अधिकारियों की ज्यादा मालिश मत करो, मेरे अलावा किसी में ताकत नहीं है कि बोल ले ये बात- विजयवर्गीय

इंदौर को नंबर वन बनाया है तो जनता ने बनाया है, मेरी बात से जिन्हें बुरा लगा हो तो लग जाए मैं नहीं करता इस बात की चिंता, आप अधिकारी को श्रेय देते हो अगर अधिकारी में दम होता तो यहां के कलेक्टर जो उज्जैन गए थे उसे फर्स्ट बना पाए क्या?- कैलाश विजयवर्गीय

अधिकारीयों की तारीफ से खफा नजर आए कैलाश
अधिकारीयों की तारीफ से खफा नजर आए कैलाश

Politalks.News/MadhyaPradesh. चार दिन पूर्व स्वच्छता के मामले में मध्य प्रदेश के इंदौर का फिर डंका बज गया. केंद्र सरकार ने 1 अक्टूबर को ‘स्वच्छ सर्वेक्षण-2022’ के नतीजों की घोषणा की जिसमें इंदौर ने स्वच्छता का छक्का लगाया है. दिल्ली में इंदौर को स्वच्छता सर्वेक्षण-2022 का अवार्ड राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के हाथों मिला. इंदौर लगातार छठी बार देश का सबसे स्वच्छ शहर बना. सम्मान की घोषणा के साथ इंदौर में जश्न मनाना शुरू हो गया. ऐसे में इंदौर के लगातार छठी बार नंबर वन आने पर मीडिया में अधिकारियों की जमकर तारीफ की गई थी. लेकिन ये तारीफ भाजपा के दिग्गज नेता एवं पार्टी महासचिव कैलाश विजयवर्गीय रास नहीं आई. कैलाश विजयवर्गीय ने एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मीडिया के साथ साथ अधिकारीयों की क्लास ली. विजयवर्गीय ने कहा कि, ‘ज्यादा अधिकारियों की मालिश मत किया कीजिए, इस इंदौर को नंबर वन बनाया है तो जनता ने बनाया है.’

आपको बता दें कि गुरूवार को ब्रिलियंट कन्वेंशन सेंटर में इंदौर के स्वच्छता के मामले में नंबर वन आने पर सफाई मित्रों के लिए सम्मान समारोह का आयोजन किया गया. इस दौरान अक्सर अपने बयानों को लेकर सियासी चर्चाओं में रहने वाले बीजेपी नेता कैलाश विजयवर्गीय ने एक बार फिर अपने बयानों को सुर्ख़ियों में है. कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि, ‘कुछ बात कहना चाहता हूं, हो सकता है मेरी बात कड़वी लग जाए, लेकिन कहना जरूरी है. बीच-बीच में कड़वी बात कहते रहना चाहिए. यहां पत्रकार, अधिकारी और जनता भी है, सफाईकर्मी भी हैं. मुझसे कोई पूछे कि इंदौर की सफाई के लिए सबसे ज्यादा जवाबदार कौन है, तो वे हमारे सफाई मित्र हैं सबसे पहले. दूसरा नंबर जाता है इंदौर की जनता को क्योंकि इंदौर की जनता अनुशासित है, संस्कार वाली जनता है, संस्कारित हैं.’

यह भी पढ़े: कांग्रेस के सियासी संग्राम का पटाक्षेप अब दीवाली बाद! जोशी को नोटिस नहीं मिलना क्या है सियासी चाल?

कैलाश विजयवर्गीय ने समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि, ‘ये संस्कार हमारी पहली वाली पीढ़ी ने डाले हैं. इस कारण अगर आप इंदौर की जनता को श्रेय नहीं दोगे, तो क्या सिर्फ अधिकारियों को श्रेय दोगे तो ये बिलकुल गलत है.’ विजयवर्गीय ने एक बार फिर अपनी बात दोहराते हुए कहा कि, ‘मुझे मालूम है कि मैं बहुत कड़वी बात बोल रहा हूं. बहुत जरूरी भी है बोलना, क्योंकि मेरे अलावा किसी में ताकत भी नहीं है कि बोल ले ये बात. ज्यादा अधिकारियों की मालिश मत किया कीजिए. इस इंदौर को नंबर वन बनाया है तो जनता ने बनाया है. मेरी बात से जिन्हें बुरा लगा हो तो लग जाए मैं इस बात की चिंता नहीं करता.’ हालाँकि कुछ समय बाद उन्होंने कहा कि, ‘अगर फिर भी बुरा लगा हो तो माफी चाहता हूं. मैं इंदौर की जनता को अग्रिम शुभकामनाएं देना चाहता हूँ कि इंदौर अब सत्ता या अठ्ठा नहीं बल्कि दशक लगाएगा.’

वहीं पूर्व अधिकारी का जिक्र करते हुए कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि, ‘आप अधिकारी को श्रेय देते हो अगर अधिकारी में दम होता तो यहां के कलेक्टर जो उज्जैन गए थे उसे फर्स्ट बना पाए क्या? वे इंदौर के निगम कमिश्नर थे जिन्हें अमिताभ बच्चन ने सम्मानित किया था. इंदौर फर्स्ट है तो इंदौर की जनता के कारण है और उनका सम्मान कीजिए.’ विजयवर्गीय ने आगे कहा कि, ‘कुछ साल पहले सफाईकर्मियों के एक नेता मेरे पास आए और कहा कि आप हमारी माता व बहनों को रात में सफाई के लिए बुलाते हो. मैंने कहा जो आना चाहे वो आए. घर से गाड़ी लेने आएगी और छोड़ने जाएगी. उनकी सुरक्षा और छोड़ने की जिम्मेदारी मेरी. मैं अभिनंदन करता हूं मंत्री व महापौर से कि आपने 7 करोड़ रुपए इंदौर के लिए दिए. इसके लिए धन्यवाद, लेकिन निवेदन भी करता हूं कि यह 7 करोड़ रुपए जहां हमारे ये सफाईकर्मी रहते हैं, ये आप उनकी कॉलोनियों को अच्छा करने में लगाएं, क्योंकि ये जहां रहते हैं वो स्थान भी अच्छा होना चाहिए.’

यह भी पढ़े: जानें क्यों खुले मंच से ठाकरे ने खाई मां-बाप की कसम, कहा- असली शिवसैनिक कटप्पा को नहीं करेगा माफ

ये पहला मौका नहीं है जब कैलाश विजयवर्गीय ने अधिकारीयों को खरी खोटी सुनाई है. 1994 में कैलाश विजयवर्गीय ने इंदौर में एएसपी रहे प्रमोद फलणीकर के सामने चप्पल निकाल ली थी. हालांकि इस तस्वीर को लेकर फलणीकर की तरफ से भी प्रतिक्रिया सामने आई थी. प्रमोद फलणीकर ने कहा था कि, ‘सोशल मीडिया पर इस तस्वीर को गलत तरीके से पेश की जा रही है. अगर कोई किसी पर हमला करता है तो उस इंसान के चेहरे पर तनाव होता है. वहीं, अगर किसी पुलिस अधिकारी पर हमला होगा तो दूसरे अधिकारी शांत से खड़े नहीं रहेंगे.’

Leave a Reply