रकाशित भी किया तो यह बात आलाकमान या उनके सलाहकारों तक कैसे नहीं पहुंची? इसी बीच महेश जोशी दिल्ली में एआईसीसी दफ्तर में बैठकर कई वरिष्ठ नेताओं से मुलाकात भी कर चुके हैं, तो क्या यह सबकुछ एक सोची समझी योजना के तहत होता नजर नहीं आ रहा है?
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बता दें, जलापूर्ति मंत्री महेश जोशी को आज जाकर नोटिस मिला है. सियासी सूत्रों की माने तो मंत्री महेश जोशी को तारिक अनवर ने आज मेल से नोटिस भेजा है. ऐसे में महेश जोशी का कहना है कि वह अब अगले 10 दिन के भीतर नोटिस का जवाब देंगे.’ अगर ऐसा है तो फिर 16 अक्टूबर को 10 दिन पुरे होंगे. वहीं कांग्रेस अध्यक्ष पद का चुनाव 17 अक्टूबर को होना है, जिसका परिणाम 19 अक्टूबर को आना है. फिर नए अध्यक्ष का चुनाव होना है और फिर आ जाएगी दीवाली, तो यह कहा जा सकता है कि अब इस पूरे सियासी कांड का पटाक्षेप दीवाली बाद ही होगा. ऐसे में सियासी जानकारों का कहना है कि जिस जिद को लेकर गहलोत समर्थक विधायक आगे बढ़े थे वो जिद पूरी होती नजर आ रही है. गहलोत समर्थक विधायक पहले से ही ये मांग कर रहे थे कि, ‘जब तक कांग्रेस अध्यक्ष पद के चुनाव नहीं हो जाते तब तक विधायक दल की बैठक न रखी जाए. यही नहीं जिन विधायकों ने मानेसर जाकर बगावत की थी उनमें से किसी को भी मुख्यमंत्री ना बनाया जाए.’
दूसरी तरफ मंत्री शांति धारीवाल ने जहां साफ़ कर दिया है कि उन्होंने आलकमान को अपना जवाब भेज दिया है लेकिन जवाब क्या भेजा है उसे सार्वजनिक नहीं कर सकता. इसके साथ ही RTDC चैयरमेन धर्मेंद्र राठौड़ ने आलाकमान को अपना जवाब भेजा है या नहीं इस पर अभी तक स्थिति साफ़ नहीं हो पाई है. सूत्रों का कहना है कि धर्मेंद्र राठौड़ ने भी धारीवाल की तर्ज पर अपना जवाब आलाकमान को भेज दिया है. ऐसे में जहां तीन में से दो नेताओं ने अपना जवाब आलाकमान को भेज दिया है तो वहीं जोशी के जवाब देने के बाद कोई एक्शन होगा इसे लेकर सियासी गुफ्तगू जारी है. इसी बीच एक सियासी तबका ये भी कह रहा है कि इस साल के अंत में होने वाले दो राज्यों के विधानसभा चुनाव के बाद ही राजस्थान में नेतृत्व परिवर्तन को लेकर फैसला किया जाएगा. क्योंकि कांग्रेस किसी भी हालत में गुजरात और हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले पार्टी में बगावत का जोखिम मौल नहीं ले सकती.
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वहीं कुछ सियासी जानकारों का तो ये भी मानना है कि आने वाले कुछ दिनों में प्रदेश में कांग्रेस सरकार गिरने के आसार बन रहे हैं. सूत्रों का कहना है कि पहले जहां बागी विधायक पायलट खेमे के अलावा किसी और को प्रदेश की कमान सौंपने की बात कह रहे थे वो आज मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के नाम पर अडिग हो गए है. विधायकों का कहना है कि अब किसी भी सूरत में अशोक गहलोत के अलावा कोई दूसरा व्यक्ति स्वीकार नहीं होगा.’ माना जा रहा है कि अगले कुछ दिनों में मल्लिकार्जुन खड़गे, दिग्विजय सिंह और अजय माकन एक बार फिर जयपुर आ रहे हैं. लेकिन ये तीनों नेता कांग्रेस अध्यक्ष चुनाव के लिए खड़गे के पक्ष में वोट डालने के लिए कांग्रेसी नेताओं से अपील करेंगे. इस दौरान अगर माहौल सही रहा तो ये नेता पार्टी विधायकों की राय लेकर ही दिल्ली जाएंगे. खैर ये तो भविष्य के गर्भ में छिपा है कि प्रदेश में नेतृत्व परिवर्तन होगा या नहीं लेकिन अगले कुछ दिन प्रदेश की सियासत के लिए काफी अहम है.