SC का केन्द्र से सवाल-कोरोना की जरूरी दवाओं का उत्पादन और वितरण क्यों नहीं हो पा रहा?: सुप्रीम कोर्ट में कोरोना मामले पर हुई सुनवाई, सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा-जरूरी दवाओं का उत्पादन और वितरण सुनिश्चित क्यों नहीं हो पा रहा? केंद्र ने हलफनामे में कहा है कि हर महीने औसतन एक करोड़ तीन लाख रेमडेसिविर उत्पादन करने की है क्षमता, लेकिन सरकार ने मांग और सप्लाई की जानकारी नहीं दी है, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि केंद्र ने आवंटन का तरीका भी नहीं बताया है, केंद्र को डॉक्टरों से ये कहना चाहिए की रेमडेसिविर या फेविफ्लू की बजाय अन्य उपयुक्त दवाएं भी मरीजों को बताएं, मीडिया रिपोर्ट बता रही हैं कि आरटीपीसीआर से कोविड के नए रूप की पड़ताल नहीं हो पा रही है, इसमें भी अनुसंधान की जरूरत है, इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से पूछा कि आप 18-45 साल के ऊपर उम्र वालों को वैक्सीन लगाने की योजना बताए, क्या केंद्र के पास कोई कोष भी है, जिससे वैक्सीन के दाम समान रखे जा सके? केंद्र सरकार को ये भी बताना होगा कि भारत बायोटेक और सीरम इंस्टिट्यूट को कितना फंड दिया है, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा- मैंने गाजियाबाद में गुरुद्वारा लंगर के बारे में पढ़ा, लोग चैरिटी कर रहे हैं, लेकिन सिर्फ हम चैरिटी तक नहीं छोड़ सकते हैं, वैक्सीन का मूल्य निर्धारण का मुद्दा असाधारण रूप से गंभीर है, आज आप कहते हैं कि केंद्र को प्रदान किए गए 50% वैक्सीन का उपयोग फ्रंटलाइन श्रमिकों और 45 से अधिक आयु वर्ग के टीकाकरण के लिए किया जाएगा, शेष 50% राज्यों द्वारा उपयोग किया जाएगा, 59.46 करोड़ भारतीय 45 साल से कम हैं, उनमें से कई गरीब और हाशिए पर हैं, उन्हें वैक्सीन खरीदने के लिए पैसे कहां से मिलेंगे?, SC ने कहा- हम अपने देश के स्वास्थ्य को लेकर चिंतित हैं, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा-हम जानते हैं कि कितने टीके का उत्पादन किया जा रहा है, लेकिन हमें यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि आप उत्पादन में वृद्धि करें, अतिरिक्त उत्पादन इकाइयों को जोड़ने के लिए जनहितकारी शक्ति का प्रयोग करने की है आवश्यकता, यह विचार राज्यों और केंद्र की आलोचना करने के लिए नहीं है, हम जानते हैं कि स्वास्थ्य के बुनियादी ढांचे आपको विरासत में मिले हैं, लेकिन हम अपने राष्ट्र के स्वास्थ्य के बारे में चिंतित हैं
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