Politalks.News/Rajasthan. प्रदेश में कोरोना संक्रमण की भयावह तस्वीर के बीच अब एक नई बीमारी ने चिंता बढ़ा दी है. म्यूकोरमाइकोसिस यानी ब्लैक फंगस नामक इस बीमारी से कई मरीजों की आंखें और शरीर के अन्य हिस्सों को निकालकर जान बचानी पड़ रही है. सबसे ज्यादा चिंता वाली बात यह है कि इस बीमारी की दवाइयां बहुत ज्यादा महंगी हैं और उससे भी बड़ी बात इसकी दवा बाजार में मिल भी नहीं रही है. इस वजह से लोगों को ब्लैक में ज्यादा कीमत चुकाकर इसे खरीदना पड़ रहा है. इसी बीच ब्लैक फंगस की दवा को लेकर चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा ने केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन को पत्र लिखा है. प्रदेश में ब्लैक फंगस इंफेक्शन के रोगी तेजी से बढ़ रहे है, लेकिन केन्द्र सरकार की ओर से ब्लैक फंगस दवा की आपूर्ति भी अपने हाथ में लेने से दवा की उपलब्धता में परेशानी आ रही है.
इसी बीच प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने गहलोत सरकार से आग्रह करते हुए ट्वीट किया है कि ब्लैक फंगस राजस्थान में हो रही एक नई बीमारी है. इसके इलाज के लिए लिपोसोमल एम्फोटेरिसिन बी 50एमजी इंजेक्शन और पॉसकोनाज़ोल 300एमजी टेबलेट की आवश्यकता है. सरकार से अनुरोध है कि जल्द से जल्द यह दवाइयां उपलब्ध कराएं ताकि लोगों को इन्हें काले बाजार में अत्यधिक कीमतों पर न खरीदना पड़े.
#BlackFungus #Rajasthan में हो रही एक नई बीमारी है।
इसके इलाज के लिए Liposomal Amphotericin B 50mg इंजेक्शन & Posaconazole 300mg टेबलेट की आवश्यकता है।
सरकार से अनुरोध है – जल्द से जल्द यह दवाइयाँ उपलब्ध कराएं ताकि लोगों को इन्हें काले बाजार में अत्यधिक कीमतों पर न खरीदना पड़े।
— Vasundhara Raje (@VasundharaBJP) May 15, 2021
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वहीं भाजपा प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनियां ने भी इसी को लेकर ट्वीट किया है कि प्रदेश में ब्लैक फंगस या म्यूकोरमाइकोसिस के रोगियों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है, लेकिन इसकी दवाइयां यहां उपलब्ध नहीं हो पा रही. हमारी टीम प्रयासरत है, लेकिन कहीं भी दवाइयां नहीं है. मैं आग्रह करूंगा मुख्यमंत्री से, जितना जल्दी हो सके इन दवाइयों को उपलब्ध करवाइए. आपको बता दें कि कोविड से ठीक हुए मरीजों पर म्यूकोरमाइकोसिस यानी ब्लैक फंगस का खतरा बढ़ता जा रहा है. हाड़ौती में 25 रोगी इसका उपचार करवा रहे हैं. मगर बाजार में इसकी दवा नहीं मिलने से लोग परेशान हैं. मधुमेह रोगियों को इस बीमारी से ज्यादा खतरा है.
चिकित्सा मंत्री डॉ रघु शर्मा ने बताया कि केन्द्र सरकार की ओर से राजस्थान को 31 मई तक इस दवा के केवल 700 वाईल का कोटा ही निर्धारित किया गया है. मंत्री शर्मा ने कहा कि ब्लैक फंगस इंफेक्शन के मरीज को करीब 60 वाईल की आवश्यकता होती है, ऐसे में निर्धारित कोटे से केवल 10-12 मरीजों का ही इलाज हो सकेगा. चिकित्सा मंत्री ने बताया कि ब्लैक फंगस के उपचार के काम में आने वाली दवा लाइपोजोमल एम्फोटेरिसिन बी की 50000 वाईल की राज्य को तुरंत आवश्यकता है. इस सबंध में उन्होंने केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन को पत्र लिखकर दवा को उपलब्ध कराने की मांग की है.
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केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन को लिखे पत्र में चकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री डॉ रघु शर्मा ने बताया कि सरकार भी ब्लैक फंगल इंफेक्शन के लिए निर्धारित औषधि की उपलब्धता के लिए हरसंभव प्रयास कर रही है. मंत्री रघु शर्मा ने बताया कि राज्य सरकार अपने स्तर पर भी इस दवा को बनाने वाली कंपनियों (Cipla, Sun pharma, AHPL, Bharat Serum, Ranbaxy, Life Care, Intas, CritiCare Lab, Maylon, Celon) के संपर्क में है. रघु शर्मा ने बताया कि राज्य सरकार व आरएमएससीएल के स्तर पर इन दवा कंपनियों के प्रमुखों से वार्ता जारी है. जिससे कि इस दवा की प्रदेश में उपलब्धता सुनिश्चित हो सके. मंत्री ने बताया कि इस दवा का देश में अब तक सीमित उपयोग होता रहा है इसलिए इसका उत्पादन भी काफी कम है. जिससे कि इसकी उपलब्धता में परेशानी आ रही है.
चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा ने कहा कि ब्लैक फंगस इंफेक्शन के सर्वाधिक मरीज जयपुर स्थित निजी चिकित्सालय में भर्ती है. जहां के विशेषज्ञों द्वारा लाइपोजोमल एम्फोटेरिसिन बी की अनुपलब्धता की स्थिति में अन्य दवाओं के उपयोग का सुझाव दिया गया है. इन दवाओं में टेबलैट पोसाकोनाजोल व आइसोकोनाजोल है, जिनका उपयोग स्टेप डाउन मेडिकेशन के रुप में किया जा सकता है. रघु शर्मा ने कहा कि इन वैक्लपिक दवाओं का उपयोग कितना प्रभावशाली है इसकी रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए एसएमएस मेडिकल कॉलेज को पत्र लिखकर जानकारी मांगी गई है.