राजस्थान में कांग्रेस उम्मीदवार, उनके समर्थक और वोटर्स भले ही यह दावा कर रहे है कि इस बार मोदी मैजिक या कोई लहर नहीं है, लेकिन धरातल पर उनके इन दावों में दम नहीं है. पॉलिटॉक्स न्यूज ने मारवाड़ से लेकर शेखावाटी तक और नहरी क्षेत्र से लेकर पूर्वी राजस्थान में जब हर सीट पर जाकर मतदाताओं को टटोला तो यही निकलकर आया की मोदी लहर अभी भी जारी है. साल 2014 की तरह लोगों को अब भी मोदी पर भरोसा है. राजस्थान की कई सीटों पर बीजेपी प्रत्याशियों को लेकर गहरी नाराजगी भी सामने आई है, लेकिन वोटर्स को प्रत्याशी से नहीं सिर्फ मोदी से मतलब है.

वहीं, बीजेपी प्रत्याशी से नाराज मतदाताओं का साफ कहना है कि पांच साल में हमारे सांसद हमें पूछने तक नहीं आए तो उनके विकास कार्य क्या गिनाएं, लेकिन हमें तो मोदी को जिताना है. इसलिए प्रत्याशी कैसा है, यह बात हमारे लिए मायने नहीं रख रही. इसे देखते हुए बीकानेर, झुंझुनूं, जोधपुर, सीकर, टोंक और श्रीगंगानर के बीजेपी प्रत्याशी की अगर जीत होगी तो सिर्फ मोदी के नाम पर ही होगी. वोटर्स का कहना है कि मोदी जैसे नेता को एक बार प्रधानमंत्री और बनना चाहिए. इसके पीछे लोगों का तर्क है कि पांच साल मोदी के लिए कम थे, इसलिए एक बार मौका देना बेहद जरुरी है.

यही कारण है कि मोदी मैजिक फैक्टर क्या कमाल कर पाएगा यह हर बीजेपी उम्मीदवार की जुबान से सुनने को मिल जाएगा. हर बीजेपी प्रत्याशी अपने भाषण में सिर्फ और सिर्फ मोदी का बखान कर रहा है. कोई भी प्रत्याशी अपने पांच साल के कार्यकाल का रिपोर्ट कार्ड जनता के सामने जिक्र तक नहीं करता. प्रत्याशियों की जुबां पर बस मोदी-मोदी ही है. ग्राउंड पर अस्सी फीसदी लोग फिर से मोदी सरकार बनने का ही दावा कर रहे हैं. जो लोग मोदी से थोड़े से नाराज हैं वे भी कहते हैं कि यह बात सही है कि मोदी कोई जादूगर तो नहीं है, जो एक बार में सब ठीक कर दे, इसलिए एक और मौका देकर परख लेते हैं.

आखिर कैसे है मोदी लहर बरकरार?
पॉलीटॉक्स न्यूज ने चुनावी कवरेज के दौरान करीब हजार लोगों की राय जानी. जब उनसे हमने सवाल किए कि मोदी ही क्यों, तो लोगों के ये तर्क और दलीलें थी कि मोदी ने दुनिया में देश का नाम रोशन किया है. हमारे पड़ोसी पाकिस्तान की बोलती बंद कर दी है. मोदी जब बोलता है तो ऐसा लगता है शेर दहाड़ता है. मोदी चेहरे का जादू देखिए कि लोग जीएसटी औऱ नोटबंदी से हुई अपनी परेशानी को भी भूल गए हैं. साथ ही लोग कहते हैं कि आज नहीं तो कल इसके अच्छे परिणाम आएंगे. कई लोग तो मोदी के पहनावे और भाषण शैली के भी कायल है. सबसे ज्यादा लोग मोदी के आक्रामक तेवर वाले भाषणों के जबरदस्त प्रशंसक हैं.

टक्कर की सीटों पर चलेगा मोदी मैजिक!
जानकारों की मानें तो जिन सीटों पर बीजेपी कांटे के मुकाबले में है, वहां मोदी नाम से उनकी जीत की नैया पार हो सकती है. उदाहरण के तौर पर बीकानेर में मतदाताओं में बीजेपी प्रत्याशी अर्जुनराम मेघवाल से नाराजगी देखने को मिल रही है. देवी सिंह भाटी जैसे नेता ने खुली बगावत कर दी है तो कई बीजेपी नेता और संगठन पदाधिकारी अर्जुन के खिलाफ हैं, लेकिन मोदी के बलबूते फिर भी अर्जुन मेघवाल रण में डटे हुए हैं. तमाम विरोध के बावजूद अगर अर्जुन ने जीत की चिड़िया पर निशाना लगा लिया तो इसका क्रेडिट सिर्फ और सिर्फ मोदी को ही जाएगा. खुद अर्जुन को इसका एहसास भी है, इसलिए वो अपनी सभाओं में मोदी धुन के गाने और जुबां में मोदी का यशोगान करने से नहीं चूकते.

जहां मोदी लहर बेअसर वहां संघ-शाह की रणनीति 
अगर किसी सीट पर बीजेपी उम्मीदवार के खिलाफ काफी नकारात्मक माहौल है तो उस पर सीधे अमित शाह और संघ नजर बनाए हुए हैं. उदाहरण के तौर पर टोंक-सवाई माधोपुर और बाड़मेर सीट पर फिलहाल कांग्रेस जातिगत और सियासी समीकरण से बेहद मजबूत हैं. लिहाजा इन सीटों पर संघ और शाह को विशेष रणनीति बनाई है. यही वजह है कि मोदी की बाड़मेर में सभा करानी पड़ी. वहीं, आपने देखा होगा कि चुनाव से पहले मोदी ने सबसे पहले सभा टोंक में ही की थी. तो कह सकते हैं कि राजस्थान में बीजेपी पूरी तरह से मोदी लहर पर ही सवार है और जहां लहर कमजोर है वहां शाह-संघ की रणनीति के नुस्खे आजमाए जा रहे हैं.

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