बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव का 73वां जन्मदिन आज, जानिए लालू बारे में कुछ खास बातें

हास्य नेता के तौर पर जाने जाने वाले लालू को कहा जाता है भारत का नेल्सन मंडेला, घोटाले में फंस लोकसभा की सदस्यता खोने वाले देश के पहले नेता हैं लालू, केवल 29 वर्ष की आयु में पहुंचे थे लोकसभा लालू प्रसाद यादव

पॉलिटॉक्स न्यूज/बिहार. बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव का आज जन्मदिन है. वे (Lalu prasad yadav birthday) आज अपना 73वां जन्मदिन मना रहे हैं. इस मौके पर उनके बेटे तेजस्वी यादव उनसे मिलने रांची पहुंचे हैं. चारा घोटाले के सजायाफ्ता लालू रिम्स में इलाजरत हैं. वहीं उनके छोटे बेटे तेजस्वी यादव केक काटकर पिता का जन्मदिन मनाएंगे. इधर, राजद के प्रदेश अध्यक्ष अभय सिंह ने बताया कि जन्मदिन के अवसर पर तेजस्‍वी यादव 73 पाउंड का केक काटेंगे. राजद लालू का जन्‍मदिन गरीब सम्मान दिवस के रूप में मना रहा है और इस मौके पर 73000 गरीबों को खाना खिलाया जा रहा है.

वहीं आरजेडी ने वीडियो संदेश जारी कर लालू यादव के किए कामों को बताने की कोशिश भी की है. परिवार सहित पार्टी सदस्यों का मानना है कि पार्टी प्रमुख जेल से बाहर आएंगे और फिर से पार्टी की बांगड़ोर संभालेंगे. लालू प्रसाद के जन्मदिन को लेकर राजद कार्यकर्ताओं में जबरदस्त उत्साह है.

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आइए जानते हैं लालू यादव के बारे में कुछ खास बातें..

1. लालू प्रसाद यादव का जन्म 11 जून, 1948 को बिहार के गोपालगंज जिले में हुआ. बिहार की पूर्व सीएम राबड़ी देवी उनकी धर्मपत्नी हैं. उनके तेजप्रताप व तेजस्वी और मीसा भारती सहित 9 बच्चे हैं जिनमें दो बेटे और 7 बेटियां हैं. लालू ने बैचलर इन लॉ और राजनीति विज्ञान में मास्टर्स की डिग्री ली है.

2. बिहार के गोपालगंज में एक यादव परिवार में जन्मे यादव ने राजनीति की शुरूआत जयप्रकाश नारायण के जेपी आन्दोलन से की, जब वे एक छात्र नेता थे. उस समय के राजनेता सत्येन्द्र नारायण सिन्हा के काफी करीबी रहे थे. 1977 में आपातकाल के पश्चात् हुए लोकसभा चुनाव में लालू यादव छपरा से जनता पार्टी के उम्मीदवार के रूप में नामित हुए और जीते. बिहार राज्य के तत्कालीन राष्ट्रपति जनता पार्टी और बिहार के नेता सत्येंद्र नारायण सिन्हा ने उनके लिए प्रचार किया. जनता पार्टी ने भारत गणराज्य के इतिहास में पहली गैर-कांग्रेस सरकार बनाई. केवल 29 साल की युवा आयु में लालू पहली बार लोकसभा पहुंचे. 1980 से 1989 तक वे दो बार विधानसभा के सदस्य रहे और विपक्ष के नेता पद भी रहे.

3. लालू यादव 1990 से लेकर 1997 तक बिहार के मुख्यमंत्री रहे. उसके बाद उनकी धर्मपत्नी राबड़ी देवी ने प्रदेश में सत्ता की कमान संभाली. जुलाई, 1997 में लालू यादव ने जनता दल से अलग होकर राष्ट्रीय जनता दल के नाम से नयी पार्टी बना ली. गिरफ्तारी तय हो जाने के बाद लालू ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया और अपनी पत्नी राबड़ी देवी को बिहार का मुख्यमंत्री बनाने का फैसला किया. जब राबड़ी के विश्वास मत हासिल करने में समस्या आयी तो कांग्रेस और झारखण्ड मुक्ति मोर्चा ने उनको समर्थन दे दिया.

4. लालू प्रसाद यादव की राजनीति को हमेशा से जातिवादी और भेदभावपूर्ण बताकर बदनाम करने की कोशिश की जाती रही है लेकिन, वंचितों के राजनीति के नज़रिए से देखा जाए तो लालू को ‘भारत का नेल्सन मंडेला’ कहा जाता है.

5. लालू और बीजेपी के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी में हमेशा ठनी रही. 5 अगस्त, 2004 को यादव ने दावा किया कि मुहम्मद अली जिन्ना को मारने की साजिश में आडवाणी आरोपी थे और उन्हें एक ‘अंतरराष्ट्रीय फरार’ कहकर संबोधित किया था. 23 सितंबर, 1990 को लालू ने मुख्यमंत्री रहते हुए राम रथ यात्रा के दौरान समस्तीपुर में लालकृष्ण आडवाणी को गिरफ्तार कराया था और खुद को एक धर्मनिरपेक्ष नेता के रूप में प्रस्तुत किया. 1990 के दशक में आर्थिक मोर्चे पर विश्व बैंक ने अपने कार्य के लिए उनकी पार्टी की सराहना की.

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6. लालू यादव के जनाधार में एमवाई (MY) यानी मुस्लिम और यादव फैक्टर का बड़ा योगदान है और उन्होंने इससे कभी इन्कार भी नहीं किया.

7. राजनीति करने के साथ लालू के भाषण देने और अपनी बात कहने का अलग अंदाज है. फिर चाहें वो बिहार की सड़कों को हेमा मालिनी के गालों की तरह बनाने का वादा हो या रेलवे में कुल्हड़ की शुरुआत, लालू यादव हमेशा ही सुर्खियों में रहे. इंटरनेट पर लालू यादव के लतीफों का दौर भी खूब चला.

8. लालू का लिवास और अंदाज हमेशा ही देशी रहे. होली के समय लालू को अपने आवास के बाहर जनता और कार्यकर्ताओं के बीच गले में ढोलकी लिए नाचते हुए कई बार देखा गया है. सादा वातावरण और सादी वेशभूषा उनकी पहचान है.

9. 1997 में जब केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने उनके खिलाफ चारा घोटाला मामले में आरोप-पत्र दाखिल किया तो यादव को मुख्यमन्त्री पद से हटना पड़ा. अपनी पत्नी राबड़ी देवी को सत्ता सौंपकर वे राष्ट्रीय जनता दल के अध्यक्ष बन गये और अपरोक्ष रूप से सत्ता की कमान अपने हाथ में रखी. चारा घोटाला मामले में लालू यादव को जेल भी जाना पड़ा और वे कई महीने तक जेल में रहे भी.

10. 2004 के लोकसभा चुनाव में लालू प्रसाद ‘किंग मेकर’ की भूमिका में आये और 2004 से 2009 तक केंद्र की यूपीए सरकार में लालू को रेल मंत्री का कार्यभार सौंपा गया. यहां उनके मेनेंजमेंट का देश ही नहीं विदेश में भी लोहा माना गया. फिर चाहे रेल के टाइम को लेकर प्रबंधन हो या फिर रेलवे स्टेशन पर प्लास्टिक कप की जगह कुल्हड़ का इस्तेमाल, सभी जगह लालू ने अपनी धाक मनवाई. यादव के कार्यकाल में ही दशकों से घाटे में चल रही रेल सेवा फिर से फायदे में आ गई भारत के सभी प्रमुख प्रबन्धन संस्थानों के साथ-साथ दुनिया भर के बिजनेस स्कूलों में लालू यादव के कुशल प्रबन्धन से हुआ भारतीय रेलवे का कायाकल्प एक शोध का विषय बन गया. ये उनके जीवन की सबसे बड़ी कामयाबी मानी जाती है.

11. लालू यादव देश के पहले ऐसे नेता है जिनकी घोटाले के चलते लोकसभा की सदस्यता समाप्त कर दी गई. चुनाव के नये नियमों के अनुसार लालू प्रसाद अब 11 साल तक लोक सभा चुनाव नहीं लड़ पायेंगे. इस अधिसूचना के बाद संसद की सदस्यता गंवाने वाले लालू प्रसाद यादव भारतीय इतिहास में लोक सभा के पहले सांसद हो गये हैं. उस समय लालू 15वीं लोक सभा में सारण (बिहार) से सांसद थे.

12. बिहार के बहुचर्चित चारा घोटाला मामले में रांची स्थित केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की अदालत ने पांच साल कारावास की सजा सुनाई थी. इस सजा के लिए उन्हें बिरसा मुण्डा केन्द्रीय कारागार रांची में रखा गया था. केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो के विशेष न्यायालय ने अपना फैसला सुरक्षित रखा जबकि उन पर कथित चारा घोटाले में भ्रष्टाचार का गम्भीर आरोप सिद्ध हो चुका थ. 2013 को न्यायालय ने उन्हें 5 साल की कैद और 25 लाख रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई गई है.

13. लालू प्रसाद यादव एक हास्य नेता हैं. इनकी लोकप्रियता उनके भाषण को लेकर भी है. लालू प्रसाद यादव का भाषण देने का अंदाज कुछ अलग ही है. बबूआ और बुड़बक लालू के तकियाकलाम हैं.

14. लालू प्रसाद यादव मुख्यतः राजनीतिक और आर्थिक विषयों पर लेखों के अलावा विभिन्न आंदोलनकारियों की जीवनियां पढ़ने का शौक रखते हैं. वे बिहार क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष भी हैं. लालू यादव ने एक फिल्म में भी काम किया जिसका नाम उनके नाम पर ही है.

15. लालू के छोटे बेटे तेजस्वी यादव एक क्रिकेटर रह चुके हैं और अंडर 14 रणजी और आईपीएल तक में अपना लोहा मनवा चुके हैं. लालू की गैर मौजूदगी में ही तेजस्वी ने क्रिकेट छोड़ राजनीति में एंट्री की और नीतीश कुमार की गठबंधन सरकार में डिप्टी सीएम बने. वर्तमान में तेजस्वी बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष हैं.

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