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‘एक देश एक चुनाव’ पर विपक्षी दलों की बैठक रद्द

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देश में लंबे समय से देश में विधानसभा और लोकसभा चुनाव एक साथ कराने को लेकर चर्चा छिड़ी हुई है. आज इसी मामले को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सभी राजनीतिक दलों के प्रमुखों की बैठक बुलाई है. प्रधानमंत्री द्वारा बुलाई इस बैठक में राष्ट्रीय पार्टियों, क्षेत्रीय पार्टियों के अध्यक्ष शामिल होंगे.यह बैठक आज दोपहर तीन बजे संसद भवन की लाइब्रेरी में होगी.

इससे पहले विपक्षी पार्टियों ने अपना रुख तय करने के लिए साझा बैठक बुलाई थी जिसमें कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी पार्टियों के वरिष्ठ नेताओं को शामिल होना था लेकिन किन्हीं कारणों से विपक्षी दलों की यह बैठक रद्द हो गई है. बैठक के रद्द् होने के कारणों का फिलहाल पता नहीं चल सकता है. इससे पहले बैठक को लेकर एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने बयान दिया है कि वह प्रधानमंत्री के द्वारा बुलाई गई बैठक में शामिल होंगे.

दूसरी ओर, इस मुद्दे को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीजेपी कोर ग्रुप की बैठक बुलाई है जिसमें पीएम के अलावा गृह मंत्री, संसदीय कार्यमंत्री शामिल होंगे.

बता दें कि तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख और बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, बसपा प्रमुख मायावती, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इस बैठक में शामिल होने से इनकार कर दिया है. वहीं कांग्रेस इस बैठक में शामिल तो होगी, लेकिन एक देश एक चुनाव के फार्मूले का विरोध करेगी.

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राजस्थान के कोटा सांसद ओम बिड़ला बने लोकसभा स्पीकर

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राजस्थान के कोटा सांसद ओम बिड़ला को आज लोकसभा के स्पीकर के तौर पर चुना गया है. लोकसभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रोटेम स्पीकर डॉ.विरेंद्र कुमार के सामने ओम बिड़ला को स्पीकर बनाए जाने का प्रस्ताव रखा जिसे राजनाथ सिंह, नितिन गड़करी और अमित शाह ने समर्थन किया. बाद में कांग्रेस और टीएमसी ने भी प्रस्ताव का समर्थन किया. इसके बाद प्रोटेम स्पीकर ने ओम बिड़ला को लोकसभा स्पीकर बनाए जाने की घोषणा करते हुए उनसे पद ग्रहण करने का निवेदन किया. बिड़ला के पद ग्रहण करने के बाद सभी सांसदों ने उन्हें बधाई दी.

बिड़ला के पद ग्रहण करने के बाद नरेंद्र मोदी ने सदन की उच्चतम परंपराओं के अनुसार, 17वीं लोकसभा के अध्यक्ष के रूप में ओम बिरला के सर्वसम्मति से चुने जाने का स्वागत किया. ओम बिड़ला को बधाई देते हुए प्रधानमंत्री ने आज लोकसभा में अपने संबोधन के दौरान कहा कि सदन के अध्यक्ष के रूप में इतना विशिष्ट व्यक्तित्व का होना सभी सदस्यों के लिए गर्व का क्षण है.

उन्होंने कहा कि ओम बिड़ला वर्षों से सार्वजनिक जीवन में रहे हैं. एक छात्र नेता के रूप में शुरुआत करते हुए वह निरंतर समाज की सेवा करते रहे हैं. प्रधानमंत्री ने कोटा (राजस्थान) के बदलाव और समग्र विकास में ओम बिड़ला द्वारा निभाई गई भूमिका की सराहना की.

प्रधानमंत्री ने नवनिर्वाचित अध्यक्ष के साथ अपने लंबे जुड़ाव को भी याद किया। उन्होंने बिड़ला की सेवा के प्रति समर्पण और भूकंप के बाद कच्छ में पुनर्निर्माण के प्रयासों तथा बाढ़ के बाद केदारनाथ के लिए किए गए उनके योगदान को भी रेखांकित किया. उन्होंने कहा कि 17वीं लोकसभा को इसके अध्यक्ष के रूप में एक सहृदय नेता मिल रहा है। प्रधानमंत्री ने अध्यक्ष को आश्वासन दिया कि वह सदन की कार्यवाही के सफलतापूर्वक संचालन में सदस्यों का पूर्ण सहयोग प्राप्त करेंगे.

राहुल गांधी का आज जन्मदिन, पीएम सहित कई नेताओं ने दी बधाई

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी का आज जन्मदिन है. राहुल आज अपना 49वां जन्मदिवस मना रहे हैं. सोनिया गांधी के पार्टी के अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने के बाद कांग्रेस की जिम्मेदारी राहुल के कंधों पर है. पिछले दो लोकसभा चुनावों में राहुल ने बीजेपी की नरेंद्र मोदी और अमित शाह की जोड़ी से कड़ी टक्कर ली लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा. फिलहाल राहुल पतन की ओर बढ़ रही कांग्रेस को उपर उठाने की रण​नीति बनाने में बिजी हैं.

केरल के वायनाड से सांसद राहुल के जन्मदिन पर पीएम नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर के स्वस्थ्य और दीर्घायु जीवन की कामना की है. रिट्वीट करते हुए राहुल गांधी ने उन्हें धन्यवाद कहा है. कांग्रेस और बीजेपी के कई नेताओं ने सोशल मीडिया पर उन्हें जन्मदिन की बधाई दी है.

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और डिप्टी सीएम सचिन पायलट सहित रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी राहुल गांधी को जन्मदिवस की शुभकामनाएं दी है.

राहुल आज सुबह 10 बजे कांग्रेस मुख्यालय में पार्टी कार्यकर्ताओं से मिलेंगे. 19 जून, 1970 को जन्मे राहुल ने इस बार अमेठी और वायनाड संसदीय सीटों से चुनाव लड़ा था. यूपी में कांग्रेस के गढ़ माने जाने वाले अमेठी सीट पर उन्हें बीजेपी नेता स्मृति इरानी से हार का सामना करना पड़ा था जबकि वायनाड में उन्हें जीत मिली थी. अमेठी से राहुल तीन बार सांसद चुने जा चुके हैं.

करप्शन पर मोदी सरकार का दूसरा वार, घूसखोर अधिकारियों को किया रवाना

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देश की सत्ता में वापिस लौटी नरेंद्र मोदी सरकार के करप्शन पर लगातार प्रहार जारी हैं. फिलहाल ये करारे प्रहार सरकारी विभागों में सफाई यानि नाकारा या भ्रष्टाचारी अधिकारियों पर दागे जा रहे हैं. हाल ही में केंद्र सरकार ने अपने 12 वरिष्ठ अफसरों को जबरन रिटायरमेंट दे दिया था. इन सभी पर भ्रष्टाचार संबंधी कई आरोप लगे थे. अब इसी दिशा में कदम आगे बढ़ाते हुए सरकार ने वित्त मंत्रालय के 15 सीनियर अफसरों को जबरन रिटायर करने का निर्णय लिया है. इनमें मुख्य आयुक्त, आयुक्त और अतिरिक्त आयुक्त स्तर के अधिकारी शामिल हैं. इनमें से अधिकतर अधिकारियों पर भ्रष्टाचार और घूसखोरी के आरोप लगे हैं. ये सभी अधिकारी केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड और कस्टम विभाग से संबंधित हैं.

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वित्त मंत्री बनने के ​बाद निर्मला सीतारमण के सख्त फैसले ऐसे ही आगे भी जारी रहेंगे, अब ऐसी उम्मीदों को पुख्ता बल मिलने लगा है. बता दें, डिपार्टमेंट ऑफ पर्सनल ऐंड एडमिनिस्ट्रेटिव रिफॉर्म्स के नियम 56 के तहत वित्त मंत्रालय के इन अफसरों को सरकार समय से पहले ही रिटायरमेंट दे रही है. अब तक कुल 27 अफसरों को जबरन रिटायमेंट दिया जा चुका है.

इन 15 अधिकारियों को किया है आउट

  • प्रिंसिपल कमिश्नर डॉ. अनूप श्रीवास्तव
  • कमिश्नर अतुल दीक्ष‍ित
  • कमिश्नर संसार चंद
  • कमिश्नर हर्षा
  • कमिश्नर विनय व्रिज सिंह
  • अडिशनल कमिश्नर अशोक महिदा
  • अडिशनल कमिश्नर वीरेंद्र अग्रवाल
  • डिप्टी कमिश्नर अमरेश जैन
  • ज्वाइंट कमिश्नर नलिन कुमार
  • असिस्टेंट कमिश्नर एसएस पाब्ना
  • असिस्टेंट कमिश्नर एसएस बिष्ट
  • असिस्टेंट कमिश्नर विनोद सांगा
  • अडिशनल कमिश्नर राजू सेकर
  • डिप्टी कमिश्नर अशोक कुमार असवाल और
  • असिस्टेंट कमिश्नर मोहम्मद अल्ताफ

क्या है नियम 56
दरअसल, रूल 56 का इस्तेमाल ऐसे अधिकारियों पर किया जा सकता है जो 50 से 55 साल की उम्र के हों और 30 साल का कार्यकाल पूरा कर चुके हैं. सरकार के जरिए ऐसे अधिकारियों को अनिर्वाय रिटायरमेंट दिया जा सकता है. ऐसा करने के पीछे सरकार का मकसद नॉन-फॉर्मिंग सरकारी सेवक को रिटायर करना होता है. सरकार के जरिए अधिकारियों को अनिवार्य रिटायरमेंट दिए जाने का नियम काफी पहले से ही प्रभावी है.

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राजस्थान: विधानसभा सत्र के बाद होगी राजनीतिक नियुक्तियां और मंत्रीमंडल में फेरबदल

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विधानसभा सत्र के चलते और राहुल गांधी के इस्तीफे का पटाक्षेप नहीं होने के कारण राजस्थान सरकार के मंत्रीमंडल में किसी भी तरह के फेरबदल की अटकलों पर फिलहाल विराम लग गया है. साथ ही राजनीतिक नियुक्तियों पर भी ब्रेक लग गए है. अब विधानसभा सत्र के बाद अगस्त या फिर दिवाली से पहले यह फेरबदल और नियुक्तियां होना तय है. हालांकि दिल्ली से लेकर जयपुर तक इसके लिए लॉबिंग जारी है.

सूत्रों के मुताबिक, प्रियंका गांधी ने यह दोनों अहम काम फिलहाल अपने हाथ में लिए हैं. मंत्रीमंडल फेरबदल-विस्तार और निुयक्तियों में बसपा और निर्दलीय विधायकों को भी मौका मिलना तय है. अगर ऐसा होता है तो कांग्रेस कोटे के कुछ मंत्रियों की छुट्टी हो सकती है. लोकसभा चुनाव परिणाम और उसमें परफोर्मेंस के आधार पर नेताओं को मौका दिया जाएगा.

मौजूदा मंत्रियों को देने हैं सवालों के जवाब
विधानसभा का सत्र 27 जून से शुरु हो जाएगा. इसके लिए मंत्री सवालों का जवाब देने की तैयारी में जुट गए हैं. ऐसे में यह तय है कि सत्र समाप्ति से पहले किसी भी तरह का बदलाव मंत्रीमंडल में नहीं होगा. आलाकमान से भी अभी सीएम अशोक गहलोत ने इस बारे में अभी कोई चर्चा नहीं की है. वहीं राजनीतिक नियुक्तियों की सुगबुगाहट भी अब बंद हो गई है. इन दोनों कामों के लिए आलाकमान की अनुमति जरुरी है लेकिन पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी के इस्तीफा प्रकरण के चलते पूरी कांग्रेस ऊहापोह में है. हालांकि नियुक्तियों के बारे में बताया जा रहा है कि नामों की फाइल प्रियंका गांधी के पास पहुंच चुकी है. लेकिन प्रियंका गांधी अभी इस्तीफा प्रकरण को हैंडल करने में बिजी है. ऐसे में पूरी संभावना है कि अब जो भी होगा, अगस्त माह में होगा. किसी कारणवश यह बदलाव अगस्त में नहीं होता है तो दिवाली से पहले होना फाइनल है.

कुछ के विभाग बदलेंगे तो कुछ की होगी छुट्टी
मंत्रीमंडल फेरबदल और विस्तार के तहत कुछ मौजूदा मंत्रियों की चाहत और परफोर्मेंस को देखते हुए उनका कद बढ़ाया जा सकता है. सूत्रों के मुताबिक, रमेश मीणा और गोविंद डोटासरा जैसे शानदार काम करने वाले मंत्रियों को और अच्छे विभागों का उपहार दिया जा सकता है. वहीं कुछ मंत्रियों ने दूसरे विभाग देने पर अच्छा काम कर दिखाने की गुहार लगाई है. लोकसभा चुनाव में खराब परफोर्मेंस और कार्यकर्ताओं की फीडबैक के आधार पर कुछ मंत्रियों की छुट्टी होने की संभावना भी नजर आ रही है.

अधीर रंजन चौधरी होंगे लोकसभा में कांग्रेस के नेता

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लंबी माथापच्ची के बाद आखिरकार कांग्रेस ने लोकसभा में पार्टी के नेता का चयन कर लिया है. पार्टी ने पश्चिम बंगाल की बहरामपुर लोकसभा सीट से सांसद चुनकर आए अधीर रंजन चौधरी को नेता चुना है. हालांकि इससे पहले पार्टी नेताओं ने लोकसभा में नेता बनने के लिए राहुल गांधी से काफी मान-मनौवल की लेकिन राहुल गांधी नहीं माने. इसके बाद सोनिया गांधी और वरिष्ठ नेताओं ने लोकसभा सांसदों में से नेता की तलाश की.

लोकसभा नेता की दौड़ में पंजाब की लुधियाना सीट के सांसद मनीष तिवारी, असम के पूर्व मुख्यमंत्री तरुण गोगोई के पुत्र गौरव गोगोई, केरल से 7वी बार सांसद चुनकर आए के. सुरेश और बंगाल की बहरामपुर सीट के सांसद अधीर रंजन चौधरी शामिल थे. तमाम नामों पर चर्चा के बाद अधीर रंजन चौधरी के नाम पर सहमति बनी है.

16वी लोकसभा में भी कांग्रेस के पास मुख्य विपक्षी दल बनने लायक सीटें नहीं थी जिसके कारण पार्टी के किसी नेता को विपक्ष दल के नेता बनने का अवसर नहीं मिल पाया था. हालांकि कर्नाटक से आने वाले मल्लिकार्जुन खड़गे को लोकसभा में कांग्रेस का नेता बनाया गया था. इस बार मल्लिकार्जुन खड़गे लोकसभा का चुनाव हार गए हैं.

बात करें अधीर रंजन चौधरी की तो चौधरी बंगाल की सियासत का बड़ा चेहरा हैं. वर्तमान में बंगाल के अंदर बीजेपी जिस आक्रामक तरीके से ममता को घेर रही है, अधीर रंजन इस काम को लंबे अरसे कर रहे हैं. यही कारण है कि जिस दौर में मोहम्मद सलीम जैसे नेताओं की जमानत जब्त हो गई, वहां अधीर रंजन चौधरी करीब 80 हजार वोटों के अंतर से चुनाव जीतने में कामयाब रहे.

बंगाल में कांग्रेस को सिर्फ इसी सीट पर जीत मिली है. अधीर रंजन बंगाल की बहरामपुर लोकसभा सीट से लगातार 1999, 2004, 2009, 2014 और 2019 सहित लगातार पांच बार सांसद चुने जा चुके हैं. लगातार मिली इन जीतों का आंकड़ा ही अधीर रंजन के कद को तस्दीक करता है.

चौधरी ने लंबे समय तक बंगाल कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष का दायित्व भी निभाया था लेकिन ममता के विरोध के चलते उनको हटा दिया गया था. अब पार्टी एक बार फिर बंगाल में अपनी खोई जमीन पाना चाहती है. यही वजह है कि अधीर रंजन को लोकसभा में पार्टी का नेता बनाया गया है. वे बंगाल विधानसभा के दो बार सदस्य भी निर्वाचित हो चुके हैं. सोनिया गांधी ने उनका नाम लोकसभा सचिव को सौंप दिया है. हालांकि कांग्रेस की तरफ से औपचारिक घोषणा होना अभी शेष है.

अर्जुन मेघवाल ने ली इस अंदाज में शपथ

कौन हैं ओम बिड़ला, जो बनेंगे लोकसभा के नए स्पीकर

राजस्थान के कोटा सांसद ओम बिड़ला को 17वीं लोकसभा का अध्यक्ष/स्पीकर चुना गया है. लोकसभा अध्यक्ष के लिए बिड़ला का नाम चुनकर मोदी-शाह की जोड़ी ने राजनीतिक विशेषज्ञों को फिर से एक बार चौंकाया है. बिड़ला कोटा लोकसभा सीट से दूसरी बार सांसद निर्वाचित होकर आए हैं. इससे पूर्व बिड़ला तीन बार बीजेपी के टिकट पर विधानसभा के सदस्य निर्वाचित हो चुके हैं.

ओम बिड़ला ने एक साधारण कार्यकर्ता से लोकसभा अध्यक्ष का सफर कैसे पूरा किया, आइए जानते हैं हमारी इस खास रिपोर्ट में…

1962 में कोटा के श्रीकृष्ण बिड़ला और शकुन्तला देवी के घर ओम बिड़ला का जन्म हुआ. बिड़ला की शुरुआती शिक्षा कोटा के स्कूल में संपन्न हुई. 10वीं की शिक्षा पूर्ण करने के बाद वे गुमानपुरा राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय में शिक्षा प्राप्त करने गए. बिड़ला शुरु से ही अपने अधिकारों के प्रति जागरुक थे.

वे स्कूल के दौरान छात्रों के अधिकारों के लिए प्रतिबद्ध रहते थे. बाद में वे बीजेपी के छात्र संघटन अखिल भारतीय विघार्थी परिषद से जुड़े और अन्य छात्रों को भी परिषद की विचारधारा से जोड़ा.

इस दौरान उनके मित्रों और अन्य सहयोगियों ने उनसे छात्रसंघ अध्यक्ष का चुनाव लड़ने का आग्रह किया. बिड़ला चुनाव लड़े और रिकॉर्ड अंतर से जीते. उच्च शिक्षा के लिए उन्होंने कोटा वाणिज्य महाविद्यालय में प्रवेश लिया. बिड़ला ने यहां भी छात्रसंघ चुनाव में भाग लिया और छात्रसंघ सचिव निर्वाचित हुए. विद्यार्थी परिषद में किए गए उनके कार्य से खुश होकर पार्टी ने उन्हें युवा मोर्चा जिलाध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी.

बिड़ला हमेशा पार्टी के द्वारा दी गई जिम्मेदारी को लगन से निभाते रहे हैं. इस बार भी उन्होंने अपने काम से पार्टी आलाकमान को खुश कर दिया. पार्टी ने बिड़ला का प्रमोशन करते हुए उन्हें युवा मोर्चा के प्रदेशाध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी.

2003 उनके लिए बड़ी खुशी लेकर आया. विधानसभा चुनाव में उन्हें बीजेपी ने कोटा उत्तर सीट से प्रत्याशी बनाया. ओम बिड़ला पार्टी के उम्मीदों पर खरा उतरे और उन्होंने कांग्रेसी दिग्गज शांति धारीवाल को पटकनी दी. इस जीत के बाद उनका सियासी करियर परवान पर चलता गया.

2008 के चुनाव में उनको पार्टी ने कोटा उत्तर की जगह कोटा दक्षिण सीट से प्रत्याशी बनाया. यहां भी बिड़ला का जादू बरकरार रहा. उन्होंने कांग्रेस के रामकिशन को भारी अंतर से चुनाव हराया. 2013 के विधानसभा चुनाव में बिड़ला ने कांग्रेस के पंकज मेहता को करीब 50 हजार वोटों से मात दी.

इसके बाद 2014 के लोकसभा चुनाव में उन्हें कोटा लोकसभा क्षेत्र से प्रत्याशी बनाया गया. मोदी लहर पर सवार होकर दिल्ली पहुंचे बिड़ला ने तत्कालीन सांसद और दिग्गज़ कांग्रेसी नेता इज्यराज सिंह को मात दी. राजस्थान की सभी 25 सीटें बीजेपी के खाते में गईं.

2019 के चुनाव में उनके प्रतिदंदी इज्यराज सिंह अब बीजेपी में आ चुके थे. वसुंधरा राजे इस बार कोटा लोकसभा क्षेत्र से बिड़ला की जगह इज्यराज सिंह को टिकट देना चाहती थी. बीजेपी के स्थानीय नेता भवानी सिंह राजावत और प्रहलाद गुंजल भी बिड़ला को टिकट देने का विरोध कर रहे थे. लेकिन वसुंधरा और बीजेपी नेता चाहकर भी बिड़ला का टिकट नहीं काट पाए.

इसी बीच बिड़ला अमित शाह से सीधे संबंधों के दम पर दिल्ली से टिकट निकाल लाए. यहां उन्होंने कांग्रेसी दिग्गज़ रामनारायण मीणा को करीब 2.80 लाख के भारी अंतर से बड़ी शिख्स्त दी.

अब ओम बिड़ला को बीजेपी की तरफ से 17वीं लोकसभा अध्यक्ष का उम्मीदवार बनाया गया है. हालांकि बिड़ला की जीत निश्चित है क्योंकि लोकसभा में बीजेपी के पास बहुमत है. ऐसे में उन्हें स्पीकर बनने में कोई परेशानी नहीं होने वाली है.

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