हाल ही में इंदौर नगर निगम में अधिकारी पर बल्ले से वार करने को लेकर विवादों में आए बीजेपी महासचिव कैलाश विजयवर्गीय के बेटे आकाश विजयवर्गीय को लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सख्ती जताई. उसके बाद तमाम जगह ये खबर चली कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी इसको लेकर काफी नाराज हैं और वो इस तरह की अनुशासनहीनता बर्दाश्त नहीं करेंगे लेकिन इस पूरे मामले में क्या सच में कोई एक्शन लिया गया है अब तक ?
आपको बता दें कि पीएम मोदी ने कहा था कि वो इसलिए इतनी मेहनत नहीं कर रहे कि कोई भी अपनी मनमानी करे. उन्होंने सख्ती दिखाते हुए कहा कि ऐसा व्यवहार करने वालों को बाहर का रास्ता दिखाना चाहिए. इसका साफ मतलब है कि पीएम इस तरह के व्यवहार के खिलाफ हैं लेकिन जब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाए जाते तब तक क्या इस तरह के वाकयों पर लगाम लग पाएगी.
अब सवाल ये है कि क्या ये सख्ती भर है. ये पहला मामला नहीं है. इससे पहले भी जुबान के बल्ले से कई बार वार किए गए हैं लेकिन किसी भी तरह का कोई एक्शन नहीं लिया गया है और ये फेहरिस्त थोड़ी लम्बी है. अपनी जुबान वार से नफरत फैलाने और कड़वी बात बोलने वाले नेताओं की ये लिस्ट काफी लम्बी है.
इस कड़ी में सबसे पहला नाम आता है साक्षी महाराज का, जो हमेशा कुछ ना कुछ विवादित बोल जाते हैं. एक रैली के दौरान उन्होंने गांधीजी के हत्यारे नाथूराम गोडसे को मात्रभूमि भक्त और शहीद तक कह दिया था जिसकी वजह से काफी विवाद हुआ. साथ ही हिन्दु महिलाओं को चार बच्चे करने और गौतस्करों को मौत की सजा जैसे भी कई विवादित बयान दे चुके है महाराज.
वहीं गोडसे बयान को लेकर विवादों में रही साध्वी प्रज्ञा को लेकर तो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ये तक कह दिया था कि चाहे वो इस मामले को लेकर माफी मांग लें लेकिन वो कभी उन्हें दिल से माफ नहीं कर पाएंगे. भड़कीले बयान के लिए जाने जाने वाली निरंजन ज्योति भी काफी विवादों में रहती हैं. सरकार को लेकर उन्होंने एक बार बयान दिया था कि रामजादों की सरकार बनेगी ना कि हरामजादों की जिसको लेकर काफी विवाद हुआ. इनकी भी जुबान अक्सर फिसल जाती है.
इस फेहरिस्त में ज्ञानदेव आहूजा भी पीछे नहीं है. आहूजा लव-जिहाद को लेकर कई बार विवादित बयान दे चुके है. साथ ही गौतस्करी को लेकर भी मीडिया में बोले बोल से विवादों के घेरे में आ चुके हैं.
अनंत कुमार हेगडे भी मोदी सरकार का हिस्सा रहे हैं. इनका एक वीडियो भी वायरल हुआ था जिसमें ये एक डॉक्टर की पिटाई करते नजर आए थे. साथ ही हेगड़े ने संविधान को बदलने को लेकर भी विवादित बयान दिया था जिसके लिए उनका इस्तीफा तक मांग लिया गया था.
गिरीराज सिंह भी आए दिन अपने भड़कीले बयानों की वजह से सुर्खियों में रहते हैं. वहीं अनिल विज हरियाणा की राजनीति में अपने आक्रामक बयानों के लिए जाने जाते है. विज राहुल गांधी और ममता बनर्जी पर व्यक्तिगत टिप्पणी कर चुके हैं. विनय कटियार भी महिला विरोधी टिप्पणी कर के विवादों में आ चुके है.
इस लिस्ट में और भी कई नेता शामिल है लेकिन क्या महज नाराजगी भर जताने से इस तरह के व्यवहार पर लगाम लगाई जा सकती है ? मारपीट से लेकर अमर्यादित बयान देने पर क्या कोई सख्त कदम उठाने की जरूरत नहीं है ताकि ये नजीर बन सके.
क्योंकि इस तरह के बयानों को लेकर ना केवल पार्टी की छवि पर असर पड़ता ही है बल्कि समाज में भी माहौल खराब होता है.