यूपी बीजेपी में हो रही लगातार टूट, अखिलेश बोले- दिवाला निकालने वाली पार्टी है भाजपा

बसपा और भाजपा के नेता-कार्यकर्ता सपा में हो रहे शामिल, शेयर की छोटी सी कविता, बीएसपी से भी चल रही है नारागजी, हाल में हुए राज्यसभा चुनाव में एक-एक सीट पर कब्जा किया सपा और बसपा ने, 8 पर काबिज हुई बीजेपी

Akhilesh Yadav Sp
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Politalks.News/UP. उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनावों को अभी डेढ़ साल का वक्त शेष है लेकिन सियासी बिसात अभी से बिछना शुरु हो गया है. समाजवादी पार्टी भी लगातार अपनी तैयारियों में लगी हुई है. सपा लगातार बीजेपी और बसपा को झटके पर झटके दे रही है. अंदरुनी प्रयासों के चलते बीजेपी और बसपा के कई बड़केे नेता और कार्यकर्ता अब तक सपा में शामिल हो चुके हैं. सोमवार को भी बसपा के कई नेता सपा में शामिल हुए. इस मौके पर सपा अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने प्रदेश की योगी सरकार पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि दिवाली का सुखद पर्व आ रहा है लेकिन बीजेपी दिवाली मनाने वाली नहीं बल्कि लोगों का दिवाला निकालने वाली पार्टी है.

सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) दीपावली नहीं मनाती है लेकिन लोगों का दिवाला निकाल देती है. उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में किसी भी तरह से केवल सरकार बनाने के लिए बीजेपी ने नोटबंदी की थी. बीजेपी ने देश की जनता को निराश किया और पूरे देश की जनता का भरोसा तोड़ा है. ये भी बता दें कि हाल में कई बीजेपी के कार्यकर्ताओं ने कमल छोड़ साइकिल वाले अखिलेश यादव की पार्टी का हाथ थामा था.

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इससे पहले अखिलेश यादव ने अपने अधिकारिक ट्वीटर पेज पर योगी सरकार के खिलाफ एक छोटी सी कविता भी शेयर की.

अखिलेश यादव ने आगामी विधानसभा चुनावों की तैयारियां काफी पहले से करना शुरु कर दिया है. इसी कड़ी में अखिलेश यादव की मौजूदगी में बीएसपी नेता कैलाश नाथ सिंह यादव समेत कई नेताओं ने समाजवादी पार्टी ज्वॉइन कर ली. कैलाश नाथ सिंह यादव के अलावा बालकुमार पटेल, कैसर जहां, सुनील यादव, कांग्रेस नेता राम सिंह पटेल, रमेश राही, जास्मीन अंसारी, अशफाक खां, जेडीयू नेता अरविंद सिंह पटेल, आशीष मिश्रा समेत कई लोगों ने सपा की सदस्यता ले ली. इसी के साथ कुर्मी समाज के भी सैंकड़ों साथियों ने सपा की सदस्यता ग्रहण की. इस दौरान अखिलेश यादव ने मोदी सरकार पर जमकर निशाना साधा.

हाल में राज्यसभा चुनाव में सपा की स्पष्ट समर्थन वाली सीट को अपने पक्ष में करने से सपा ने एक निर्दलीय उम्मीदवार को समर्थन ​दे दिया था. इसके साथ ही यूपी विधानसभा में सात बसपा विधायकों ने बसपा प्रत्याशी के समर्थन में दिए पत्र में अपने हस्ताक्षर न होने की बात कहकर विधानसभा अध्यक्ष को पत्र दिया था. इसके तुरंत बाद अखिलेश यादव से मुलाकात की. इस पर एक्शन लेते हुए मायावती ने सभी बागी विधायकों को बाहर का रास्ता दिखाते हुए पार्टी से निकाल दिया.

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इसके बाद बसपा ने सपा से भी अपने सभी रिश्ते तोड़ने की बात कही. मायावती ने कहा कि यदि सपा को हराने के लिए उन्हें भाजपा का भी साथ देना पड़े तो उनके विधायक देंगे. हालांकि इसके बाद मचे राजनीतिक तूपान के बाद उन्होंने सफाई देते हुए कहा कि वे भले ही संन्यास ले लेंगी लेकिन भाजपा से गठबंधन नहीं करेंगी.

राज्यसभा चुनावों की बात करें तो यूपी में 10 सीटों पर चुनाव थे. इनमें से 8 पर बीजेपी और एक-एक सीट पर सपा और बसपा ने ​जीत दर्ज की है. भाजपा की तरफ से केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी, भाजपा राष्ट्रीय महामंत्री अरुण सिंह, पूर्व डीजीपी ब्रिज लाल, नीरज शेखर, हरिद्वार दूबे, गीता शाक्य, बी एल वर्मा और सीमा द्विवेदी को राज्‍यसभा जाने का मौका मिला है. जबकि समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव रामगोपाल यादव और बसपा (BSP) प्रत्याशी रामजी गौतम निर्विरोध राज्यसभा सांसद चुने गए हैं. यूपी की सात सीटों पर विधानसभा के उपचुनाव भी हुए हैं. इस सभी सीटों पर नतीजे 10 नवंबर को आएंगे.

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