पॉलिटॉक्स न्यूज़/राजस्थान. राजस्थान की 15वीं विधानसभा के चतुर्थ सत्र की कार्यवाही के दौरान सोमवार को रालोपा के दो विधायकों पुखराज गर्ग और इंदिरा देवी बावरी के खिलाफ पुलिस कार्रवाई को लेकर भाजपा ने विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव पेश किया. उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने प्रस्ताव रखते हुए कहा कि चलते सत्र के दौरान विधायकों को पुलिस पूछताछ के लिए नोटिस कैसे दे सकती है. यह सब विधायकों को भगोड़ा घोषित करने की साजिश के तहत किया जा रहा है. इस पर स्पीकर सीपी जोशी ने कहा कि मैं मामले की गंभीरता को स्वीकार करता हूं. विधायकों को विधानसभा सत्र में पूछताछ के लिए बुलाना सदन के निर्देशों का साफ उल्लंघन है. इसके साथ ही जोशी ने कहा इस मामले में सरकार के वर्सन के बाद वो इस पर निर्णय लेंगे.
भगोड़ा करार देने के लिए नोटिस किए चस्पा
दरअसल, रालोपा से भोपालगढ़ विधायक पुखराज गर्ग और मेड़ता विधायक इंदिरा देवी बावरी पर बीते अगस्त महीने में प्रशासन द्वारा नागौर की बंजारा बस्ती को हटाते समय आंदोलन करने को लेकर पुलिस द्वारा राजकार्य में बाधा डालने का मुकदमा दर्ज किया था. इसको लेकर गत शनिवार को दोनों विधायकों के घर पर पुलिस द्वारा नोटिस चस्पा किया गया. इस पर उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड ने विशेषाधिकार हनन का प्रस्ताव सदन में रखा. राठौड ने सदन में कहा कि हम लोग सदन में एक विशेषाधिकार के तहत जनप्रतिनिधि के तहत चुनकर आते है. जब सदन की कार्यवाही चालू रहती है तब विधायकों से संबंधित कोई बैठक भी आहूत नहीं की जाती है. पुलिस ने एक नोटिस जारी कर दोनों विधायकों को आरोपी बताते हुए कहा कि 2 मार्च को नागौर में आईजी के समक्ष प्रस्तुत हों, इससे बडा विशेषाधिकार हनन कोई हो नहीं सकता.
राजेन्द्र राठौड ने कहा कि सदन चल रहा है हम सभी जनप्रतिनिधि के तौर पर जनता की बात यहां कहना चाहते हैं, राजस्थान पुलिस की हिमाकत देखिए इस प्रकार नोटिस जारी करके सदस्यों को पाबंद करना चाहते है. यह मामला छोटा नहीं है, जनप्रतिनिधी जनता के बीच जाता है, आंदोलन करता है इस दौरान उस पर मुकदमें भी दर्ज होते है, यह पहला उदाहरण है बंजारों के मकान टूटे दोनों विधायकों ने विरोध किया. पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया. पुलिस ने इन्हें भगोडा करार देने के लिए इनके घर पर नोटिस चस्पा किया है. इस पर आप सदन में चर्चा करें और सदस्यों की सुनें.
इनकों लिख के दे देना चाहिए कि विधानसभा की कार्यवाही चलने के कारण उपस्थित नहीं हो सकते
इस पर सरकार की ओर से ऊर्जा मंत्री बीडी कल्ला ने कहा कि उपनेता प्रतिपक्ष ने विशेषाधिकार हनन के जरिए इस बात को रखा ना तो इन्होने कोई प्रश्न रखा और ना ही कोई दस्तावेज प्रस्तुत किए. उन्हें यह प्रश्न प्रश्नकाल के दौरान पूछना चाहिए था. अध्यक्ष महोदय के सामने यह मामला उठाना चाहिए था. यह विधिक मामला है विधिक मामलों में अनुसार पुलिस ने कार्यवाही की है. इस समय डिबेट चल रही है इस तरह विशेषाधिकार के जरिए प्रश्न उठाना अनुचित है. हाइकोर्ट के आदेश की पालना के लिए प्रशासन वहां गया हुआ था. न्यायपालिका, कार्यपालिका और विधायिका ये संविधान के स्तम्भ है. न्यायपालिका के आदेश की क्रियान्विती नहीं हो तो किसकी जिम्मेदारी है. न्यायपालिका अपना काम करती है. बीड़ी कल्ला ने सलाह देते हुए कहा कि इनकों लिख के दे देना चाहिए कि विधानसभा की कार्यवाही चलने के कारण उपस्थित नहीं हो सकते, प्रशासन को मंजूर करना पडेगा.
सीपी जोशी ने जताई नाराजगी, विधायकों को सदन की कार्यवाही से दूर रखने की कोशिश
इस मामले विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी ने बीड़ी कल्ला को कहा मैं आपके जवाब से संतुष्ट नहीं हूं. जोशी ने नाराजगी जताते हुए कहा कि मैं विषय की गंभीरता को स्वीकार करता हूं. क्योंकि एक विधायक जो चुनकर आता है वह अपने कर्तव्य के निर्वहन करने में कानून का उलंघन भी करता है तो भी सभी अधिकारियों को मालूम है कि विधानसभा चलती है तब थानाधिकारी द्वारा बुलाना विधानसभा के निर्देशों का उल्लंघन है. मेडता विधायक एक ऐसे समाज से आती हैं जिसने हिम्मत करके चुनाव लडके इस सदन में आने की हिम्मत की है. अपनी बात कहने का साहस किया है. ऐसे में उन्हें सदन की कार्यवाही से दूर रखने की कोशिश की जा रही है.
अध्यक्ष सीपी जोशी ने आगे कहा कि सदन की कार्यवाही जब चलती है तो किसी भी तरह की मीटिंग नहीं होनी चाहिए. यह जानकारी होने के बाद भी सदस्यों को सदन की कार्यवाही से वंचित करने का प्रयास किया जा रहा है. जिस अधिकारी ने सदस्यों को यह नोटिस दिया है मैं उससे सहमत नहीं हूं. सरकार से जवाब आने के बाद तय करूंगा कि इस मामले को विशेषाधिकार कमेटी को दिया जाए या फिर सदन में चर्चा किया जाए. सरकार अपने विभाग के अधिकारी को चाहे वो पुलिस या अन्य विभाग का हो, विधानसभा के कार्यालय से निर्देश दिए हुए हैं कि सदस्यों को विधानसभा से दूर करने का प्रयास नहीं करें. विधानसभा चल रही है इसके बाद भी इस तरह का नोटिस दिया है. मैं सरकार के इस जवाब से सहमत नहीं हूं कि विधायक यह लिखकर दे दे कि बाद में आ जाए. सदन में इस तरह की कार्यवाही से सरकारी कर्मचारीयों में मैसेज नहीं जाना चाहिए.
मेडता विधायक इंद्रा देवी बावरी ने मामले में सदन में अपनी बात रखते हुए बताया कि मेरे घर पर रात को 9 बजे पुलिस आई और बच्चों को धमकी देते हुए मेरे घर पर नोटिस चस्पा कर दिया. वहीं भोपालगढ विधायक पुखराज गर्ग ने कहा कि जब बंजारा बस्ती पर प्रशासन की कार्यवाही चल रही थी तब हम लोग वहां पर गए. हमारा वहां जाने का उददेश्य किसी भी प्रकार से प्रशासन की कार्यवाही को बाधित करने का नहीं था. हम वहां बंजारो के लिए अस्थायी निवास की मांग करने के लिए गए थे. जैसे ही हम लोग वहां पहुचे एसडीएम ने लाठीचार्ज का आदेश दिया. यह कैसे कहा जा सकता है कि हमने राजकार्य में बाधा डाली. हम यहां सदन में है और पुलिस पिछले चार दिन से हमारे घर जाकर नोटिस चस्पा कर रही है. मेरे घरवालों को धमकाया जा रहा है. एफआईआर दर्ज होना आरोप सिद्ध होना नहीं है नोटिस में हमको आरोपी लिखा गया है. पुलिस हमारे ऊपर दबाव बना रही है.
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रालोपा विधायक नारायण बेनीवाल ने कहा कि बंजारा बस्ती के निवासियों को बिना पुर्नवास दिये वहां प्रशासन की कार्रवाई चल रही थी. एसडीएम ने दोनों विधायकों को धक्के दिए अपशब्द बोले. एक तरफ दलित उत्थान की बात होती है और दूसरी तरफ दलित विधायकों पर दादागिरी की जा रही है. लोकतंत्र के लिए इससे बडी शर्मनाक घटना नहीं हो सकती है. इस प्रकरण में 32 दिन बाद एसडीएम के खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई उसके बाद बिना दोनों विधायकों के बयान दर्ज किए एफआर लगा दी गई. नारायण बेनीवाल ने मांग की, इस मामले में तुरंत कार्रवाई कर दोषी अधिकारी-कर्मचारियों पर कार्रवाई की जाए.