पॉलिटॉक्स न्यूज/दिल्ली. कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और वायनाड सांसद राहुल गांधी ने गुरुवार को वीसी के जरिए एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की और कोरोना संकट पर केंद्र सरकार को दो अहम सुझाव दिए. राहुल गांधी ने कहा कि कोरोना को हराने के लिए हमें दो स्तरों पर काम करना होगा. पहला- अर्थव्यवस्था के स्तर पर और दूसरा- मेडिकल स्तर पर. राहुल गांधी ने साफ तौर पर कहा कि हमारा काम केवल सलाह और सुझाव देना है, सरकार चाहे तो माने, न चाहे तो न मानें, ये उन पर निर्भर करता है. राहुल गांधी ने मोदी सरकार से वायनाड मॉडल को अपनाने की सलाह दी है. वहीं पीएम मोदी से जुड़े सवालों और कोरोना संकट पर आगाह करने के बावजूद देर से किए प्रयासों जैसे प्रश्नों का जवाब देने से राहुल गांधी ने साफ तौर पर मना कर दिया.
दरअसल, किसी समय केरल कोरोना मरीजों के मामले में पहले नंबर पर था लेकिन पिनारयी विजयन के कर्फ्यू लगाने और जिला स्तर पर मामलों पर कड़ी नजर रखने के बाद पिछले एक महीने से केरल टॉप 10 में भी नहीं है. केरल में कोरोना मरीजों की संख्या 387 है लेकिन गौर करने वाली बात ये है कि यहां एक्टिव मरीजों की संख्या केवल 167 है. 218 संक्रमित ठीक हो चुके हैं. यही वजह है कि राहुल गांधी ने केन्द्र को वायनाड मॉडल अपनाने की सलाह दी है.
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पत्रकारों से वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए रूबरू होते हुए कहा कि लॉकडाउन कोरोना का इलाज नहीं है. लॉकडाउन खुलते ही कोरोना बढ़ेगा. राहुल गांधी ने रैंडम टेस्टिंग पर जोर देते हुए कहा कि कोरोना को लॉकडाउन से नहीं बल्कि टेस्टिंग से ही हराया जा सकता है. उन्होंने सरकार को रैंडम टेस्टिंग की सलाह दी, साथ ही केरल के वायनाड का उदाहरण देते हुए कहा कि वायनाड में कोरोना को हराने में कामयाबी मिली. वहां लॉकडाउन से बात नहीं बनी बल्कि् रैंडम टेस्टिंग का दायरा बढ़ाया गया. ऐसा ही कुछ देशभर में करना होगा. राहुल गांधी ने लॉकडाउन के दौरान पलायन को भी भारी समस्या बताया.
प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान राहुल गांधी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्र सरकार से जुड़े तमाम सवालों को टाल गए. पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि फिलहाल सरकार की कमियां निकालना और तू-तू मैं-मैं नहीं चाहता बल्कि केवल सलाह देना चाहता हूं. सरकार पर निर्भर करता है कि वो सलाह माने अथवा नहीं. राहुल गांधी ने ये भी कहा कि आने वाले महिने मुश्किल भरे होने वाले हैं. लॉकडाउन से देश पर वित्तीय भार बढ़ने वाला है, अनाज की कमी होने वाली है, बेरोजगारी और भूखमरी भी बढ़ने वाली है. इनसे निपटने के लिए राज्यों के पास जिस रफ्तार से पैसा पहुंचना चाहिए, वो नहीं पहुंच रहा है.
उन्होंने केंद्र सरकार से अपील करते हुए कहा कि ये राज्यस्तरीय और जिलास्तरीय लड़ाई है जिसे निपटने के लिए वहां की सरकार को अधिकार देने चाहिए. राज्यों के मुख्यमंत्रियों और डीएम को पहले से ज्यादा अधिकार देने के साथ ही लॉकडाउन का फैसला भी राज्य सरकारों पर छोड़ देना चाहिए.
राहुल गांधी ने कहा कि इस संकट की घड़ी में सभी दलों को मिलकर काम करना होगा. केंद्र को चाहिए कि वो गरीबों, बेरोजगारों और छोटे मोटे व्यवसायी और संस्थानों के लिए राहत पैकेज जारी करे. हालांकि उन्होंने कहा कि केंद्र को गरीबों के खाने पीने और कोविड-19 से निपटने के प्रयासों को पहले शुरु करना चाहिए था लेकिन अब उन बातों को याद करने का समय नहीं है.
वहीं देश में कई शहरों में हो रहे स्वास्थ्यकर्मियों पर हमले को राहुल गांधी ने गलत बताया. उन्होंने कहा कि डॉक्टर्स एवं नर्सिंगकर्मी अपनी लड़ाई बेहतर तरीके से लड़ रहे हैं. एक समुदाय विशेष में इस बिमारी को लेकर डर बैठ गया है, ऐसे में हमें सभी को जाति, धर्म और भेदभाव भुलाकर एक साथ कोरोना की जंग लड़नी पड़ेगी. राहुल गांधी ने कहा कि लड़ाई लंबी है लेकिन बिमारी से लड़ना है तो सभी को एक होना पड़ेगा, रणनीति बनानी होगी. राहुल ने ये भी कहा कि देशवासियों को डरने की जरूरत नहीं है क्योंकि हिंदूस्तान इस वायरस को आसानी से हरा देगा.