निर्भया के दोषियों की फांसी तीसरी बार टलना तय, अंत समय में दाखिल की क्यूरेटिव याचिका

योजनाबद्ध तरीके से फांसी की तय तारीख से 4 दिन पहले दाखिल की क्यूरेटिव याचिका, फांसी को उम्रकैद में बदलने की मांग, राष्ट्रपति के पास दया याचिका भेजने का विकल्प भी है दोषी पवन गुप्ता के पास

Nirbhaya Case Update
Nirbhaya Case Update

पॉलिटॉक्स न्यूज/दिल्ली. जैसा कि पॉलिटॉक्स न्यूज अपनी पिछली खबरों में भी कई बार जिक्र कर चुका है, निर्भया के दोषियों की फांसी तीसरी बार भी टलना तय है. पॉलिटॉक्स ने अपनी पिछली खबर में भी बताया था कि दोषी केवल समय जाया कर रहे हैं. इसी के तहत योजनाबद्ध तरीके से दोषी पवन गुप्ता ने फांसी की तय तिथि से केवल 4 दिन पहले सुप्रीम कोर्ट में क्यूरेटिव याचिका दाखिल की है. अदालत में दो दिन का अवकाश होने के चलते मामले की सुनवाई सोमवार को ही होगी. फिर दोषी के पास राष्ट्रपति के पास दया याचिका भेजने का भी रास्ता भी अभी खुला है. किसी भी याचिका के लंबित होने की स्थिति में फांसी नहीं हो सकती. ऐसे में तीसरा डेथ वारंट और फांसी दोनों का टलना पूरी तरह तय है. बता दें, क्यूरेटिव याचिका में दोषी पवन गुप्ता की फांसी को उम्र कैद में बदलने की मांग की गई है. चारों दोषियों को 3 मार्च को फांसी दी जानी है.

यह भी पढ़ें: सात साल से इंसाफ मांग रहा देश और बिलख रहा निर्भया का परिवार

दोषियों को तीसरा डेथ वारंट 17 फरवरी को ही जारी कर दिया गया था लेकिन पवन गुप्ता के वकील केवल मौत की तारीख करीब आने का इंतजार कर रहे थे. इसी के चलते 11 दिन बर्बाद किए गए और अब जाकर क्यूरेटिव याचिका दाखिल की गई है. पवन गुप्ता से पहले अन्य तीन दोषी भी क्यूरेटिव याचिका पहले ही दाखिल कर चुके हैं लेकिन सभी की याचिका सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी है. माना यही जा रहा है कि पवन की याचिका भी रद्द की जाएगी लेकिन उसके बाद दोषी के वकील राष्ट्रपति के समक्ष दया याचिका भेजने का रास्ता भी अपनाएंगे, इसमें कोई दोराय नहीं. अगर दया याचिका खारिज होती है तो इसे लेकर पवन के वकील का फिर से सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पक्का है. इन सभी प्रक्रियाओं में समय लगेगा. यही वजह है कि एक बार फिर से फांसी टालने में दोषी कामयाब हो रहे हैं.

कानूनी प्रावधानों के मुताबिक जब तक किसी दोषी के सभी कानूनी उपाय खत्म नहीं हो जाते तब तक उसे फांसी नही दी जा सकती. अगर कोर्ट से दोषी की याचिका खारिज भी हो जाती है तब भी उसे अन्य कानूनी विकल्पों के लिए 14 दिन का समय मिलता है.

इससे पहले अन्य दोषी अक्षय ठाकुर, मुकेश सिंह और विनय शर्मा सहित पवन गुप्ता ने फांसी टालने और वक्त जाया करने की पूरजोर कोशिश की. इसी का नतीजा है कि सात साल से अधिक का समय निकल गया. यही नहीं, पहले भी दो बार डेथ वॉरंट जारी होने के बाद फांसी टल गई. सबसे पहले 22 जनवरी को चारों को फंदे से लटकाने का फैसला आया लेकिन दया याचिका लंबित होने के चलते फांसी टल गई. दूसरी बार एक फरवरी को सुबह 6 बजे दोषियों के लिए मौत का फरमान फिर जारी हुआ लेकिन इस बार भी एक दोषी की दया याचिका लंबित होने के चलते फांसी न हो सकी. इस बार पवन गुप्ता के वकील के न्यायिक प्रक्रिया का गलत फायदा उठाने के चलते फांसी नहीं हो सकेगी.

केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई और दोषियों को अलग-अलग फांसी दिए जाने की इजाजत मांगी जिसकी सुनवाई 5 मार्च तक टल गई है. सरकार की ओर से पहले दिल्ली हाई कोर्ट का रुख किया गया था, लेकिन अदालत ने इस याचिका को ठुकरा दिया था. दिल्ली हाई कोर्ट ने अपने बयान में साफ कहा था कि चारों को एक साथ ही सजा दी जा सकती है.

यह भी पढ़ें: ‘जांको राखे कानून मार सके न कोई’, विकल्पों की आड़ में मौत को टाल रहे हैं निर्भया के गुनहगार

गौरतलब है कि, 16 दिसम्बर, 2012 की एक काली रात. एक चलती हुई बस और सवार थे इंसान के वेश में 6 दरिंदे, एक युवती और उसका दोस्त. उस बस के अंदर हुआ हैवानियत का वो नंगा नाच जिससे देश कांप उठा और मानवता थरथरा उठी. सामुहिक दुष्कर्म के बाद युवती को कड़ी ठंड में चलती बस से फेंक दिया गया. जिसकी 29 दिसंबर, 2012 को सिंगापुर के एक अस्पताल में मौत हो गयी थी. दोषी पकड़े जा चुके हैं लेकिन पिछले सात सालों से निर्भया की मां सहित निर्भया के परिवार और पूरे देश को इंसाफ का इंतजार है.

बता दें, छह आरोपियों में से एक राम सिंह ने तिहाड़ जेल में कथित रूप से आत्महत्या कर ली थी जबकि छठा आरोपी किशोर था जिसे तीन साल सुधार गृह में रखने के बाद 2015 में रिहा कर दिया गया था, शेष चार दोषी तिहाड़ जेल में कैद हैं.

Leave a Reply