Pm Modi meeting
Pm Modi meeting

Rajasthanupdates. राजस्थान में अक्टूबर-नवंबर मे होने वाले विधानसभा चुनावों को लेकर भारतीय जनता पार्टी ने अपनी कवायत शुरू कर दी है. इसके​ लिए पार्टी आलाकमान की ओर से रणनीति तैयार की जा रही है. इसी को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राजस्थान के सभी 25 लोकसभा सांसदों सहित सभी राज्यसभा सांसदों को दिल्ली बुलाकर एक बैठक ली है. इस बैठक में सांसदों के अलावा राजस्थान से जुड़े अन्य नेता भी मौजूद रहे. इस बैठक में पीएम मोदी ने सांसदों सहित मौजूद अन्य सभी नेताओं से राजस्थान में आगामी विधानसभा चुनाव एवं संगठन को लेकर फीडबैक लिया. इसके साथ ही प्रदेश की राजनीति, कांग्रेस सरकार की योजनाओं एवं सरकार के खिलाफ आगामी प्रदर्शनों सहित अन्य मद्दों लेकर भी चर्चा की.

जैसा कि सर्वविदित है कि आगामी विधानसभा चुनाव में वसुंधरा राजे को आगे न रखकर पीएम मोदी के चेहरे और केंद्र की योजनाओं पर चुनाव लड़ा जाना है. इसके लिए सभी स्थानीय नेताओं की जिम्मेदारियों को लेकर पीएम मोदी ने सभी को अवगत कराया. पीएम मोदी ने प्रदेश के नेताओं को यह नसीहत भी दी है कि वह अति आत्मविश्वास में ना रहे. और  जमीन से जुड़कर चुनाव की तैयारियों में जुट जाएं.

गौरतलब है कि केंद्रीय आलाकमान को विस चुनावों में कांग्रेस से ज्यादा बीजेपी की अंदरुनी गुटबाजी से खतरा है. स्थानीय नेताओं की गुटबाजी ही केन्द्रीय नेतृत्व के लिए असल सिरदर्द बनी हुई हैं. एक अगस्त को जयपुर में बीजेपी द्वारा आयोजित सचिवालय घेराव कार्यक्रम से प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की दूरी और तीन दिन पहले उनके गुट के नेता देवी सिंह भाटी का बयान यह बताने के लिए काफी है कि प्रदेश बीजेपी में गुटबाजी किस कदर हावी है. देवी सिंह भाटी फिलहाल बीजेपी से निष्काषित हैं. ऐसे में वो खुलकर वसुंधरा राजे के पक्ष में बोल रहे है. इन चुनावों में वसुंधरा राजे के रोल को लेकर भी बीजेपी मुख्यालय से लेकर कार्यकर्ताओं में चर्चा आम हैं.

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वहीं दूसरी ओर, प्रदेशाध्यक्ष सीपी जोशी, केन्द्रीय मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत, नेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़, उपनेता प्रतिपक्ष सतीश पूनिया और केन्द्रीय मंत्री अर्जुनराम मेघवाल सहित अन्य प्रदेश के बड़े नेताओ का राजस्थान की राजनीति में अपना अहम रोल हैं. इनके भी पक्ष और विपक्ष में गुटबाजी से आलाकमान अनदेखा नहीं है. यही वजह रही कि प्रदेश बीजेपी के बाहर सभी नेताओं के बैनर और पोस्टर्स को हटाकर केवल ‘कमल’ का निशान लगा दिया गया है. इसके बावजूद भी स्थानीय गुटबाजी एकजुट राजनीति पर हावी हो रही है. पूर्व सीएम राजे के बंगले के बाहर ‘राजे को सीएम बनाने के लिए समर्थन दें’ का बैनर हाल ही में जमकर सुर्खियां बटौर चुका है. मौन स्वीकृति ही सही, लेकिन राजे की अनुमति से ही ये बैनर वहां लगाया गया था, इसमें कोई दोराय नहीं है. बस केंद्रीय आलाकमान इसी गुटबाजी पर नियंत्रण लगाने की जीतोड़ कोशिश कर रहा है.

इसी कड़ी में संभावना जताई जा रही है कि पीएम मोदी जल्द ही सभी 25 सांसदों से अलग अलग फीडबैक मीटिंग कर सकते हैं और उनसे प्रदेश की राजनीति स्थितियों के बारे में फीडबैक ले सकते हैं. इसे लेकर कार्यक्रम तैयार किया जा रहा है. इसके अलावा, अगस्त के अंतिम सप्ताह में एक फीडबैक कार्यक्रम आयोजित हो सकता हैं जिसमें सांसदों, केंद्रीय मंत्रियों, विधायकों, नेता प्रतिपक्ष, उपनेता प्रतिपक्ष सहित अन्य संगठन से जुड़े पदाधिकारियों को बुलाया जाएगा. इस कार्यक्रम में सभी से चुनावों को लेकर फीडबैक लिया जाएगा. इनसे जुड़े मुद्दों को लेकर नेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ पिछले दो दिनों से दिल्ली में ही मौजूद है और संगठन से जुड़े कई नेताओ से मुलाकात भी कर रहे हैं. आगामी समय में बीजेपी की स्थानीय नेताओं की दिल्ली जाने की कवायत में तेजी आने की पूरी पूरी उम्मीद है.

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