पॉलिटॉक्स ब्यूरो. इंदिरा गांधी और करीम लाला को लेकर बुधवार को दिए बयान पर बवाल मचने के बाद शिवसेना प्रवक्ता और राज्यसभा सांसद संजय राउत ने अपने बयान को वापस ले लिया. उनके इस बयान के बाद प्रदेश ही नहीं बल्कि देश की राजनीति में भी एक हडकंप सा मच गया था. उसके बाद राउत ने कहा कि अगर उनके बयान से कांग्रेस के किसी भी नेता को या फिर गांधी परिवार को दुख पहुंचा है तो वे अपना बयान वापस लेते हैं. उन्होंने ये कहते हुए बयान वापिस लिया कि हमारे कांग्रेस के मित्रों को आहत होने की जरूरत नहीं है. अगर किसी को लगता है कि मेरे बयान से इंदिरा गांधीजी की छवि को धक्का पहुंचा है या किसी की भावनाओं को ठेस पहुंची है तो मैं अपने बयान को वापस लेता हूं.
एक निजी चैनल को दिए इंटरव्यू में शिवसेना नेता संजय राउत ने कहा कि उन्होंने हमेशा इंदिरा गांधी का सम्मान किया है. वे देश की सबसे बड़ी नेता रहीं और उनके जैसा न कोई पहले था और न आया. उन्होंने कहा कि जो नेता आज आरोप लगा रहे हैं, उन सभी के साथ करीम लाल का उठना बैठना रहा जो पक्ष विपक्ष दोनों पार्टियों से संबंध रखते थे. संजय राउत से जब पूछा गया कि करीम लाला माफिया डॉन रह चुके हैं तो इंदिरा गांधी का उनसे संबंध कैसे? इसके जवाब में उन्होंने कहा कि माफिया के आरोप उन पर बाद में लगे जबकि इमरजेंसी के समय इंटरनेशनल दवाब होने के बावजूद हाजी मस्तान और दुनियाभर के पठानों के प्रभावशाली नेता करीम लाल जैसे लोगों को इंदिराजी ने जेल में डाला.
sanjay Raut ने Indira Gandhi पर दिये बयान पर अपनी सफाई दी Live | Exclusive @rautsanjay61 @kamleshsutar #IndiraGandhi #KarimLala https://t.co/Thrc5YFrff
— Mumbai Tak (@mumbaitak) January 16, 2020
उन्होंने हवाला देते हुए कहा कि क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी किसी से नहीं मिलते? क्या राजीव गांधी और लाल बहादुर शास्त्री किसी से नहीं मिलते थे? हुर्रियत नेताओं से क्या बात नहीं होती थी? राउत ने कहा कि मैंने उस समय की बात कही जिस समय पठानों का आंदोलन चल रहा था.
महाराष्ट्र में नेता प्रतिपक्ष और पूर्व सीएम देवेंद्र फडणवीस सहित कांग्रेसी नेता मिलंद देवड़ा एवं संजय निरूपम पर सफाई मांगने के संबंध में उन्होंने पलटवार करते हुए कहा कि ये सभी बच्चे थे तब. इन सभी ने न कभी इंदिराजी को देखा है, न उनके बारे में रिसर्च की और न कभी पढ़ा. राउत ने ये भी कहा कि मैंने सब कुछ बहुत ही संयम से कहा लेकिन कुछ लोगों ने राजनीति करते हुए माहौल बिगाड़ने की कोशिश की. यही वजह रही कि मैंने कहा ‘अगर किसी को आपत्ति है तो मैं अपना बयान वापस लेता हूं’.
राउत के बयान पर सफाई मांगने वाले कांग्रेसी नेताओं पर इशारों इशारों में हमला करते हुए शिवसेना सांसद ने कहा कि जब दिल्ली में इंदिराजी के बारे में विपक्ष टिप्पणी करता था तो ये नेता शांत बैठे रहते थे. उस समय मैंने सामने आकर ‘सामना’ में इस बारे में लिखा. उस समय सबकी बोलती बंद रहती थी. मैं डरने वाला नेता नहीं और कहता हूं कि इंदिराजी इस देश की महान और क्रांतिकारी नेता रही जिसने पाकिस्तान के दो टुकड़े करने की हिम्मत दिखाई. उन्होंने ये भी कहा कि कांग्रेस के बड़े नेताओं को मेरी बात समझ नहीं आई कि मैंने जो कहा इंदिराजी के आदर में कहा कि उस वक्त उनका ये बड़प्पन था कि वे सबकी बात सुनती थी.
करीम लाला के बारे में सवाल पूछे जाने पर राउत ने कहा कि जिस समय की मैं बात कर रहा हूं, जिस समय करीम लाला केवल एक ऐसा शख्स था जो पठानों की समस्या लेकर इंदिराजी के सामने आया था. माफिया डॉन आदि के आरोप 1992 की बात है जिन पर मैं नहीं जाउंगा. मैं उससे पहले की बात बोल रहा हूं. उन्होंने हवाला देते हुए कहा कि हाजी मस्तान ने एक राजनीति पार्टी बनाई थी. जोगेंद्र कवाड़े उनके साथ गए थे. आज वे कांग्रेस के साथ हैं.
Kareem Lala was leader of Pathan community, he led an organisation called ‘Pakhtun-e-Hind’. It was in this capacity of the leader of Pathan community that he met several top leaders including Indira Gandhi
However, those who do not the history of Mumbai, r twisting my statement
— Sanjay Raut (@rautsanjay61) January 16, 2020
अपने बयान से पीछे हटने की एक वजह महाविकास अघाड़ी गठबंधन में उनकी पार्टी के होने से संजय राउत ने साफ तौर पर इनकार करते हुए कहा कि मेरे उपर किसी का कोई दवाब नहीं है. वे हमेशा से इंदिरा गांधी का सम्मान करते हैं.
वहीं संजय राउत की सफाई के बाद भी नेताओं के बयान सामने आ रहे हैं. महाराष्ट्र कांग्रेस नेता अशोक चव्हाण ने राउत के बयान की निंदा करते हुए कहा कि सहयोगी गलत बयान देकर गलतफहमियां न पैदा करें.