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‘सोनियाजी को आतंकवादियों की मौत पर रोना आया, शहादत पर नहीं’

PoliTalks news

लोकसभा चुनावों का कारवां जैसे-जैसे आगे बढ़ रहा है, वैसे-वैसे बयानबाजी और जुमले भी गति पकड़ते जा रहे हैं. आज का दिन भी कुछ इसी तरह बीता. वैसे तो पूरे दिनभर जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती का ‘ईद वाले बम’ बयान सुर्खियों में रहा लेकिन अमित शाह का सोनिया गांधी पर ‘बाटला हाउस’ बयान चर्चा में रहा. आजम खान के बेटे का जया प्रदा पर तंज भी खूब उछला. वरूण गांधी की मीठी चाय तो उनके बयान के बाद और मीठी हो गई.

‘सोनियाजी को आतंकवादियों की मौत पर रोना आया, शहादत पर नहीं’
अमित शाह, कोलकत्ता, पं.बंगाल से

बाटला हाउस का जब एनकाउंटर हुआ था, सोनियाजी को रोना आ गया था बाटला हाउस के आतंकवादियों के मरने पर. जबकि हमारा एक बहादूर पुलिस इंस्पेक्टर वहां शहीद हो गया. उसकी मृत्यु पर रोना नहीं आया. इस पर कांग्रेस को जवाब देना चाहिए.

‘पाक ने भी परमाणु बम ईद के लिए नहीं रखे हैं’
– महबूबा मुफ्ती

जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर पलटवार करते हुए कहा कि यदि भारत ने दिवाली के लिए परमाणु बम नहीं रखा है, तो यह स्पष्ट है कि पाकिस्तान ने ईद के लिए भी अपने पास नहीं रखा है. मुफ्ती ने यह बयान पीएम के उस बयान पर निशाना साधते हुए कहा जिसमें प्रधानमंत्री मोदी ने यह कहा है, ‘भारत अब पाकिस्तान की न्यूक्लियर की धमकी से नहीं डरता है. हमने परमाणु बम को दिवाली के लिए नहीं रखा हुआ है.’ पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि पता नहीं क्यों पर पीएम मोदी को अपने राजनीतिक प्रवचन को कम करना चाहिए.

‘अली-बजरंगबली दोनों चाहिए लेकिन अनारकली नहीं चाहिए’
– अब्दुल्हा आजम खान, सपा नेता

अली भी हमारे, बजरंगबली भी हमारे, हमें अली भी चाहिए, बजरंगबली भी चाहिए लेकिन अनारकली नहीं चाहिए.

SP leader Abdullah Azam Khan (son of SP leader Azam Khan) in Rampur: Ali bhi humare, bajrangbali bhi humare. Humein Ali bhi chahiye, bajrangbali bhi chahiye lekin Anarkali nahi chahiye. (21.4.19) pic.twitter.com/geozRjwAej

‘क्या कुछ मुस्लिम चीनी पड़ने वाली है मेरी चाय में’
– वरुण गांधी, बीजेपी नेता

भारतीय जनता पार्टी के फायरब्रांड नेता और उत्तर प्रदेश के पीलीभीत से उम्मीदवार वरुण गांधी ने मुस्लिम मतदाताओं से वोट करने की अपील की है. उन्होंने अपनी मां मेनका गांधी के उलट एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए कहा कि अगर मुस्लिम मतदाता उन्हें वोट करते हैं तो उन्हें बहुत अच्छा लेगगा. अगर उन्हें वोट नहीं भी करते हैं तो मुस्लिम समुदाय के लोग उनके पास काम मांगने जा सकते हैं, उन्हें इस बात में कोई दिक्कत नहीं है. उन्होंने आगे कहा कि मगर मेरी चाय में थोड़ी आपकी चीनी भी पड़ जाए तो मेरी चाय और मीठी हो जाएगी. गलत तो नहीं बोला मैंने कुछ. क्या कुछ मुस्लिम चीनी पड़ने वाली है मेरी चाय में.

‘चुनाव आयोग के निष्पक्षता से काम नहीं करने का जिम्मेदार केवल बीजेपी और मोदी हैं’
– मायावती, बीएसपी

अपने सोशल ट्वीटर हैंडल से बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने कहा है कि मीडिया की जबर्दस्त आलोचनाओं के बावजूद चुनाव आयोग अगर जनसंतोष के मुताबिक निष्पक्षता से काम नहीं कर रहा है तो यह देश के लोकतंत्र के लिए बड़ी चिन्ता की बात है व इस गिरावट के लिए असली जिम्मेदार कोई और नहीं बल्कि बीजेपी व पीएम श्री मोदी हैं जो गंभीर चुनावी आरोपों से घिरे हैं।

आखिर क्यों है सीकर में कांग्रेस की जीत का मजबूत दावा

सीकर, राजस्थान में एकमात्र ऐसी सीट है जिसपर कांग्रेस ही नहीं बल्कि बीजेपी नेताओं का भी मानना है कि कांग्रेस की जीत का खाता यहीं से खुलेगा. जब से सुभाष महरिया को टिकट मिली, तभी से यही चर्चा है कि कांग्रेस यहां से एक लाख वोटों से जीत सकती है. आखिर ऐसा क्या है? इसके लिए पॉलिटॉक्स न्यूज ने सीकर के गांव और शहरों का दौरा करते हुए आम लोगों की राय जानी और इसकी तह में जाने की कोशिश की. इस दौरान बड़ी वजह यही सामने आई कि सीकर हमेशा से कांग्रेस का गढ़ रहा है. सूबे में सरकार किसी की बने, यहां से कांग्रेस के दो से तीन विधायक जीतकर जरूर आते हैं और विधानसभा का टिकट कटाते हैं.

दोनों दलों ने जाट पर खेला दांव
लोकसभा चुनाव में जातिगत समीकरण साधने के लिए बीजेपी और कांग्रेस दोनों ने ही जाट प्रत्याशी मैदान में उतारे हैं. बीजेपी ने मौजूदा सांसद सुमेधानंद सरस्वती और कांग्रेस ने सुभाष महरिया पर दांव खेला है. यहां जाट जाति के वोट यहां काफी निर्णायक माने जाते हैं लेकिन बीजेपी प्रत्याशी पूरी तरह से मोदी लहर के ही सहारे हैं. सुमेधानंद के साथ बीजेपी संगठन और पार्टी के दिग्गज नेता सिर्फ अनमने मन से जा रहे हैं. खुद महाराज को भी इस बात का पूरा-पूरा एहसास है. लिहाजा उनके प्रचार की कमान पूरी तरह से संघ और उसके आनुषांगिक संगठनों ने संभाल रखी है.

भगवा वस्त्र धारण किए सुमेधानंद सरस्वती पूरी तरह से राष्ट्रवाद और सेना के शौर्य के सम्मान की चर्चा अपने भाषणों में कर रहे हैं. उधर सियासत और मैनेजमेंट के महारथी सुभाष महरिया के लिए हर हालात मुफीद नजर आ रहे हैं. गुटबाजी का डर भी उनके सामने नहीं है. लिहाजा पूरी टीम के साथ चुनावी प्रचार में जोश-ख़रोश से जुटे हुए हैं. बता दें कि कांग्रेस के पक्ष में यह बात भी है कि इस बार तो विधानसभा चुनाव में बीजेपी का जिले से सूपड़ा ही साफ हो गया था. हालांकि चौमूं से एकमात्र भाजपा विधायक जरूर है.

6 विधानसभा में कांग्रेस को बढ़त के आसार
आगे जब पॉलीटॉक्स ने ‘कांग्रेस ही क्यों जीत सकती है’ पर चर्चा की तो सामने आया कि सीकर संसदीय क्षेत्र की आठ में से 6 विधानसभा सीटों से कांग्रेस बढ़त ले सकती है. इसके अलावा श्रीमाधोपुर और चौमूं विधानसभा क्षेत्र में खुद कांग्रेस प्रत्याशी पीछे रहने की बात स्वीकार कर रहे हैं क्योंकि चौमूं से बीजेपी विधायक है और हाल ही में हुए हिंदू-मुस्लिम विवाद के बाद स्थिति बदली हुई है. वहीं श्रीमाधोपुर में गुर्जर समाज सचिन पायलट को सीएम नहीं बनाने की नाराजगी के चलते बीजेपी के साथ दिख रहा है.

बता दें कि यहां करीब बीस से पच्चीस हजार गुर्जर वोटर्स हैं. विधायक दीपेंद्र सिंह सुभाष महरिया से सचिन पायलट की सभा करवा गुर्जर वोटर्स को मैनेज करने की बात भी कह चुके है. वहीं सीकर शहर से भी कांग्रेस प्रत्याशी सुभाष महरिया के संघ की रणनीति के चलते थोड़ा सा पीछे रहने के आसार है. यहां विधानसभा चुनाव के दौरान महरिया की विधायक राजेन्द्र पारीक से कथित नाराजगी का फैक्टर काम कर रहा है. वहीं लक्ष्मणगढ़, खंडेला, नीमकाथाना, धोद और दांतारामगढ़ से महरिया को अच्छी बढ़त मिलने के पूरे आसार नजर आ रहे हैं.

साधु की सियासत संघ के भरोसे
बात करें बीजेपी प्रत्याशी की तो पार्टी द्वारा सुमेधानंद सरस्वती को टिकट देने से जिले के बीजेपी नेता बेहद नाराज हैं. संघ और योगगुरू बाबा रामदेव की दखल के चलते सुमेधानंद एक बार फिर टिकट लाने में कामयाब हो गए. सुमेधानंद की पूरी रणनीति संघ ने अपने हाथ में ले ली है. लिहाजा मैनेजमेंट के माहिर कांग्रेस प्रत्याशी सुभाष महरिया को परास्त करने के लिए माइक्रो मैनेजमेंट का सहारा लिया जा रहा है. सुबह-सुबह पार्क में लोगों से संघ के पदाधिकारी मुलाकात कर रहे हैं. वरिष्ठ नागरिकों से भी संपर्क में बने हुए हैं. तो इमरजेंसी में बंद हुए लोगों से भी फीडबैक लिया जा रहा है. उसके बाद से ही सुमेधानंद राष्ट्रवाद और मोदी के गुणगान पर सवार हुए है.

एक लाख के आस-पास जीत का अंतर
सीकर संसदीय सीट पर कांग्रेस द्वारा पक्की जीत के दावों के बीच शेखावाटी के सट्टा मार्केट, आमजन की चर्चा और सियासी गणित के जानकारों की मानें तो इस सीट पर परिणाम बड़ा रहने वाला है, जिसमें जीत का अंतर 70 हजार से लेकर एक लाख वोटों तक के बीच रहेगा. चुनावी एक्सपर्ट्स भी कांग्रेस की जीत का दावा कर रहे हैं जिसमें संसदीय क्षेत्र की 6 विधानसभा सीट पर 10 से 15 हजार वोटों की बढ़त कांग्रेस को मिलने का आंकलन करते हुए परिणाम के अंतर की बात कही जा रही है.

महरिया-सरस्वती का करो या मरो जैसा चुनाव
चाहे बीजेपी प्रत्याशी सुमेधानंद सरस्वती हो या कांग्रेस के सुभाष महरिया, ये चुनाव सियासी नज़रिए से दोनों के लिए ही अहम माना जा रहा है.  महरिया लगातार चुनाव हारते आ रहे हैं इसलिए उनकी राजनीतिक विरासत दांव पर है. वहीं महाराज सरस्वती चुनाव में शिकस्त पाते हैं तो फिर सियासत नहीं साधु बनकर ही गुजारा करना होगा. सियासी सूत्रों के अनुसार, स्थानीय बीजेपी नेता इसी फैक्टर के चलते साधु का साथ नहीं दे रहे हैं.

क्या माकपा होगी गेमचेंजर?
इस बार भी माकपा ने सीकर से पूर्व विधायक अमराराम को मैदान में उतारा है. वे कर्ज माफी और बिजली की दरें सस्ती करने की मांग को लेकर लगातार आंदोलन करते रहे हैं. ऐसे में उन्हें धोद, लक्ष्मणगढ़ और दांतारामगढ़ में अच्छे वोट मिलने की उम्मीदें है लेकिन फिर भी उनकी जीत असंभव नजर आ रही है. हां, गेमचेंजर होकर किसी एक प्रत्याशी का खेल जरूर बिगाड़ सकते हैं. राजनीतिक जानकारों का कहना है कि कॉमरेडों के फिक्स वोट हैं और वो उनको जाने ही है.

महबूबा मुफ्ती का विवादित ट्वीट, कहा-पाक ने भी परमाणु बम ईद के लिए नहीं रखे हैं

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जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर पलटवार करते हुए कहा कि यदि भारत ने दिवाली के लिए परमाणु बम नहीं रखा है, तो यह स्पष्ट है कि पाकिस्तान ने ईद के लिए भी अपने पास नहीं रखा है. मुफ्ती ने यह बयान पीएम के उस बयान पर निशाना साधते हुए कहा जिसमें प्रधानमंत्री मोदी ने यह कहा है, ‘भारत अब पाकिस्तान की न्यूक्लियर की धमकी से नहीं डरता है. हमने परमाणु बम को दिवाली के लिए नहीं रखा हुआ है.’ पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि पता नहीं क्यों पर पीएम मोदी को अपने राजनीतिक प्रवचन को कम करना चाहिए.

दरअसल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को बाड़मेर में एक जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि भारत ने पाकिस्तान की धमकी से डरने की नीति को छोड़ दिया है. वरना आए दिन पाकिस्तान परमाणु बम की धमकी देता था. वे कहते थे कि हमारे पास न्यूक्लियर बटन है तो भारत के पास क्या है भाई? ये परमाणु बम हमने दिवाली के लिए रखा हुआ है क्या? हमने घर में घुसकर आतंकवादियों को मारा. चोट वहां लगी और दर्द यहां हुआ.

मोदी ने आगे कहा कि हमने आतंकियों के मन में डर पैदा किया. हमने पाकिस्तान की सारी हेकड़ी निकाल दी. आज का भारत बिना युद्ध के पाकिस्तान की सीमा के भीतर घुसकर आतंकियों को ढेर कर रहा है. उसे कटोरा लेकर दुनियाभर में घूमने के लिए मजबूर कर दिया. हमारी सरकार के दौरान ही भारत दुनिया की उन शक्तियों में शामिल हुआ जिनके पास जल, थल, नभ, तीनों जगहों से न्यूक्लियर हमला करने की क्षमता है.

बता दें, महबूबा मुफ्ती ने बीजेपी के गठबंधन के साथ जम्मू-कश्मीर में अपनी सरकार बनाई थी लेकिन पिछले साल समर्थन वापिस लेने के बाद सरकार गिर गई और वहां राज्यपाल शासन लागू हो गया. जम्मू-कश्मीर के विधानसभा चुनावों को भी फिलहाल के लिए टाल दिया गया है. हाल ही में बीजेपी के संकल्प पत्र में धारा 370 हटाने की बात पर भी महबूबा मुफ्ती ने जमकर पीएम मोदी और बीजेपी पर निशाना साधा था.

राजस्थान: कहीं कम तो कहीं ज्यादा, लेकिन मोदी लहर है बरकरार

राजस्थान में कांग्रेस उम्मीदवार, उनके समर्थक और वोटर्स भले ही यह दावा कर रहे है कि इस बार मोदी मैजिक या कोई लहर नहीं है, लेकिन धरातल पर उनके इन दावों में दम नहीं है. पॉलिटॉक्स न्यूज ने मारवाड़ से लेकर शेखावाटी तक और नहरी क्षेत्र से लेकर पूर्वी राजस्थान में जब हर सीट पर जाकर मतदाताओं को टटोला तो यही निकलकर आया की मोदी लहर अभी भी जारी है. साल 2014 की तरह लोगों को अब भी मोदी पर भरोसा है. राजस्थान की कई सीटों पर बीजेपी प्रत्याशियों को लेकर गहरी नाराजगी भी सामने आई है, लेकिन वोटर्स को प्रत्याशी से नहीं सिर्फ मोदी से मतलब है.

वहीं, बीजेपी प्रत्याशी से नाराज मतदाताओं का साफ कहना है कि पांच साल में हमारे सांसद हमें पूछने तक नहीं आए तो उनके विकास कार्य क्या गिनाएं, लेकिन हमें तो मोदी को जिताना है. इसलिए प्रत्याशी कैसा है, यह बात हमारे लिए मायने नहीं रख रही. इसे देखते हुए बीकानेर, झुंझुनूं, जोधपुर, सीकर, टोंक और श्रीगंगानर के बीजेपी प्रत्याशी की अगर जीत होगी तो सिर्फ मोदी के नाम पर ही होगी. वोटर्स का कहना है कि मोदी जैसे नेता को एक बार प्रधानमंत्री और बनना चाहिए. इसके पीछे लोगों का तर्क है कि पांच साल मोदी के लिए कम थे, इसलिए एक बार मौका देना बेहद जरुरी है.

यही कारण है कि मोदी मैजिक फैक्टर क्या कमाल कर पाएगा यह हर बीजेपी उम्मीदवार की जुबान से सुनने को मिल जाएगा. हर बीजेपी प्रत्याशी अपने भाषण में सिर्फ और सिर्फ मोदी का बखान कर रहा है. कोई भी प्रत्याशी अपने पांच साल के कार्यकाल का रिपोर्ट कार्ड जनता के सामने जिक्र तक नहीं करता. प्रत्याशियों की जुबां पर बस मोदी-मोदी ही है. ग्राउंड पर अस्सी फीसदी लोग फिर से मोदी सरकार बनने का ही दावा कर रहे हैं. जो लोग मोदी से थोड़े से नाराज हैं वे भी कहते हैं कि यह बात सही है कि मोदी कोई जादूगर तो नहीं है, जो एक बार में सब ठीक कर दे, इसलिए एक और मौका देकर परख लेते हैं.

आखिर कैसे है मोदी लहर बरकरार?
पॉलीटॉक्स न्यूज ने चुनावी कवरेज के दौरान करीब हजार लोगों की राय जानी. जब उनसे हमने सवाल किए कि मोदी ही क्यों, तो लोगों के ये तर्क और दलीलें थी कि मोदी ने दुनिया में देश का नाम रोशन किया है. हमारे पड़ोसी पाकिस्तान की बोलती बंद कर दी है. मोदी जब बोलता है तो ऐसा लगता है शेर दहाड़ता है. मोदी चेहरे का जादू देखिए कि लोग जीएसटी औऱ नोटबंदी से हुई अपनी परेशानी को भी भूल गए हैं. साथ ही लोग कहते हैं कि आज नहीं तो कल इसके अच्छे परिणाम आएंगे. कई लोग तो मोदी के पहनावे और भाषण शैली के भी कायल है. सबसे ज्यादा लोग मोदी के आक्रामक तेवर वाले भाषणों के जबरदस्त प्रशंसक हैं.

टक्कर की सीटों पर चलेगा मोदी मैजिक!
जानकारों की मानें तो जिन सीटों पर बीजेपी कांटे के मुकाबले में है, वहां मोदी नाम से उनकी जीत की नैया पार हो सकती है. उदाहरण के तौर पर बीकानेर में मतदाताओं में बीजेपी प्रत्याशी अर्जुनराम मेघवाल से नाराजगी देखने को मिल रही है. देवी सिंह भाटी जैसे नेता ने खुली बगावत कर दी है तो कई बीजेपी नेता और संगठन पदाधिकारी अर्जुन के खिलाफ हैं, लेकिन मोदी के बलबूते फिर भी अर्जुन मेघवाल रण में डटे हुए हैं. तमाम विरोध के बावजूद अगर अर्जुन ने जीत की चिड़िया पर निशाना लगा लिया तो इसका क्रेडिट सिर्फ और सिर्फ मोदी को ही जाएगा. खुद अर्जुन को इसका एहसास भी है, इसलिए वो अपनी सभाओं में मोदी धुन के गाने और जुबां में मोदी का यशोगान करने से नहीं चूकते.

जहां मोदी लहर बेअसर वहां संघ-शाह की रणनीति 
अगर किसी सीट पर बीजेपी उम्मीदवार के खिलाफ काफी नकारात्मक माहौल है तो उस पर सीधे अमित शाह और संघ नजर बनाए हुए हैं. उदाहरण के तौर पर टोंक-सवाई माधोपुर और बाड़मेर सीट पर फिलहाल कांग्रेस जातिगत और सियासी समीकरण से बेहद मजबूत हैं. लिहाजा इन सीटों पर संघ और शाह को विशेष रणनीति बनाई है. यही वजह है कि मोदी की बाड़मेर में सभा करानी पड़ी. वहीं, आपने देखा होगा कि चुनाव से पहले मोदी ने सबसे पहले सभा टोंक में ही की थी. तो कह सकते हैं कि राजस्थान में बीजेपी पूरी तरह से मोदी लहर पर ही सवार है और जहां लहर कमजोर है वहां शाह-संघ की रणनीति के नुस्खे आजमाए जा रहे हैं.

वसुंधरा राजे की जोधपुर और बीकानेर से बेरुखी की वजह क्या है?

भैरों सिह शेखावत के बाद राजस्थान में बीजेपी की वन-वुमैन आर्मी बनी वसुंधरा राजे को प्रदेश राजनीति में कभी किसी ने चैलेंज नहीं किया. जिसने भी उनके कद के बराबर पहुंचने की कोशिश की सफल नहीं हो पाया. लेकिन करीब दो साल पहले राजस्थान की राजनीति ने करवट लेनी चाही और दिल्ली में बैठे मोदी और शाह की जोड़ी ने राजस्थान में अपने ढंग से सरकार और पार्टी को चला रही वसुंधरा के बराबर अपने विश्वस्त को खड़ा करने की कोशिश की. इन विश्वस्तों में दो नाम सामने आए. इनमें पहला नाम था गजेंद्र सिंह शेखावत और दूसरा अर्जुनराम मेघवाल.

अशोक परनामी को हटाकर गजेंद्र सिंह और अर्जुन मेघवाल में से एक को प्रदेशाध्यक्ष बनाने के सियासी चर्चाओं के बीच एकबारगी गजेन्द्र सिंह का नाम तय हो ही गया था, लेकिन वसुंधरा ने वीटो लगा दिया. पार्टी को गजेंद्र सिंह का नाम रोकना पड़ा और करीब 75 दिन बाद ‘न तू जीता और न मैं हारा’ की तर्ज पर मदन लाल सैनी को प्रदेशाध्यक्ष बनाया गया.

मदन लाल सैनी अध्यक्ष तो बन गए, लेकिन इस पद का रुतबा कभी कायम नहीं कर पाए. विधानसभा चुनाव में उनकी न तो टिकट वितरण में चली और न ही चुनाव प्रचार में सक्रियता नजर आई. विधानसभा चुनाव में बीजेपी की हार हुई. अब पार्टी के सामने सवाल आया कि नेता प्रतिपक्ष किसे बनाया जाए. वसुंधरा राजे इस ओहदे पर बैठना चाहती थीं, लेकिन पार्टी नेतृत्व ने गुलाब चंद कटारिया के नाम पर मुहर लगाई. पार्टी ने राजे को राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाकर राजस्थान की राजनीति से किनारे करने का कवायद भी कर दी.

कहा यह भी जाता है कि मोदी-शाह ने वसुंधरा से लोकसभा का चुनाव लड़ने के लिए कहा लेकिन उन्होंने साफ इंकार कर दिया. यानी वसुंधरा का केंद्र की राजनीति में जाने का मन नहीं है. उन्हें उम्मीद है कि 2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव में वे ही पार्टी की कमान संभालेंगी. यदि लोकसभा चुनाव में बीजेपी का प्रदर्शन अच्छा नहीं रहता है और मोदी-शाह की जोड़ी कमजोर होती है तो वसुंधरा को राजस्थान की राजनीति से रुखसत करने वाला कोई नहीं बचेगा. अगर यह जोड़ी ताकतवर बनी रहती है तो उन्हें मशक्कत करनी पड़ सकती है.

2023 में क्या होगा, यह तो वक्त ही बताएगा मगर तब तक वसुंधरा राजे खुद को मजबूत करने में जुटी हैं. लोकसभा चुनाव में उनके प्रचार का शेड्यूल चर्चा का विषय बना हुआ है. वे रोजाना कहीं न कहीं बीजेपी उम्मीदवारों के पक्ष में सभाएं कर रही हैं लेकिन प्रदेश की दो सबसे चर्चित सीटों पर उन्होंने झांककर भी नहीं देखा है. ये सीटें हैं जोधपुर और बीकानेर. जोधपुर से गजेंद्र सिंह शेखावत चुनाव लड़ रहे हैं और बीकानेर से अर्जुनराम मेघवाल मैदान में हैं. दोनों मोदी सरकार में मंत्री हैं और इस बार मुकाबले में फंसे हुए हैं लेकिन वसुंधरा राजे अभी तक इनका प्रचार करने नहीं पहुंची.

गजेंद्र सिंह शेखावत के सामने कांग्रेस की ओर से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बेटे वैभव चुनाव लड़ रहे हैं. इलाके की राजनीति के जानकारों की मानें तो गहलोत ने गजेंद्र सिंह शेखावत को ऐसे चक्रव्यूह में फंसा दिया जिससे निकलना अकेले उनके बूते का नहीं है. इसके बावजूद वसुंधरा राजे अभी तक जोधपुर में प्रचार करने नहीं गई हैं. बीजेपी के स्थानीय नेता इसके पीछे प्रदेशाध्यक्ष पद के लिए गजेंद्र सिंह की दावेदारी को वजह बताते हैं.

कमोबेश ऐसा ही हाल बीकानेर का है जहां अर्जुन मेघवाल मैदान में है. राजे बीकानेर भी नहीं गई हैं.जबकि बीकानेर में राजे का काफी प्रभाव है. यहां के शहरी मतदाताओं में आज भी सूरसागर झील की सफाई और सड़कों के सौंदर्यकरण के चलते राजे का क्रेज है. इसी के चलते विधानसभा चुनाव में राजे ने यहां रोड शो किया था. लोकसभा चुनाव में यहां प्रचार करना तो दूर, उनके खास माने जाने वाले देवी सिंह भाटी ने अर्जुनराम मेघवाल के विरोध में पार्टी छोड़ दी और उन्हें हराने के लिए कांग्रेस को वोट देने की अपील कर रहे हैं.

वसुंधरा राजे के जोधपुर और बीकानेर से मुंह मोड़ लेने की पार्टी के भीतर खूब चर्चा हो रही है. कहा यहां तक जा रहा है कि राजे की उपेक्षा के बावजूद यदि गजेंद्र सिंह शेखावत और अर्जुनराम मेघवाल जीत जाते हैं तो यह राजे के लिए बड़ा झटका होगा. वहीं, दोनों हार जाते हैं तो वसुंधरा राजे के लिए रास्ता साफ हो जाएगा. ऐसे में यह देखना रोचक होगा कि नतीजा क्या रहता है.

चुनाव आयोग ने राहुल गांधी को दी क्लीन चिट, रद्द नहीं होगा नामांकन

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दोहरी नागरिकता की शिकायत को लेकर चुनाव आयोग ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को क्लीन चिट दे दी है. उनका उत्तर प्रदेश की अमेठी संसदीय सीट पर नामांकन वैध पाया है. निर्वाचन अधिकारी ने उनके नामांकन को सही पाया है. अब इस सीट से उनकी उम्मीदवारी पर कोई संशय नहीं है. दोहरी नागरिकता के चलते उनके अमेठी सीट से नामांकन को लेकर शिकायत हुई थी. साथ ही उनका नामांकन रद्द करने की अपील की थी. बता दें कि राहुल गांधी इस बार लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश की अमेठी के साथ केरल की वायनाड सीट से भी चुनाव लड़ रहे हैं.

अमेठी सीट से एक निर्दलीय उम्मीदवार ध्रुव लाल ने राहुल गांधी के नामांकन संबंधी जानकारियों को लेकर शिकायत दर्ज कराई थी. ध्रुव लाल के वकील रवि प्रकाश के अनुसार, उन्होंने तीन बिंदुओं के आधार पर यह आपत्ति जताई है. उन्होंने कहा कि राहुल गांधी ब्रिटेन की एक कंपनी से जुड़े हुए हैं और इस कंपनी के पास दी गई जानकारी में राहुल गांधी ने खुद को ब्रिटेन का नागरिक बताया है. ऐसे में जनता का प्रतिनिधित्व अधिनियम के तहत विदेशी नागरिक भारत में चुनाव नहीं लड़ सकता है.

राहुल गांधी की शैक्षणिक योग्यता पर सवाल उठाते हुए रवि प्रकाश ने कहा था कि राहुल गांधी की ओर से बताई गई योग्यता उनके दस्तावेजों पर मौजूद योग्यता से मेल नहीं खाती है. कई डॉक्यूमेंट्स पर उनका नाम राहुल विंसी बताया गया है जबकि कई दस्तावेजों में उनका नाम राहुल गांधी भी है. हम पूछ रहे हैं कि क्या राहुल गांधी और राहुल विंसी एक ही व्यक्ति है. इस बारे में स्पष्टीकरण देने की जरूरत है. अब इस मसले पर मामला पूरी तरह से सफ हो गया है.

‘चौकीदार चोर है’ बयान पर राहुल गांधी ने सुप्रीम कोर्ट से मांगी माफी

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कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने अपने ‘चौकीदार चोर है’ बयान पर सफाई देते हुए सुप्रीम कोर्ट से माफी मांगी है. सुप्रीम कोर्ट में माफीनामी दाखिल करते हुए उन्होंने कहा कि चुनाव प्रचार की उत्तेजना में आकर मैंने बयान दिया लेकिन मेरे बयान को तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया है. राहुल गांधी ने अपने इस बयान पर खेद प्रकट करते हुए माफी मांगी है. बता दें राहुल गांधी ने यह बयान राफेल डील को लेकर दिया था. इस बयान पर बीजेपी नेता मीनाक्षी लेखी ने कोर्ट में अवमानना का मामला दर्ज कराया था.

दरअसल, शीर्ष अदालत ने सरकार की आपत्तियों को दरकिनार करते हुए राफेल मामले में रिव्यू पिटिशन पर नए दस्तावेज के आधार पर सुनवाई की फैसला किया था। इसके बाद राहुल गांधी ने 10 अप्रैल को अमेठी में मीडिया कर्मियों को ‘सुप्रीम कोर्ट को पता चल गया है कि चौकीदार चोर है’ बयान दिया. इसके बाद उन्होंने एक जनसभा में ‘चौकीदार चोर है’ नारे भी लगवाए थे. इस मामले पर बीजेपी नेता मीनाक्षी लेखी ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के खिलाफ आपराधिक अवमानना का मामला दर्ज कराया जिसपर सोमवार को सुनवाई हुई. कोर्ट ने राहुल गांधी को नोटिस पर जवाब देने के लिए कहा था.

इससे पहले राफेल डील पर सीजेआई रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली 3 सदस्यीय बेंच ने एक मत से दिए फैसले में कहा था कि जो नए दस्तावेज डोमेन में आए हैं, उन आधारों पर मामले में रिव्यू पिटिशन पर सुनवाई होगी. सुप्रीम कोर्ट अब रिव्यू पिटिशन पर सुनवाई के लिए नई तारीख तय करेगा. राफेल मामले में सुप्रीम कोर्ट को यह तय करना था कि इससे संबंधित डिफेंस के जो दस्तावेज लीक हुए हैं, उस आधार पर रिव्यू पिटिशन की सुनवाई की जाएगी या नहीं. कांग्रेस ने भी इस मामले में पीएम मोदी के खिलाफ अवमानना याचिका दायर की है.

हालांकि केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में लीक दस्तावेजों के आधार पर रिव्यू पिटिशन पर सुनवाई का विरोध किया था. सरकार की ओर से कहा गया था कि ये दस्तावेज प्रिविलेज्ड (विशेषाधिकार वाला गोपनीय) दस्तावेज है और इस कारण रिव्यू पिटिशन खारिज किया जाना चाहिए. हालांकि सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान जस्टिस के. एम. जोसेफ ने कहा था कि आरटीआई ऐक्ट 2005 में आया है और ये एक क्रांतिकारी कदम था. ऐसे में हम पीछे नहीं जा सकते.

कांग्रेस-आप का नहीं हुआ गठबंधन, कांग्रेस ने दिल्ली में घोषित किए सात उम्मीदवार

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लंबे समय से दिल्ली लोकसभा सीटों पर अटकी कांग्रेस प्रत्याशियों की उम्मीदवारी से अब बादल छट गए हैं. बीते कुछ समय से कांग्रेस-आम आदमी पार्टी की चर्चाएं चल रही थी. इन सबके बीच कांग्रेस ने अपनी दिल्ली संसदीय सीटों पर प्रत्याशियों की लिस्ट जारी कर दी है. इस सूची में 6 उम्मीदवारों के नाम शामिल हैं. एक सीट पर नाम घोषित नहीं हुआ ह़ै. गौर करने वाली बात यह रही कि पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के पुत्र संदीप दीक्षित को इस बार टिकट नहीं मिला है. हालांकि रोकी गई सीट में उनका नाम शामिल हो सकता है.

लिस्ट के अनुसार, संदीप ​दीक्षित की सीट पूर्वी दिल्ली से अरविंद सिंह लवली को कांग्रेस प्रत्याशी बनाया गया है. संदीप यहां से वर्तमान सांसद हैं. उत्तर पूर्वी दिल्ली सीट से शीला दीक्षित मैदान में हैं. इसी प्रकार, चांदनी चौक से जेपी अग्रवाल और नई दिल्ली से अजय माकन को कांग्रेसी उम्मीदवार बनाया गया है. दक्षिण पश्चिमी दिल्ली से राजेश लिलोठिया और पश्चिमी दिल्ली से महाबल मिश्रा पर कांग्रेस ने दांव खेला है. पं.दिल्ली की सीट पर फिलहाल उम्मीदवार का नाम शेष है.

कांग्रेस के सभी सीटों पर प्रत्याशी घोषित करने के बाद गठबंधन की ताक देख रहे आम आदमी पार्टी का सपना चूर—चूर हो गया है. ऐसे में संभावना है कि आज या कल में आप उम्मीदवारों की लिस्ट भी बाहर आ सकती है. सात सीटों पर होने वाले दिल्ली लोकसभा के चुनाव एक चरण में होंगे. यहां 12 मई को चुनाव संपन्न होंगे. चुनाव परिणाम 23 मई को घोषित किए जाएंगे.

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