पॉलिटॉक्स न्यूज/दिल्ली. दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग के चेयरमैन जफरुल इस्लाम खान को हाई कोर्ट से बड़ी राहत मिल गई है. सोशल मीडिया पर विवादित बयान देने के बाद दिल्ली पुलिस ने जफरूल इस्लाम के खिलाफ राष्ट्रद्रोह का मुकदमा दर्ज कर लिया था, जिसके बाद जफरुल इस्लाम पर गिरफ्तारी की तलवार लटक रही थी. कोर्ट ने पुलिस को आदेश दिया है कि 22 जून तक के लिए खान के खिलाफ कोई कठोर कदम ना उठाएं, तब तक के लिए जफरुल इस्लाम की गिरफ्तारी टल गई है.
इससे पहले जफरुल इस्लाम (Zafarul Islam Khan) को पद से हटाने के लिए दिल्ली हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की गई है. साथ ही दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने नोटिस जारी कर उन्हें 12 मई तक उस लैपटॉप या मोबाइल को जमा करने को कहा गया है, जिससे उन्होंने सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक पोस्ट शेयर की थी.
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दरअसल, जफरुल इस्लाम ने 28 अप्रैल की रात सोशल मीडिया पर धमकी भरे अंदाज में कहा कि अपनी फेसबुक पोस्ट जिस दिन मुसलमानों ने अरब देशों से अपने खिलाफ जुल्म की शिकायत कर दी, उस दिन जलजला आ जाएगा. उसके बाद बीजेपी ने दिल्ली सरकार पर हमला करने हुए जफरुल इस्लाम को घटिया और जहरीली सोच वाला शख्स बताते हुए इस्लाम को तुरन्त पद से बर्खास्त करने की मांग की थी. शिकायत पर दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने जफरुल इस्लाम के खिलाफ देशद्रोह और नफरत फैलाने के आरोप में मामला दर्ज किया जिसके बाद जफरुल इस्लाम की गिरफ्तारी तय थी.
जफरुल इस्लाम ने फेसबुक पर लिखा, ‘भारतीय मुस्लिमों के साथ खड़े होने के लिए कुवैत का धन्यवाद. हिंदुत्व विचारधारा के लोग सोचते हैं कि कारोबारी हितों की वजह से अरब देश भारत के मुस्लिमों की सुरक्षा की चिंता नहीं करेंगे, लेकिन वो नहीं जानते हैं कि भारतीय मुस्लिमों के अरब और मुस्लिम देशों से कैसे रिश्ते हैं. जिस दिन मुसलमानों ने अरब देशों से अपने खिलाफ जुल्म की शिकायत कर दी, उस दिन जलजला आ जाएगा.’ हालांकि बाद में उन्होंने अपने बयान पर माफी मांग ली थी.
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अपने उपर गिरफ्तारी की तलवार लटकते देख जफरुल इस्लाम ने दिल्ली हाई कोर्ट में अग्रिम जमानत याचिका दाखिल की थी. खान ने अदालत में अपनी उम्र और स्वास्थ का हवाला देकर राहत मांगते हुए गुहार लगाई थी कि पुलिस फिलहाल उनके खिलाफ कोई सख्त कदम ना उठाए. कोर्ट ने दलीलें सुनने के बाद 22 जून तक के लिए अंतरिम राहत देते हुए पुलिस को आदेश दिया है कि दी गई मोहलत तक जफरुल इस्लाम के खिलाफ कोई कठोर कदम ना उठाएं.
अदालत में जफरुल इस्लाम की तरफ से वकील वृंदा ग्रोवर ने पैरवी की. बता दें, वृंदा ग्रोवर सुप्रीम कोर्ट की वही वकील हैं जिन्होंने निर्भया केस में निर्भया की मां को दोषियों से माफ करने की अपील की थी. चारों दोषियों में से एक दोषी की वकील रही वृंदा ग्रोवर ने भी आखिरी तक दोषी को बचाने की कोशिश की. अंत समय पर जब उन्हें लगा कि अब किसी भी तरीके से दोषी को बचाना संभव नहीं, तब उन्होंने केस छोड़ने का फैसला किया. निर्भया के चारों दोषियों को 20 मार्च को तिहाड़ जेल में एक साथ फांसी के फंदे पर लटकाया गया था.