राजस्थान: स्टेट हाइवे पर निजी वाहनों को फिर से देना होगा टोल, राजे सरकार ने किया था फ्री

कमर-तोड़ महंगाई के इस दौर में गहलोत सरकार के इस फैसले को जनता कितना स्वीकार करती है ये तो आने वाला समय या होने वाले निकाय चुनावों के परिणामों से ही चल पायेगा

पॉलिटॉक्स ब्यूरो. प्रदेश में होने वाले निकाय चुनाव से ठीक पहले गहलोत सरकार ने निजी चौपहिया वाहन मालिकों को बड़ा झटका देते हुए स्टेट हाईवे (State Highway) पर फिर से टोल देना अनिवार्य कर दिया है. पूर्ववर्ती वसुंधरा राजे सरकार ने अपने अंतिम बजट के बाद वित्त विधेयक पेश करते समय अप्रैल 2018 से स्टेट हाईवे को निजी वाहनों के लिए टोल फ्री कर दिया था, लेकिन काॅमर्शियल वाहनों पर टोल जारी था. गहलाेत सरकार ने वसुंधरा सरकार का यह जनहितकारी फैसला पलटते हुए प्रदेश के 15,543 किमी स्टेट हाईवे पर निजी वाहनों पर फिर से टोल लगाने का फैसला किया है. इस फैसले के बाद सरकार के खजाने में सालाना 300 करोड़ रुपये का राजस्व आयेगा.

गहलोत सरकार ने बुधवार को सार्वजनिक निर्माण विभाग के प्रस्ताव पर 18 महीने पहले राजे सरकार में मिली इस छूट को कैबिनेट सर्कुलेशन के जरिए समाप्त कर दिया, गुरुवार को इसका नोटिफिकेशन जारी किया जायेगा और 1 नवंबर से प्रदेश में यह लागू हो जाएगा. इस फैसले (State Highway) से करीब ढाई लाख निजी वाहनों को सम्भावित हर 50 किलोमीटर के बाद स्टेट टोल नाके पर 40 से 60 रुपए तक देने पड़ सकते हैं.

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गहलोत सरकार ने स्टेट हाइवे के टोल फ्री होने से राजस्व का घाटा हाेने का हवाला देते हुए यह फैसला लिया है. सरकार का कहना है कि इस बार हुई भारी बरसात में प्रदेश की 30-35% सड़कें क्षतिग्रस्त हो गईं, इनकी रिपेयरिंग के लिए भी सरकार के पास पर्याप्त पैसा नहीं है. ऐसे में सरकार स्टेट हाईवे पर टोल लगाकर यह रकम वसूल करना चाहती है. प्रदेश में संचालित 143 स्टेट हाइवे (State Highway) पर टोल वसूली का यह प्रस्ताव पीडब्ल्यूडी व RSRDC विभाग द्वारा दिया गया है.

पिछली वसुंधरा राजे सरकार के समय हुए जनांदोलन के बाद वसुंधरा राजे ने जनता को यह सौगात दी थी. ऐसे में अब दुबारा से स्टेट हाईवे (State Highway) को टाेल फ्री करने के लिए प्रदेश में बड़ा जन-अांदाेलन का खड़ा हो सकता है. साथ ही प्रदेश में होने वाले निकाय चुनावों में भी गहलोत सरकार को इससे नुकसान उठाना पड़ सकता है. पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने गहलोत सरकार के इस फैसले को जनविरोधी बताते हुए कहा है कि, “हमारी सरकार ने जनता के हित में यह फैसला किया था, स्थानीय लोगों को जगह-जगह टोल की वजह से आने-जाने में दिक्कत होती थी. सरकार का यह फैसला जनविरोधी है, सरकार इसे तुरंत वापस ले“.

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गहलोत सरकार ने अपने इस फैसले के पीछे तर्क यह है कि हुए इससे सरकार को 300 करोड़ का राजस्व मिलेगा. साथ ही सरकार व ठेकेदार के बीच चल रहा विवाद खत्म हाेगा, क्याेंकि एमअाेयू निजी वाहनाें से टाेल वसूली के हुए थे. इसके अलावा इस टोल वसूली के बाद राेड डवलपमेंट काे रफ्तार मिलेगी.

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अब कमर-तोड़ महंगाई के इस दौर में गहलोत सरकार के इस फैसले (State Highway) को जनता कितना स्वीकार करती है ये तो आने वाला समय या होने वाले निकाय चुनावों के परिणामों से ही चल पायेगा.

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