अफीम का गरारा कर आजादी को भीख बताया कंगना ने, वापस लिए जाएं सभी राष्ट्रीय पुरस्कार- सामना

'सामना' ने कंगना का करवाया सच से 'सामना'! कंगना के बहाने भाजपा और NCB अधिकारी वानखेड़े पर भी बोला जोरदार हमला, संपादकीय में शिवसेना की मांग- केन्द्र सरकार सभी राष्ट्रीय पुरस्कार लें वापस, क्रांतिकारियों का इतना भयंकर अपमान कभी नहीं हुआ, एक आने की भांग पीने पर सूझने लगती हैं ढेरों कल्पनाएं, खून, पसीना और त्याग को 'भीख' कहना राष्ट्रदोह'

'कंगना के भीख बम ने बिखेरा भाजपा का नकली राष्ट्रवाद'
'कंगना के भीख बम ने बिखेरा भाजपा का नकली राष्ट्रवाद'

Politalks.News/Maharashtra. देश की आजादी को लेकर एक्ट्रेस कंगना रनौत द्वारा ‘जुबानी जहर‘ उगलने के बाद पूरे देश में उनके खिलाफ लोगों का गुस्सा फूट पड़ा. कई राज्यों में एक्ट्रेस के खिलाफ केस हुए और दर्जनों शिकायतें दर्ज हुई हैं, तो सोशल मीडिया पर लोग जमकर भड़ास निकालने लगे हुए हैं वो अलग. इसी कड़ी में अब शिवसेना ने शनिवार को पार्टी के मुखपत्र ‘सामना‘ की संपादकीय में एक्ट्रेस के साथ भारतीय जनता पार्टी और एनसीबी अधिकारी समीर वानखेड़े पर भी जमकर निशाना साधा है. शिवसेना ने लिखा है कि, ‘कंगना बेन रनौत ने एक बम फोड़ा है. इससे भाजपा का नकली राष्ट्रवाद बिखर गया है’. शिवसेना ने लिखा है कि,’कंगना को एक आने की भांग पी ढेरों कल्पनाएं सूझने लगती हैं’. लेख में लिखा है कि, ‘आजादी के सेनानियों के खून, पसीने और त्याग को ‘भीख‘ कहना राष्ट्रदोह है. सरकार को चाहिए कि कंगना के सभी राष्ट्रीय पुरस्कार वापस लिए जाएं’. सामना में कड़े शब्दों में कंगना और भाजपा की नीतियों की आलोचना की गई है जो कि सियासी गलियारों में चर्चा का विषय बनी हुई है.


आजादी के मतवालों का इतना भयंकर अपमान कभी नहीं हुआ

शिवसेना के मुखपत्र में लिखा है कि,’स्वतंत्रता संग्राम के क्रांतिकारियों का इतना भयंकर अपमान कभी किसी ने नहीं किया था. कंगना बेन को हाल ही में सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘पद्मश्री’ से सम्मानित किया गया. इससे पहले ये सम्मान हिंदुस्तानी स्वतंत्रता संग्राम में हिस्सा लेनेवाले वीरों को ही मिला है. उन्हीं वीरों का अपमान करने वाली कंगना बेन को भी ऐसे ही सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार से सम्मानित किया जाना, यह देश का दुर्भाग्य है’.

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‘एक आने की भांग पीने पर सूझने लगती है ढेरों कल्पनाएं’
सामना में आगे लिखा गया है कि, ‘कंगना बेन ने इससे पहले महात्मा गांधी का भी अपमान किया था. कंगना का नाथूराम प्रेम उबाल मारता रहता है. उनके चिल्लाने की ओर आमतौर पर कोई ज्यादा ध्यान नहीं देता. एक आने की भांग पी ली तो ढेरों कल्पनाएं सूझने लगती हैं, ऐसा एक बार तिलक ने कहा था. कंगना बेन के मामले में तिलक की बातें शत-प्रतिशत सही सिद्ध होती हैं’.

अफीम-गांजे के नशे में गरारा करते हुए क्रांतिकारियों को कहा भिखारी

सामना में लिखा गया है कि, ‘बीजेपी की कंगना बेन तो भगत सिंह से वीर सावरकर तक सभी पर अफीम-गांजे के नशे में गरारा करते हुए उन्हें भिखारी ठहरा दिया है. कंगना बेन के अनुसार देश को वास्तविक आजादी वर्ष 2014 में मिली. मोदी का राज्य यही आजादी है. बाकी सब झूठ! इस ऐतिहासिक विचार से भाजपाई वीर पुरुष सहमत हैं क्या?

‘खून, पसीने और त्याग को ‘भीख’ कहना राष्ट्रदोह’

सामना के संपादकीय में आगे लिखा है कि, ‘1947 में आजादी मिली ही नहीं, बल्कि भीख मिली, परंतु उस भीख मांगने की प्रक्रिया में कंगना के वर्तमान राजनीतिक पूर्वज कहीं भी नहीं थे. गांधीजी द्वारा ‘चले जाओ’ का नारा देते ही मुंबई के मिल मजदूर सड़क पर उतर गए और अंग्रेजों को भागने के लिए जमीन कम पड़ गई. जलियांवाला बाग जैसे हत्याकांड कराकर अंग्रेजों ने स्वतंत्रता सेनानियों के रक्त से स्नान किया. खून, पसीना, आंसू आदि त्यागों से मिली हमारी आजादी को ‘भीख’ कहकर संबोधित करना राष्ट्रद्रोह का ही मामला है’.

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‘कंगना के राष्ट्रीय पुरस्कार वापस ले सरकार’

शिवसेना की ओर से लिखा गया है कि, ‘ऐसे व्यक्ति को देश के राष्ट्रपति ‘पद्मश्री’ पुरस्कार देते हैं. उस समारोह में प्रधानमंत्री मोदी उपस्थित रहते हैं और स्वतंत्रता को भीख की उपमा देने वाली कंगना बेन की आंखें भरकर सराहना करते हैं. स्वतंत्रता और क्रांतिकारियों के बलिदान के प्रति थोड़ी-सी भी श्रद्धा होगी तो इस राष्ट्रद्रोही वक्तव्य के लिए कंगना बेन का सर्वोच्च राष्ट्रीय पुरस्कार वापस लेना चाहिए’.

‘भाजपा के प्रखर राष्ट्रवादी अब तक क्यों हैं खामोश’

शिवसेना ने सामना में लिखा है कि, ‘भाजपाई सांसद वरुण गांधी ने कंगना बेन के दिवालिए बयान का धिक्कार किया है, यह देशद्रोह ही है, ऐसा वरुण गांधी कहते हैं। अनुपम खेर ने भी शरमाते हुए कंगना का निषेध किया है, परंतु भाजपा के प्रखर राष्ट्रवादी अभी तक खामोश क्यों हैं?”

‘कंगना किस कारण बहरी हुईं यह NCB के वानखेड़े ही खोज सकती है’

सामना में लिखा गया है कि, ‘कंगना बेन का सिर सुन्न हो गया है, ऐसा वरुण गांधी कहते हैं. किस कारण से वे बहरी हुई हैं, यह एनसीबी के अफसर समीर वानखेड़े ही खोज सकते हैं! परंतु मोदी सरकार का सिर भी उसी कारण से बहरा नहीं हुआ होगा तो इस देशद्रोह के लिए कंगना बेन के सभी राष्ट्रीय पुरस्कार वे वापस लेंगे. वीरों की, स्वतंत्रता का अपमान देश कभी बर्दाश्त नहीं करेगा’

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आपको बता दें कि सोशल मीडिया पर वायरल हुई 24 सेकेंड की एक क्लिप में कंगना रनौत को कहते सुना जा सकता है, ‘1947 में आजादी नहीं, बल्कि भीख मिली थी और जो आजादी मिली है वह 2014 में मिली.’ रनौत पिछले दिनों एक समाचार चैनल के एक कार्यक्रम में बोल रही थीं और उनकी इस टिप्पणी के बाद मौके पर मौजूद कुछ लोग तालियां भी बजाईं.

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