Politalks.News/UP. यूपी के हाथरस जिले का चंदपा गांव इस दिनों सियासत का बड़ा अड्डा बना हुआ है. गांव की बॉर्डर पर मीडिया के साथ विपक्ष के ढेर सारे नेताओं का जमावड़ा है और चरम पर सियासत. दुष्कर्म पीड़िता की मंगलवार को मौत हो चुकी है और पोस्टमार्टम रिपोर्ट में दुष्कर्म की पुष्टि तक नहीं हुई. ताज्जुब की बात है… लेकिन पुलिस या फिर प्रशासन या फिर सरकार अपने काले कारनामों पर पर्दा डालने की पूरजोर कोशिश में लगी हुई है. आलम ये है कि पूरा गांव पुलिस की छावनी बना हुआ है. चारों तरफ 500 से ज्यादा पुलिसकर्मियों की एक दीवार खड़ी है जिसे फांद पाना नामुमकिन है. वहीं पुलिसकर्मी और अधिकारियों ने अपनी ज़ुबान पर ताला जड़ा हुआ है. पूछने पर ‘बताने की इजाजत नहीं है’ कहकर पीछे हट रहे हैं.
गांव की बॉर्डर से लेकर पीड़ित परिवार के घर तक चप्पे चप्पे पर पुलिस का कड़ा पहरा है और विपक्ष सहित मीडिया तक की वहां एंट्री बैन है. हाथरस जिले की सीमाएं सील कर दी गई हैं, साथ ही धारा 144 लगाई गई है. हद तो तब हो गई जब कुछ पत्रकारों से भी पुलिसकर्मियों ने बदस्लूकी की और धक्का मुक्की की.
घटना तो वैसे भी सभी के ज़ेहन में ताजा है लेकिन अगर हल्की भी धूमिल हुई हो तो याद दिला देते हैं. 14 सितम्बर को सुबह 10 बजे खेतों में काम कर रही दलित समुदाय की 19 वर्षीय युवती को दबंग परिवारों के कुछ युवक खेतों में खींच ले गए और वहशीपन का वो नंगा नाच खेला कि किसी की भी आत्मा कांप जाए. कुछ घंटों बाद जब परिवार ढूंढने निकला तो युवती खेत में लहूलुहान हालत में मिली. पुलिस को सूचित किया और युवती को अस्पताल में भर्ती कराया. 5 दिन बाद युवती को होश आया तो पता चला कि युवती की रीढ़ की हड्डी तोड़ दी गई थी. होश में आने के बाद युवती दर्द से कराह रही थी और परिवार सदमे में था.
पुलिस को बयान के लिए बुलाया तो युवती ने बेहद धीमे स्वर में बताया कि उसके साथ तीन युवकों ने दुष्कर्म किया. मारपीट की और कई बार गला दबाने की कोशिश की गई. पुलिस को अब पता नहीं किस का डर था जो दुष्कर्म की जगह छेड़छाड़ की एफआईआर लिखकर ले गई. मामला खुला तो स्थानीय मीडिया आ गया, दवाब में पुलिस ने दुष्कर्म की धारा जोड़ ली. यहां युवती की तबीयत बिगड़ी तो उसे दिल्ली अस्पताल रैफर कर दिया जहां उसकी मंगलवार को मौत हो गई. परिवार को बिना बताए शव घर के लिए रवाना कर दिया और फिर परिवार को कमरे में बंद करके पुलिस ने ही शव को जला दिया. आज पोस्टमार्टम और फोरेंसिक रिपोर्ट में दुष्कर्म न होने की पुष्टि कर दी गई. वहीं हाथरस डीएम प्रवीण कुमार द्वारा परिवार को धमकाने के वीडियो भी सामने आए हैं. यहां इलाहबाद कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेते हुए सभी पुलिस अधिकारियों को नोटिस जारी किया है.
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मामले को राजनीतिक रंग देते हुए राहुल गांधी और प्रियंका गांधी पीड़ित परिवार से मिलने हाथरस के लिए रवाना हुए. यहां रास्ते में पुलिस ने प्रोटोकॉल का हवाला देते हुए काफिला रोक दिया. इस पर राहुल और प्रियंका दल बल सहित पैदल ही रवाना हो गए. थोड़ा आगे चले तो पुलिस ने राहुल गांधी और अन्य नेताओं के साथ धक्का मुक्की की और हल्का बल प्रयोग किया. राहुल और प्रियंका को हिरासत में लिया गया और फिर दिल्ली के लिए रवाना कर दिया. आज सुबह तृणमूल कांग्रेस के सांसद डेरेक ओ ब्रायन सियासी रोटियां सेकने यहां पहुंच गए. पुलिस से धक्का मुक्की हुई और यहां भी पुलिस ने किसी को आगे नहीं बढ़ने दिया.
यहां कुछ स्थानीय और नेशनल पत्रकारों ने पुलिसकर्मियों से नियमों का हवाला देते हुए पीड़ित परिवार से बात करने और सच्चाई सामने लाने की बात की. कुछ पत्रकारों ने तो गांधी जयंती का हवाला देते हुए पुलिसकर्मियों को फूल भी देने की कोशिश की और गांधीगिरी से पीड़ित परिवार से मिलने का अनुरोध किया. लेकिन हर पुलिसकर्मी की जुबान पर केवल एक ही जवाब ‘उपर वाले का आर्डर नहीं है’ लेकिन उपर वाला कौन है…इसका जवाब किसी के पास नहीं है.
हैरानी तो इस बात की है कि दो दिन से इतने ड्रामे के बाद भी सरकार का कोई मंत्री या कोई भी जिम्मेदार अधिकारी घटनास्थल पर नहीं पहुंचा. ये तो तय है कि सरकार के सभी मंत्री संत्री टीवी स्क्रीन से चिपके बैठे होंगे लेकिन किसी को भी यहां आने की लगता है इजाजत नहीं है. तभी तो पुलिस को भी कुछ कहने की इजाजत नहीं है. अब सवाल यही उठता है कि आखिर ऐसा क्या है जो छिपाया जा रहा है? आखिर ऐसा कौनसा दबाव है कि पुलिस ने रातोंरात शव को आग के हवाले कर दिया. यहां दाह संस्कार इसलिए नहीं कहा जा सकता है कि वायरल हो रहे वीडियो में पुलिस वाले खुद ही केरोसिन जैसा कुछ लिक्विड अर्थी पर फेंक रहे हैं.
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जब युवती ने मरने से पहले खुद बयान दिया कि मेरे साथ दुष्कर्म हुआ है…फिर ऐसा क्या है कि फोरेंसिक रिपोर्ट तक पर सवाल उठाए जा रहे हैं. डीएम के वीडियो सामने आने के बाद भी उस पर अब कोई कोई एक्शन नहीं लिया गया. सूत्रों से खबर आ रही है कि सीएम योगी प्रशासन की कार्यप्रणाली से नाराज हैं और डीएम पर कार्रवाई हो सकती है लेकिन ये केवल सूत्र हैं..केवल सूत्र. इतने हंगामे के बाद तो सोये हुए कुंभकरण तक की नींद टूट जाती लेकिन अब तो देखना ये होगा कि योगी सरकार और जिम्मेदारों की नींद कब टूटती है या गांधी जयंती के इस दिन केवल गांधीगिरी जैसे सिद्धांतों का यूं ही मजाक बनाया जाता रहेगा.