CM गहलोत की पोती बनी विधायक तो कल्ला का पोता बना मंत्री, 200 बच्चों ने चलाया विधानसभा का बाल सत्र

सीपी जोशी की पहल पर इतिहास में पहली बार हुआ बाल सत्र का आयोजन, देशभर से आए 200 बच्चों ने 2 घण्टे चलाया सदन, काश्विनी गहलोत ने दिया अहम सुझाव तो राघव कल्ला ने दादा के विभाग के मंत्री के रूप में जवाब, सवालों से ही सरकारें जवाबदेह बनेंगी- ओम बिरला, सरकार नीतियां तय करने में बच्चों की भी राय ले सरकार- सीपी जोशी

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Politalks.News/Rajasthan. राजस्थान विधानसभाध्यक्ष सीपी जोशी की पहल पर विधानसभा के इतिहास में रविवार को पहली बार बाल सत्र का आयोजन हुआ, जिसमें देशभर से आए बच्चों ने सदन का संचालन किया. देश-प्रदेश से 200 बच्चे विधायक और मंत्रियों की भूमिका में विधानसभा पहुंचे. मुख्यमंत्री, नेता प्रतिपक्ष, मंत्री और विधायक की भूमिका बच्चों को सदन में बैठने की व्यवस्था भी उसी हिसाब से की गई. सत्र के दौरान बच्चों ने जनता से जुड़े सवाल और मुद्दे उठाए तो शून्यकाल में परीक्षाओं में नेटंबदी और भाई भतीजावाद का मुद‌दा भी प्रमुखता से उठाया गया, जिस पर हंगामा और वॉकआउट भी हुआ.

विधानसभा में पहली बार हुए बाल सत्र में प्रदेश के दिगज्ज नेताओं के पाेते, पोतियों और दोहितों की भी मौजूदगी रही. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की पोती काश्विनी गहलोत को विधायक, जलदाय मंत्री बीडी कल्ला के पोते राघव कल्ला को कला संस्कृति मंत्री बनाया गया. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रहे दिवंगत भोमराज आर्य के दोहिते को विधायक के तौर पर शामिल किया. बाल वित्त मंत्री बनाई गई अनुष्का राठौड़ के पिता जज हैं. मुख्यमत्री गहलोत की पोती काश्विनी गहलोत ने शून्यकाल में वन्य जीवों के संरक्षण का मुद्दा उठाया तो बीडी कल्ला के पोते राघव कल्ला ने कला संस्कृति मंत्री के तौर पर सवाल का जवाब दिया.

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मुख्यमंत्री की पोती काश्विनी गहलोत ने दिया सुझाव
विधानसभा के बाल सत्र में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की पोती काश्विनी गहलोत को आगे मंत्रियों वाली सीटों पर जगह दी गई थी. काश्विनी ने स्कूली बच्चों को वन्य जीवन और पर्यावरण से परिचित करवाने के लिए जंगल के टूर पर ले जाने का सुझाव दिया. काश्विनी ने कहा- स्कूली बच्चों को जंगली जानवरों और पर्यावरण की जानकारी देने के लिए स्कूलों की तरफ से टूर आयोजित करवाने चाहिए. जंगलों के आसपास रहने वालों को जंगली जानवरों और खासकर बाघ संरक्षण के लिए जागरूक करें. वाइल्ड लाइफ को स्कूली पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाना चाहिए. जंगलों के आसपास रहने वालों का जीवन बहुत कठिन होता है. इन दुर्गम इलाकों के बारे में स्कूली बच्चों को परिचित करवाना चाहिए.

इसी प्रकार जलदाय मंत्री बीडी कल्ला के पोते राघव कल्ला को पर्यटन के अलावा कला और संस्कृति मंत्री का रोल दिया गया. बता दें, बीड़ी कल्ला के पास भी उर्जा और जलदाय के साथ कला और संस्कृति विभाग है. राघव कल्ला ने प्रश्नकाल में एक सवाल का जवाब दिया. वहीं बीकानेर में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रहे पूर्व प्रधान और बीकानेर सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक (CCB) के भूतपूर्व अध्यक्ष दिवंगत भोमराज आर्य के दोहिते मनीष ढाका ने विधायक के तौर पर बाल सत्र में सवाल पूछा. इसी प्रकार वित्त मंत्री बनाई गई अनुष्का राठौड़ और विधायक बनाए गए दुष्यंत राठौड़ के पिता अजीत सिंह राठौड़ किशोर न्याय बोर्ड पाली में प्रिंसिपल मजिस्ट्रेट है और उनके दादा वकील हैं. अनुष्का राठौड़ ने वित्त मंत्री के तौर पर सवालों के जवाब दिए.

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महेश पटेल नाम के बालक ने विधायक के तौर पर तीखा सवाल करते हुए कहा कि प्रतियोगी परीक्षाओं में नेटबंदी की जाती है. सुरक्षा के लिए तो नेटंबदी ठीक है लेकिन अपनी प्रशासनिक अक्षमताओं को ढकने के लिए नेटबंदी गलत है. नेटबंदी करने से जनता को बुहत परेशानी होती है. अर्थव्यवस्था पर प्रभाव पड़ता है. 75 बार नेटंबदी करके राजस्थान कश्मीर के बाद दूसरे नंबर पर है. इस मुद्दे पर पटेल ने सरकार से जवाब की मांग की. एक बाल विधायक ने कहा- नकल के साथ भाई भतीजावाद भी खूब चल रहा है. इस मुद्दे पर चर्चा की अनुमति नहीं देने पर सदन से वॉकआउट भी किया गया.

सवालों से ही सरकारें जवाबदेह बनेंगी- ओम बिरला
विधानसभा में हुए बाल सत्र के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि सवाल उठाने से सरकारें जवाबदेह होंगी और शासन में पारदर्शिता आएगी. यह विधानसभाओं और संसद से ही संभव है. संविधान के साथ संसदीय प्रक्रियाओं को समझना जरूरी है. बिरला ने कहा कि कानून बनाते समय जनता की सक्रिय भागीदारी होगी, तो कानून ठीक बनेंगे और लागू होंगे. हमारे लिए यह चिंता की बात है कि संसद और विधानसभा में कानून बनाने से पहले बहस का समय घटता जा रहा है. पहले ज्यादा चर्चा होती थी, वह समय अब घट रहा है, यह चिंताजनक है.

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सरकार नीतियां तय करने में बच्चों की भी राय ले सरकार- सीपी जोशी
वहीं अपने संबोधन में विधानसभा स्पीकर सीपी जोशी ने कहा कि, ‘हमें बच्चों के मन की बात सुनकर उसके हिसाब से नीतियां बनाने पर सोचना होगा. केंद्रीय पंचायतीराज मंत्री के तौर पर जब मैं विदेश गया तो वहां लोकल सेल्फ गवर्नेंस पर चर्चा हो रही थी, वहां एक छात्र बैठा था. मैंने सोचा कि हमारे यहां लोकल सेल्फ गवर्नेंस में छात्रों को नहीं चुना जाता, छात्रों की समस्याओं को कौन उठाएगा? उस समय मैंने मन में कल्पना की कि हमें नए सिरे से देश की समस्याओं पर ध्यान केंद्रित करने के लिए नीति बनाते वक्त बच्चों की बात भी सुननी चाहिए.’

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