पीएम मोदी 23 साल बाद कल फिर हिमाचल में संजोएंगे यादें, दुनिया की सबसे लंबी टनल का करेंगे उद्घाटन

प्रधानमंत्री मोदी शनिवार को हिमाचल प्रदेश के रोहतांग में अटल सुरंग (टनल) का उद्घाटन करेंगे, 23 साल पहले जब नरेन्द्र मोदी यहां गए थे उस समय मोदी एक साधारण भाजपा नेता हुआ करते थे, सोलांग घाटी में पैराग्लाइडिंग करते समय नरेंद्र मोदी बिल्कुल नहीं डरे थे

Narendra Modi In Himachal
Narendra Modi In Himachal

Politalks.News/Himachal. कहते हैं इतिहास अपने आप को दोहराता है, लेकिन हालात और परिस्थितियां बदल जाती हैं . देश का सबसे खूबसूरत राज्य हिमाचल प्रदेश कल 3 अक्टूबर को एक बार फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का स्वागत करने के लिए आतुर है. लेकिन हम बात करेंगे हिमाचल की उस घाटी की, ‘जहां से नरेंद्र मोदी का पुराना नाता है‘. कल एक बार फिर हिमालय में बसा खूबसूरत छोटा टाउन इतिहास दोहराएगा, हम बात कर रहे हैं सोलांग घाटी की. प्रधानमंत्री मोदी शनिवार को हिमाचल प्रदेश के रोहतांग में अटल सुरंग (टनल) का उद्घाटन करेंगे.

पहले हम आपको 23 वर्ष पीछे लिए चलते हैं, 1997 में जब नरेन्द्र मोदी भारतीय जनता पार्टी की हिमाचल प्रदेश इकाई के प्रभारी थे, तब उन्हें पश्चिमी हिमालय में सोलांग घाटी में पहली पैराग्लाइडिंग की थी. उसके बाद नरेंद्र मोदी राजनीति में व्यस्त होने की वजह से यहां नहीं आ सके. अब प्रधानमंत्री मोदी शनिवार को फिर से उस जगह का दौरा कर रहे हैं, जहां उन्होंने अपनी टेंडम पैराग्लाइडिंग उड़ान भरी थी. दुनिया के सबसे चुनौतीपूर्ण और शानदार इंजीनियरिंग को दर्शाने वाले मोटरवे में से एक रोहतांग दर्रे के राजमार्ग सुरंग का उद्घाटन करने के बाद पीएम मोदी सोलांग में जनता को संबोधित करेंगे.

मध्यप्रदेश से जुड़ी खबरें पढ़ने के लिए क्लिक करें
मध्यप्रदेश से जुड़ी खबरें पढ़ने के लिए क्लिक करें

23 साल पहले जब नरेन्द्र मोदी यहां गए थे उस समय मोदी एक साधारण भाजपा नेता हुआ करते थे लेकिन आज वे ताकतवर विश्वस्तरीय लीडर के तौर पर दुनिया में उभरे हैं. कल जब पीएम मोदी सोलंग घाटी में होंगे उन्हें 1997 का वे रोमांचक स्वर्णिम दौर जरूर याद आएगा. कल पीएम मोदी भले ही पैराग्लाइडिंग नहीं करेंगे लेकिन पुरानी यादें जेहन में जरूर होंगी.

सोलांग घाटी में पैराग्लाइडिंग करते समय नरेंद्र मोदी बिल्कुल नहीं डरे थे-

बता दें कि उस दौरान पैराग्लाइडिंग के लिए टेकऑफ साइट काफी चुनौतीपूर्ण थी. किसी को पीक तक पहुंचने के लिए ट्रेक करना पड़ता था. जहां पर्यटकों की सांस फूलने लगती है, वहां भी नरेंद्र मोदी ने बिना तनाव लिए ट्रैक किया था. पहली बार उड़ान भरने वाले लोगों में डर रहता है, लेकिन नरेंद्र मोदी नहीं डरे थे. आम तौर पर, जब पर्यटकों को झल्लाहट हो रही थी और सांस फूल रही थी, तब तक नरेंद्र मोदी ने उस जगह पर बिना विराम के या तनाव लिए ट्रैक किया.

यह भी पढ़ें: हाथरस कांड पर जिम्मेदारों की ज़ुबा बंद, छावनी बना गांव, विपक्ष-मीडिया की ‘नो एंट्री’

सोलांग के स्थानीय निवासी प्रकाश को उस समय फ्लाइंग के लिए चुना गया था. प्रकाश ने बताया कि यह उनके लिए एक अच्छा अनुभव था. मोदी की फ्लाइट करीब 2 मिनट थी. प्रकाश ने बताया कि नरेंद्र मोदी अपने पहले अनुभव के बाद, वह एक लंबी अवधि की उड़ान के लिए जाने के इच्छुक थे. प्रकाश ने कहा कि मोदी ने मुझसे कहा था वह किसी और दिन समय निकालकर आएंगे.

बिहार से जुड़ी खबरें पढ़ने के लिए क्लिक करें
बिहार से जुड़ी खबरें पढ़ने के लिए क्लिक करें

उसके बाद नरेन्द्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री बने और सोलांग घाटी में कभी नहीं लौटे, लेकिन प्रधानमंत्री मोदी हमेशा अपने सार्वजनिक संबोधनों में पहाड़ी राज्य में रहने के दौरान अपने अनुभवों को साझा करना पसंद करते हैं. वर्ष 2017 में हिमाचल कुल्लू में विधानसभा चुनाव के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने जनता को संबोधित करते हुए पैराग्लाइडिंग की बात कही थी. आइए अब बात करते हैं अटल टनल की जिसे कल प्रधानमंत्री देश की जनता को समर्पित करने वाले हैं.

हिमाचल प्रदेश की ये टनल दुनिया की सबसे लंबी राजमार्ग सुरंग है–

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कल सुबह रोहतांग में दुनिया की सबसे लंबी सुरंग का उद्घाटन करेंगे. इस टनल का नाम पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जी के नाम पर रखा गया है, ‘यानी इसका नाम अटल टनल‘ रखा गया है. रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण अटल सुरंग मनाली-लेह के बीच की दूरी 46 किमी कम हो जाएगी और यात्रा का समय भी 4 से 5 घंटे कम जाएगा. यह 9 किलोमीटर से कुछ अधिक लंबी सुरंग है, जो कि मनाली को पूरे साल लाहौल-स्पीति घाटी से जोड़े रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी. इससे पहले लाहौल-स्पीति घाटी हर साल 6 महीने तक भारी बर्फबारी के कारण अन्य हिस्सों से कट जाती थी. इस सुरंग को समुद्र तल से 3,000 मीटर की ऊंचाई पर हिमालय की पीर पंजाल श्रेणी में आधुनिक तकनीक के साथ बनाया गया है.

बता दें, टनल के भीतर सुरक्षा पर भी खास ध्यान दिया गया है। दोनों ओर एंट्री बैरियर रहेंगे. हर 150 मीटर पर आपात स्थिति में संपर्क करने की व्यवस्था होगी। हर 60 मीटर पर आग बुझाने का संयंत्र होगा. इसके अलावा हर 250 मीटर पर दुर्घटना का स्वयं पता लगाने के लिए सीसीटीवी भी लगाए गए हैं. यहां हर एक किलोमीटर पर हवा की क्वालिटी जांचने का भी इंतजाम किया गया है. आपको बता दें कि इस टनल को बनाने का फैसला तीन जून 2000 को लिया गया था, जब अटल बिहारी वाजपेयी देश के प्रधानमंत्री थे. 26 मई 2002 को इसकी आधारशिला रखी गई थी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 2019 को इस टनल का नाम दिवंगत प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नाम पर अटल टनल रखने का फैसला किया था.

Leave a Reply