प्रियंका गांधी वाड्रा के बच्चे भी यही बोलेंगे ‘गरीबी हटाओ’
लोकसभा चुनाव करीब आते ही नेताओं के तीखे बयानों की बारिश भी तेज हो चली है. आज के बयानों में भी ऐसे ही कुछ खास बयान चर्चा में रहें. सबसे अधिक चर्चा में यूपी के उप मुख्यमंत्री दिनेश शर्मा रहे जिन्होंने गांधी परिवार सहित प्रियंका गांधी के बच्चों तक पर निशाना साध दिया. मायावती ने कांग्रेस और बीजेपी दोनों को आड़े हाथ ले लिया. वहीं यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ ने कांग्रेस के 55 पेज के चुनावी घोषणा पत्र को 55 साल की नाकामी बताया. उमर अब्दुल्ला और सेम पित्रोदा के बयान भी चर्चा में बने रहे.
‘प्रियंका गांधी वाड्रा के बच्चे भी यही बोलेंगे ‘गरीबी हटाओ’
– दिनेश शर्मा
उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री दिनेश शर्मा ने गांधी परिवार को निशाना बनाते हुए बयान दिया है कि नेहरू जी ने कहा था ‘गरीबी हटाओ’, इंदिरा जी ने कहा था गरीबी हटाओ, राजीव जी ने कहा था गरीबी हटाओ, सोनिया जी ने कहा गरीबी हटाओ. उनके बेटे ने कहा गरीबी हटाओ. अब वाड्रा जी (प्रियंका) कहेंगी गरीबी हटाओ. उसके बाद उनके बच्चे मिराया और रहान भी कहेंगे गरीबी हटाओ. लेकिन क्या गरीबी दूर हुई? आजादी के 70 साल हो चुके हैं. इसकी 3/4वीं अवधि के लिए कांग्रेस सरकार थी लेकिन गरीबी दूर नहीं हुई। गरीब और गरीब हो गया. अमीर और अमीर हो गया गरीबों का केवल शोषण किया गया.
Deputy CM Dinesh Sharma: But was the poverty eliminated? It has been 70 years since independence, for 3/4th of its duration there was Congress govt. But poverty was not eliminated. Poor became poorer, rich became richer. The poor were only exploited, (31.03.2019) https://t.co/d5ifO2xlFD
— ANI UP (@ANINewsUP) April 2, 2019
’55 साल की नाकामियों को 55 पेजों में व्यक्त किया’
– योगी आदित्यनाथ
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कांग्रेस के आज जारी किए चुनावी घोषणा पत्र पर सवाल खड़े करते हुए कहा है कि इस चुनाव में कांग्रेस नेताओं का यह झूठ दोबारा बेनकाब होगा और जनता इसका जोरदार जवाब कांग्रेस व उसके सहयोगी दलों को देगी. उन्होंने अपना 55 वर्षों की नाकामियों को 55 पेजों के अपने घोषणा पत्र के माध्यम से व्यक्त किया है.
UP CM Yogi Adityanath on Congress manifesto: Iss chunaav mein Congress naetretavya ka ye jhuut dubara benaqab hoga aur janata zordaar jawab Congress aur uske sehyogi dalon ko degi. Unhone apne 55 varsho ki naakaami ko 55 page ke apne ghoshna patra ke maadhyam se vyakt kiya hai. pic.twitter.com/MhbXI9hDFT
— ANI UP (@ANINewsUP) April 2, 2019
‘कांग्रेस बोफोर्स व बीजेपी राफेल में शामिल है’
– मायावती
कांग्रेस और भाजपा दोनों से टक्कर ले रही यूपी की पूर्व सीएम मायावती ने दोनों प्रमुख पार्टियों पर निशाना साधा है. उन्होंने कहा कि जिस तरह से पीएम मोदी की सरकार ने जल्दबाजी में जीएसटी और नोटबंदी लागू किया, उससे छोटे कारोबार प्रभावित हुए. इसके कारण बेरोजगारी में भी वृद्धि हुई। कांग्रेस बोफोर्स में शामिल थी और अब भाजपा सरकार राफेल में शामिल है.
BSP Chief Mayawati in Bhubaneswar: The way PM Modi’s government implemented GST and demonetization, in haste, that affected small businesses; that also led to increase in unemployment. Congress was involved in Bofors and now BJP govt is involved in Rafale. #Odisha pic.twitter.com/nDq1K57VWn
— ANI (@ANI) April 2, 2019
‘पब्लिक सेफ्टी एक्ट को कानूनी दायरे से बाहर निकाल देंगे’
– उमर अब्दुल्ला
जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने तीखा बयान देते हुए कहा है कि मैंने यहां के लोगों से वादा किया है. अगर विधानसभा चुनाव में नेशनल कॉन्फ्रेंस को सत्ता मिलती है तो हम पब्लिक सेफ्टी एक्ट को कानून के दायरे से बाहर निकाल फेकेंगे.
Omar Abdullah in Pattan: Maine yahan ke logon se vaada kiya hai, Assembly Election mein National Conference ko mandate mile, hum Public Safety Act ko kanoon ke daayare se bahar nikal denge. #JammuAndKashmir pic.twitter.com/fj0lZGk8Q0
— ANI (@ANI) April 2, 2019
बीजेपी का विश्वास ‘नमो’ पर तो कांग्रेस ‘शक्ति’ पर कर रही भरोसा
एक चुनावी दौर तब था जब नेता क्षेत्र में घूम-घूमकर प्रचार करने को ही अपनी जीत का आधार मानते थे. नेताओं का जमीन पर संपर्क ही उनके लिए अहम था. अब यह चुनावी लड़ाई जितनी जमीन पर लड़ी जा रही है, उतनी ही सोशल मीडिया पर. यही वजह है कि सभी राजनीतिक दलों ने मोबाइल ऐप्लिकेशन पर भरोसा दिखा रहे हैं. बीजेपी जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘नमो ऐप’ के माध्यम से जनता में पैठ बना रही है तो कांग्रेस का भरोसा ‘शक्ति ऐप’ पर है. इनके अलावा भी कुछ अन्य ऐप भी इन राजनीतिक दलों ने लॉन्च किए हैं, जिनके माध्यम से लोगों से संपर्क स्थापित किया जा रहा है. इनसे राजनीतिक पार्टियों को मतदाताओं की राय भी मिल रही है.
जमीन पर संगठन की घटती ताकत और कार्यकर्ताओं से बढ़ती दूरी को देखते हुए कांग्रेस ने शक्ति ऐप लॉन्च किया था. इस पर आने वाली राय और सुझावों को लेकर पार्टी ने अपनी रणनीतियों में बदलाव किया है. इसके बाद शक्ति ऐप से जुड़े लोगों से दोतरफा संपर्क के लिए कांग्रेस ने ‘आईएनस आवाज ऐप’ लांच किया. इसमें बूथ, विधानसभा और लोकसभा स्तर के अलग-अलग ग्रुप तैयार किए गए हैं. इस ऐप को वही लोग इंस्टॉल कर सकते हैं जो पहले से शक्ति ऐप पर रजिस्टर हों. वहीं भाजपा ने सबसे ज्यादा भरोसा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ही ऐप पर दिखाया है. उनकी बड़ी फैन फॉलोइंग को इस्तेमाल करते हुए पार्टी ने तमाम सुझावों को माना और इसे अपनी रणनीति में इस्तेमाल किया है. इसके अलावा पार्टी का अपना भी आधिकारिक ऐप है. यह भी समर्थकों और कार्यकर्ताओं से जुड़ने के साधन के तौर पर इस्तेमाल किया जा रहा है.
कैंपेन के लिए भी लॉन्च किए ऐप्स
जब कांग्रेस ने अपना चुनावी अभियान घर-घर कांग्रेस लॉन्च किया था तो पूरे अभियान की सफलता और समर्थकों व कार्यकर्ताओं से दो तरफा संवाद के लिए ‘घर-घर कांग्रेस ऐप’ लॉन्च किया. इसी प्रकार, जब भाजपा ने ‘मैं भी चौकीदार अभियान’ की शुरुआत की तो प्ले स्टोर पर चौकीदार नरेंद्र मोदी 2019 ऐप दिखाई देने लगा. प्ले स्टोर पर अखिलेश यादव का भी एक ऐप मौजूद है.
सेल्फी वालों को भी लुभा रहे
युवाओं में सेल्फी लेने का चलन खासा है. सभी चाहते हैं कि अपने पसंदीदा नेताओं के साथ वे सेल्फी लें लेकिन यह इतना आसान नहीं होता. ऐसे में उनकी हसरत पूरी करने के लिए तमाम तरह के सेल्फी और फोटो फ्रेम्स वाले ऐप्लीकेशंस प्ले स्टोर पर मौजूद हैं. इन ऐप्स पर राजनीतिक दलों के विज्ञापन भी दिखते हैं. डीपी और फोटो फ्रेम्स भी यूजर्स को काफी लुभाते हैं.
तमाम ऐप्स पर विज्ञापन, आसान कर रहे पहुंच
तमाम चर्चित ऐप्लीकेशंस पर भी राजनीतिक दलों की निगाहें हैं. जिन ऐप्लीकेशंस को लोग ज्यादा इस्तेमाल करते हैं, उनका इस्तेमाल राजनीतिक दल अपने प्रचार के लिए करते हैं. कुछ समय के बाद विज्ञापन फ्लैश होते हैं और इससे पार्टी अपनी बात कह पाने में सफल होती है. एक निश्चित अंतराल के बाद युवाओं तक लोगों तक अपनी पहुंच इनके लिए बेहतर होती है.
700 से 1000 विज्ञापन हमेशा रहते हैं तैयार
टेक एक्पर्ट्स की मानें तो तमाम विज्ञापन एजेंसियां 700 से 1000 विज्ञापन हमेशा ही तैयार रखती हैं. राजनीतिक दलों की डिमांड पर इन्हें थोड़ा मोडीफाई करके इस्तेमाल किया जाता है. ऐप्स पर इस्तेमाल होने वाले विज्ञापन खासे छोटे और फाइल साइज में छोटे रखे जाते हैं ताकि लोगों का मोबाइल न हैंग हो और छोटे होने पर उन्हें वे देखें न कि स्किप करें.
- इसलिए ऐप्स पर प्रचार
- एक बार में लाखों युवाओं तक पहुंच
- विज्ञापन के दूसरे माध्यमों के बजाए सस्ता
- इसपर प्रचार के लिए कोई समय सीमा नहीं
- किसी क्षेत्र विशेष के सीमा की भी कोई बाध्यता नहीं
- प्रचार के लिए ये ऐप्स ज्यादा होते हैं इस्तेमाल
- न्यूज ऐप्स
- ट्रैवेल ऐप्स
- ज्योतिष से जुड़े ऐप्स
- सोशल मीडिया ऐप्स
- गानों के ऐप्स
- क्रिकेट ऐप्स
- विडियो गेमिंग ऐप्स
- चैटिंग ऐप्स
राजस्थान: हाथ और कमल को कहीं चोट न दे दें रोत
कांग्रेस ने लोकसभा चुनावों के लिए राजस्थान की सभी 25 सीटों पर प्रत्याशियों की घोषणा कर दी है. भाजपा ने भी 19 सीटों पर उम्मीदवार खड़े कर दिए हैं. शेष चेहरों की घोषणा भी जल्दी कर दी जाएगी. प्रदेश की बांसवाड़ा-डूंगरपुर लोकसभा सीट की बात करें तो यहां कांग्रेस ने तीन बार सांसद रहे ताराचंद भगोरा पर भरोसा जताते हुए टिकट थमाया है और चौथी बार मैदान में उतारा है. बीजेपी ने पूर्व सांसद व मंत्री रहे कनकमल कटारा को भाजपा चेहरा बनाया है.
यहां से एक और उम्मीदवार का नाम चुनावी दंगल में खड़ा है जो इस सीट पर त्रिगुट समीकरण बिठा रहा है. भारतीय ट्राइबल पार्टी (बीटीपी) ने युवा चेहरे कांतिलाल रोत को बांसवाड़ा सीट से टिकट दिया है. वैसे तो यह सीट परम्परागत तौर पर कांग्रेस की मानी जाती है लेकिन इस बार रोत दोनों ही पार्टियों को चोट पहुंचा सकते हैं.
वैसे बांसवाड़ा-डूंगरपुर सीट पर हुए हर लोकसभा चुनाव में कांग्रेस का पलड़ा हमेशा ही भारी पड़ा है लेकिन पिछले साल मोदी लहर में यह सीट भी बीजेपी पाले में आ गिरी. 2014 से पहले 2004 में भी बीजेपी इस सीट पर कब्जा जमा चुकी है. इससे पहले तक कांग्रेस पार्टी का यहां एकछत्र राज रहा है. बीते कुछ समय में जिस तरह बीटीपी ने अपनी पहचान बनाई है, उसे देखते हुए यह मुकाबला आसान नहीं कहा जा सकता.
विधानसभा चुनावों पर एक नजर डाले तो बीटीपी ने प्रदेश की 200 में से 2 सीटों पर कब्जा जमाया था. डूंगरपुर की सागवाड़ा सीट से बीटीपी के रामप्रकाश ने जीत दर्ज की थी. वहीं बांसवाड़ा की चौसारी सीट से राजकुमार जीते. बांसवाडा-डूंगरपुर लोकसभा सीट मे कुल आठ विधानसभाए शामिल है, जिसमें तीन विधानसभा डूंगरपुर जिले की और पांच बांसवाड़ा जिले की शामिल है.
डूंगरपुर और बांसवाड़ा क्षेत्र ‘वागड़’ कहलाता है. वागड़ एक आदिवासी बहुल क्षेत्र है. ऐसे में बीटीपी का कांतिलाल रोत पर दाव किसी भी तरह से कमतर नहीं आंका जा सकता. टिकट बंटवारे को लेकर चल रही दोनों ही पार्टियों में खिंचतान भी रोत का पलड़ा इस सीट से भारी करती दिख रही है. कांग्रेस-भाजपा के कुछ दावेदारों की अपनी ही पार्टियों से नाराजगी चल रही है. ऐसे में रोत दोनों प्रमुख पार्टियों को चोट पहुंचाने के लिए पूरी तरह तैयार नजर आ रहे हैं.
राहुल गांधी का ‘जन आवाज घोषणा पत्र’, बेरोजगारी और किसान मुद्दों पर फोकस
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष राहुल गांधी ने आज नई दिल्ली में एक सम्मेलन में पार्टी का चुनावी घोषणा पत्र जारी किया. इस घोषणा पत्र को ‘जन आवाज पत्र’ नाम दिया गया है. घोषणा पत्र में बेरोजगारी, किसान और युवाओं पर फोकस रखा है. न्यूनतम आय योजना ‘न्याय’ को घोषणा पत्र की थीम रखा है. ‘हम निभाएंगे’ की तर्ज पर जारी इस घोषणा पत्र को 5 थीम पर तैयार किया गया है. इन थीम में सबसे उपर न्याय योजना, 10 लाख रोजगार, किसान बजट, सरकारी अस्पतालों को मजबूती और युवा एंटरप्रन्योर को शामिल किया गया है.
कांग्रेस के ‘जन आवाज पत्र’ की अहम घोषणाएं
- न्यूनतम आय योजना ‘न्याय’
- एक साल में 72 हजार, 5 साल में 3.60 लाख रुपये किसानों और गरीबों की जेब में सीधा पैसा जाएगा.
- 2020 तक 22 लाख खाली सरकारी पद भरना
- 10 लाख युवाओं को ग्राम पंचायत में रोजगार
- मनरेगा के तहत 150 दिन के रोजगार की गारंटी
- जीडीपी का 6 फीसदी शिक्षा पर खर्च
- किसान अगर ऋण न चुका पाए तो आपराधिक केस दर्ज नहीं होगा.
- किसानों के लिए अलग से बजट
- प्रत्येक नागरिक को स्वास्थ्य अधिकार का वादा
- सरकारी अस्पताल और सरकारी पब्लिक हेल्थ को मजबूत करेंगे
- नेशनल और इंटरनल सिक्यूरिटी पर ज्यादा फोकस होगा.
- मेक इन इंडिया के तहत जो भी युवा एंटरप्रन्योर बनना चाहता है, उसे अभी बहुत सारे विभागों से मंजूरी लेनी पड़ती है. लेकिन सरकार बनने के बाद तीन साल के लिए हिन्दुस्तान के युवाओं को बिजनेस खोलने के लिए किसी तरह की कोई मंजूरी नहीं लेनी होगी.
हार्दिक पटेल को सुप्रीम कोर्ट से नहीं मिली राहत, जल्द सुनवाई की अर्जी ठुकराई
सुप्रीम कोर्ट ने पाटीदार नेता हार्दिक पटेल की 2 साल की सजा मामले में तत्काल सुनवाई करने की याचिका को ठुकरा दिया है. हाल ही में हार्दिक ने 4 साल पुराने दंगा मामले में तुरंत सुनवाई की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी. याचिका में दंगा से संबंधित उनकी सजा को निलंबित करने की मांग की, ताकि वह आगामी लोकसभा चुनाव लड़ सकें। इसे सुप्रीम कोर्ट ने साफ तौर पर नकार दिया है. लोकसभा चुनाव के लिए नामांकन की अंतिम तिथि 4 अप्रैल है.
दरअसल, तोड़-फोड़ के एक मामले में निचली अदालत ने हार्दिक को 2015 में बीजेपी विधायक ऋषिकेश पटेल के कार्यालय में तोड़फोड़ करने के मामले में विसनगर कोर्ट ने दोषी ठहराते हुए 2 साल की जेल की सजा सुनाई थी. केस में हार्दिक के साथ लालजी पटेल को भी दोषी करार दिया गया है. फिलहाल हार्दिक जमानत पर हैं. हार्दिक हाल ही में कांग्रेस में शामिल हुए थे और उन्होंने लोकसभा चुनाव लड़ने की मंशा जाहिर की थी. पहले गुजरात हाईकोर्ट द्वारा सुजा पर रोक और अब सुप्रीम कोर्ट के तत्काल सुनवाई मामले में इनकार करने पर हार्दिक पटेल का लोकसभा चुनावों में उतरना नामुमकिन हो गया है. हार्दिक पटेल गुजरात की जामनगर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने वाले थे.