मोदी पर पीके का पलटवार, कहा- हार के बावजूद परिस्थितिवश बने उपमुख्यमंत्री दे रहे हैं राजनीतिक व्याख्यान

'2015 में हार के बाद भी परिस्थितिवश डिप्टी सीएम बनने वाले सुशील मोदी से राजनीतिक मर्यादा और विचारधारा पर व्याख्यान सुनना सुखद अनुभव है'

पॉलिटॉक्स ब्यूरो. बिहार में जदयू और बीजेपी के बीच सियासी खींचतान फिर से तेज हो गई है. सोमवार को बिहार के उपमुख्यमंत्री और बीजेपी नेता सुशील मोदी के बयान पर जदयू के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर ने पलटवार करते हुए कहा कि, ‘2015 में परिस्थितिवश डिप्टी सीएम बनने वाले सुशील मोदी से राजनीतिक मर्यादा और विचारधारा पर व्याख्यान सुनना सुखद अनुभव है.’

प्रशांत किशोर ने मंगलवार सुबह एक ट्वीट करते हुए कहा कि, ‘बिहार में नीतीश कुमार का नेतृत्व और जेडीयू की सबसे बड़े दल की भूमिका बिहार की जनता ने तय किया है, किसी दूसरी पार्टी के नेता या शीर्ष नेतृत्व ने नहीं. 2015 में हार के बाद भी परिस्थितिवश डिप्टी सीएम बनने वाले सुशील मोदी से राजनीतिक मर्यादा और विचारधारा पर व्याख्यान सुनना सुखद अनुभव है.’

बता दें, इससे पहले सोमवार को बीजेपी के वरिष्ठ नेता और उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने जनता दल यूनाइटेड के उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर के एक बयान पर पलटवार करते हुए कहा था कि प्रशांत जो कुछ बोल रहे हैं वो गठबंधन धर्म के खिलाफ है. बिहार एनडीए में जेडीयू को बड़ा भाई बताने वाले प्रशांत किशोर के बयान पर उन्होंने कहा कि ऐसे बयान देकर वे महागठबंधन को फायदा पहुंचा रहे हैं.

उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने प्रशांत किशोर पर तंज कसते हुए कहा कि वह एक चुनावी डाटा जुटाने वाले और नारा गढ़ने वाले कंपनी को चलाने वाले व्यक्ति हैं, जो राजनीति में आ गए हैं. उन्होंने अपने ट्विटर पर लिखा, ‘एक लाभकारी धंधे में लगा व्यक्ति पहले अपनी सेवाओं के लिए बाजार तैयार करने में लगता है, देश हित की चिंता बाद में करता है.’

यह भी पढ़ें: बिहार में पीके के ज्यादा सीटों वाले बयान पर मोदी का करारा जवाब, कहा- पेशेवर राजनीति करने वाले गठबंधन धर्म के खिलाफ काम कर रहे हैं

गौरतलब है कि जदयू उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर पिछले काफी दिनों से नागरिकता कानून को लेकर बीजेपी पर हमला कर रहे हैं. वहीं रविवार को पीके ने ने बिहार में जेडीयू को बड़ा भाई बताते हुए कहा था कि उसे बीजेपी से अधिक सीटों पर चुनाव लड़ना चाहिए. प्रशांत किशोर का कहना था कि बिहार में एनडीए की वरिष्ठ साझीदार होने के नाते उनकी पार्टी को आगामी विधानसभा चुनाव में बीजेपी के मुकाबले अधिक सीटों पर चुनाव लड़ना चाहिए. दोनों दलों ने इस साल लोकसभा चुनाव में बराबर-बराबर सीटों पर चुनाव लड़ा था. किशोर ने कहा, ‘मेरे अनुसार लोकसभा चुनाव का फार्मूला विधानसभा चुनाव में दोहराया नहीं जा सकता.

Leave a Reply