Politalks.News/Delhi. भारतीय जनता पार्टी एक ऐसी पार्टी है जो विपक्ष को घेरने का एक छोटे से छोटा मौका भी नहीं छोड़ती है. अगर मौका बड़ा है तो फिर जैसे उसे संजीवनी मिल गई हो और पूरी पार्टी की तरफ से बयानबाजी अपने चरम पर होती है. हाल ही देश की महामहिम राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने गुजरात की एक सभा को संबोधित करते हुए कहा था कि, ‘गुजरात में देश का 76 प्रतिशत नमक बनाया जाता है. यह कहा जा सकता है कि सभी देशवासी गुजरात का नमक खाते हैं.’ राष्ट्रपति के इस बयान पर अब सियासत गरमा गई है. अक्सर अपने बयानों को लेकर चर्चा में रहने वाली कांग्रेस नेता उदित राज ने इस बयान पर आपत्ति जताते हुए कहा कि, ‘द्रौपदी मुर्मू जी जैसा राष्ट्रपति किसी देश को न मिले. चमचागिरी की भी हद्द है.’ कांग्रेस नेता के इस बयान पर बीजेपी बोखला उठी और कांग्रेस को आड़े हाथ लिया. बीजेपी ने कहा कि, ‘कांग्रेस की आदिवासी विरोधी मानसिकता को दर्शाता है.’
दरअसल, बीते सोमवार को राष्ट्रपती द्रौपदी मुर्मू गुजरात दौरे पर थी. इस दौरान उन्होंने साबरमती आश्रम में महात्मा गांधी को पुष्पांजलि अर्पित की. वहीं राज्यपाल आचार्य देवव्रत द्वारा आयोजित अभिनंदन कार्यक्रम को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि ‘लोग अपने कठिन परिश्रम, समर्पण और समाज सेवा को लेकर दुनियाभर में जाने जाते हैं. गुजरात में देश का 76 प्रतिशत नमक बनाया जाता है. यह कहा जा सकता है कि सभी देशवासी गुजरात का नमक खाते हैं.’ राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के इस बयान के बाद से देश की सियासत गरमाई हुई है. हालांकि राष्ट्रपति ने कुछ गलत नहीं कहा लेकिन कांग्रेस नेता उदित राज ने महामहिम के बयान पर आपत्ति जताते हुए विवादित बयान दिया जिसके बाद से देश की सियासत गरमाई हुई है.
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कांग्रेस नेता उदित राज ने बुधवार देर रात ट्वीट करते हुए लिखा, ‘द्रौपदी मुर्मू जी जैसा राष्ट्रपति किसी देश को न मिले. चमचागिरी की भी हद्द है. कहती हैं 70% लोग गुजरात का नमक खाते हैं. खुद नमक खाकर ज़िंदगी जिएँ तो पता लगेगा.’ बस फिर क्या था बीजेपी को बैठे बिठाए कांग्रेस को घेरने का मौका मिल गया. बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा कि, ‘जिस प्रकार का शब्द उन्होंने (उदित राज) राष्ट्रपति जी के लिए प्रयोग किया है वो चिंताजनक है,ये कोई पहली बार कांग्रेस ने इस प्रकार के शब्दों का प्रयोग राष्ट्रपति जी के लिए नहीं किया है. इससे पहले अधीर रंजन चौधरी जी ने किया…वो भी हमने सुना है. ये सब कही न कही कांग्रेस की मानसिकता को दर्शाता है और ये कही न कही आदिवासी विरोधी मानसिकता को उजागर करता है. कांग्रेस को इसके लिए क्षमा मांगना चाहिए.’
वहीं संबित पात्रा के बयान पर पलटवार करते हुए उदित राज ने ट्वीट करते हुए लिखा, ‘मिस्टर पात्रा, मैंने द्रौपदी मुर्मू जी से एससी/एसटी के रूप में सवाल पूछा था जो आप नहीं कर सकते. यह हमारे बीच है. अम्बेडकर को डर था कि एससी/एसटी के नाम पर गूंगा और बधिरों का प्रतिनिधित्व किया जाएगा, यह साबित हो रहा है. जब तक मैं अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति से संबंधित मुद्दों को नहीं उठाता, तब तक भाजपा में मेरा सम्मान किया जाता था. यही नहीं उदित राज ने आगे लिखा कि, ‘द्रौपदी मुर्मू जी से कोई दुबे, तिवारी, अग्रवाल, गोयल, राजपूत मेरे जैसा सवाल करता तो पद की गरिमा गिरती. हम दलित – आदिवासी आलोचना करेगें और इनके लिए लड़ेंगे भी. हमारे प्रतिनिधि बनकर जाते हैं फिर गूंगे-बहरे बन जाते हैं. बीजेपी ने मेरा सम्मान किया,जब एससी/एसटी की बात की तो बुरा हो गया.’
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बीजेपी प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने कहा कि, ‘उदित राज पहली महिला आदिवासी राष्ट्रपति के लिए अस्वीकार्य भाषा का इस्तेमाल करते हैं. क्या कांग्रेस आदिवासी समाज के इस अपमान का समर्थन करती है?’ इस बयान के जवाब में उदित राज ने ट्वीट करते हुए लिखा कि, ‘द्रौपदी मुर्मूजी के संबंध में मेरा बयान मेरा है और इसका कांग्रेस से कोई लेना-देना नहीं है. उनकी उम्मीदवारी और अभियान आदिवासी के नाम पर था, इसका मतलब यह नहीं है कि वह अब आदिवासी नहीं हैं. मेरा दिल रोता है कि जब एससी/एसटी उच्च पद पर पहुंचते हैं, तो वे अपने समुदायों को छोड़ देते हैं और मां बन जाते हैं.’
उदित राज यही नहीं रुके उन्होंने अपने एक अन्य ट्वीट में लिखा कि, ‘द्रौपदी मुर्मू जी का राष्ट्रपती के तौर पर पूरा सम्मान है. वो दलित – आदिवासी की प्रतिनिधि भी हैं और इन्हे आधिकार है अपने हिस्से का सवाल करना. इसे राष्ट्रपती पद से न जोड़ा जाए.’ वहीं उदित राज के विवादित बयान पर कांग्रेस से भाजपा में आए जितिन प्रसाद ने कहा, ‘उदित राज जैसे नेताओं को अपनी टुच्ची राजनीति से ऊपर उठना चाहिए. उन्हें सीखना चाहिए कि कैसे राष्ट्रपति का सम्मान किया जाता है.’ वहीं भाजपा के आईटी सेल के चीफ अमित मालवीय ने कहा, ‘सोनिया गांधी जी मंड्या में हैं और मीडिया से घिरी हैं. क्या किसी ने उनसे उदित राज के बयान पर सवाल किया? उनकी चुप्पी बताती है कि उनकी सोच भी उदित राज के बयान से मिलती जुलती है.’