देश की सत्ता में वापिस लौटी नरेंद्र मोदी सरकार के करप्शन पर लगातार प्रहार जारी हैं. फिलहाल ये करारे प्रहार सरकारी विभागों में सफाई यानि नाकारा या भ्रष्टाचारी अधिकारियों पर दागे जा रहे हैं. हाल ही में केंद्र सरकार ने अपने 12 वरिष्ठ अफसरों को जबरन रिटायरमेंट दे दिया था. इन सभी पर भ्रष्टाचार संबंधी कई आरोप लगे थे. अब इसी दिशा में कदम आगे बढ़ाते हुए सरकार ने वित्त मंत्रालय के 15 सीनियर अफसरों को जबरन रिटायर करने का निर्णय लिया है. इनमें मुख्य आयुक्त, आयुक्त और अतिरिक्त आयुक्त स्तर के अधिकारी शामिल हैं. इनमें से अधिकतर अधिकारियों पर भ्रष्टाचार और घूसखोरी के आरोप लगे हैं. ये सभी अधिकारी केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड और कस्टम विभाग से संबंधित हैं.
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वित्त मंत्री बनने के बाद निर्मला सीतारमण के सख्त फैसले ऐसे ही आगे भी जारी रहेंगे, अब ऐसी उम्मीदों को पुख्ता बल मिलने लगा है. बता दें, डिपार्टमेंट ऑफ पर्सनल ऐंड एडमिनिस्ट्रेटिव रिफॉर्म्स के नियम 56 के तहत वित्त मंत्रालय के इन अफसरों को सरकार समय से पहले ही रिटायरमेंट दे रही है. अब तक कुल 27 अफसरों को जबरन रिटायमेंट दिया जा चुका है.
इन 15 अधिकारियों को किया है आउट
- प्रिंसिपल कमिश्नर डॉ. अनूप श्रीवास्तव
- कमिश्नर अतुल दीक्षित
- कमिश्नर संसार चंद
- कमिश्नर हर्षा
- कमिश्नर विनय व्रिज सिंह
- अडिशनल कमिश्नर अशोक महिदा
- अडिशनल कमिश्नर वीरेंद्र अग्रवाल
- डिप्टी कमिश्नर अमरेश जैन
- ज्वाइंट कमिश्नर नलिन कुमार
- असिस्टेंट कमिश्नर एसएस पाब्ना
- असिस्टेंट कमिश्नर एसएस बिष्ट
- असिस्टेंट कमिश्नर विनोद सांगा
- अडिशनल कमिश्नर राजू सेकर
- डिप्टी कमिश्नर अशोक कुमार असवाल और
- असिस्टेंट कमिश्नर मोहम्मद अल्ताफ
क्या है नियम 56
दरअसल, रूल 56 का इस्तेमाल ऐसे अधिकारियों पर किया जा सकता है जो 50 से 55 साल की उम्र के हों और 30 साल का कार्यकाल पूरा कर चुके हैं. सरकार के जरिए ऐसे अधिकारियों को अनिर्वाय रिटायरमेंट दिया जा सकता है. ऐसा करने के पीछे सरकार का मकसद नॉन-फॉर्मिंग सरकारी सेवक को रिटायर करना होता है. सरकार के जरिए अधिकारियों को अनिवार्य रिटायरमेंट दिए जाने का नियम काफी पहले से ही प्रभावी है.