राजस्थान के गांधीवादी मुजीब अता आजाद बने हिंदी यूनिवर्स फाउंडेशन के उपाध्यक्ष, टोंक का बढ़ाया गौरव

राष्ट्रभाषा हिंदी के लिए वैश्विक स्तर कार्यरत प्रतिष्ठित संस्थान हिंदी यूनिवर्स फाउंडेशन नीदरलैंड्स, मुजीब अता आजाद को उनकी प्रतिष्ठा,ख्याति एवं कार्य निष्ठा के आधार पर हिंदी यूनिवर्स फाउंडेशन का उपाध्यक्ष मनोनीत किया गया है, भारत में फाउंडेशन का कार्यालय राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की कर्मभूमि वर्धा में है

मुजीब अता आजाद
मुजीब अता आजाद

Politalks.News/Rajasthan. वैश्विक स्तर पर भारत की राष्ट्रभाषा हिंदी के प्रचार प्रसार में जुटे हिंदी यूनिवर्स फाउंडेशन नीदरलैंडस में राजस्थान कोटा – टोंक निवासी गांधीवादी विचारक मुजीब अता आजाद को फाउंडेशन का उपाध्यक्ष मनोनीत किया है. कोटा में कई वर्षों तक छात्र जीवन में कांग्रेस संगठन मे सक्रिय रहे, टोंक के मूल निवासी मुजीब आजाद को हिंदी के क्षेत्र में विश्व स्तरीय सम्मान मिलने से कोटा – टोंक के साथ राजस्थान का गौरव बढ़ा है.

यह अधिकृत घोषणा फाउंडेशन की अध्यक्ष प्रोफेसर पुष्पिता अवस्थी ने नीदरलैंडस से जारी की है, अध्यक्षा द्वारा भेजे गए मनोनयन पत्र के अनुसार मुजीब अता आजाद को उनकी प्रतिष्ठा,ख्याति एवं कार्य निष्ठा के आधार पर हिंदी यूनिवर्स फाउंडेशन का उपाध्यक्ष मनोनीत किया गया है, भारत में फाउंडेशन का कार्यालय राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की कर्मभूमि वर्धा में है.

आपको बता दें, गांधीवादी विचारक मुजीब अता आजाद, भारत के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी द्वारा स्थापित विभिन्न गांधीवादी संस्थाओं के प्रतिनिधि है, राष्ट्रभाषा प्रचार समिति, वर्धा, सर्व सेवा संघ, सहित गांधी आश्रम वर्धा सहित अनेक संस्थाओं से जुड़ाव रखते हैं तथा आचार्यकुल,वर्धा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एवं राष्ट्रपिता महात्मा गांधी 150वीं जन्म उत्सव समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं, फाउंडेशन की अध्यक्ष प्रोफेसर पुष्पिता अवस्थी के बाद मुजीब आजाद एकमात्र ऐसे व्यक्तित्व हैं जिनको भारत से प्रतिनिधित्व के साथ उपाध्यक्ष के रूप में विश्व स्तर पर हिंदी के लिए काम करने का अवसर मिला है.

हिंदी यूनिवर्स फाउंडेशन नीदरलैंड्स की अध्यक्ष प्रो. पुष्पिता अवस्थी का मानना है कि विश्वस्तर पर भारत की पहचान हिंदी से है. चूंकि उन देशों में कामकाज व शिक्षा की भाषा के लिए अपनी भाषाएँ हैं वहाँ हिंदी भाषा की साहित्य-संस्कृति के माध्यम से और भारतवंशियों को साथ लेकर अपनी जड़ें मजबूत कर रही है, हिंदी यूनिवर्स फाउंडेशन के माध्यम से विश्वस्तर पर हिंदी के विश्वदूत बनकर हिंदी भाषा व साहित्य को प्रतिष्ठित करने में जुटी हैं.

नवनियुक्त उपाध्यक्ष मुजीब आजाद ने बताया कि हिंदी-भाषा-प्रसार के क्षेत्र में हिंदी यूनिवर्स फाउंडेशन, नीदरलैंडस ने महत्वपूर्ण कार्य किया है, विदेश में हिंदी पढ़ रहे विद्यार्थियों के लिए अन्य भाषाविद् विद्वानों के साथ देवनागरी से शुरुआत करते हुए छह भाषाओं में विशेष पुस्तकें तैयार की हैं जिनका भारतवंशी बहुल देशों में उपयोग हो रहा है. मुजीब आजाद ने कहा कि हिंदी के विश्वदूत के रूप में हिंदी यूनिवर्स फाउंडेशन का कार्य हिंदी भाषा–साहित्य के प्रसार में उसका योगदान निश्चय ही विश्व स्तर पर फाउंडेशन को अग्रिम पंक्ति में खड़ा करता है.

मुजीब आजाद ने आगे बताया कि हिंदी यूनिवर्स फाउंडेशन नीदरलैंडस, प्रोफेसर पुष्पिता अवस्थी के नेतृत्व में विगत 14 वर्षो से यूरोपीय देशों में हिंदी साहित्य, भाषा, संस्‍कृति के प्रचार – प्रसार के कार्य को सफलतापूर्वक कर रहा है, हिंदी यूनिवर्स फाउंडेशन की अध्यक्ष प्रोफेसर पुष्पिता अवस्थी वर्ष 2001 से दक्षिण अमेरिका के उत्तर पूर्व में स्थित सुरीनाम देश के भारतीय दूतावास एवं भारतीय सांस्कृतिक केंद्र, पारामारिबो, सूरीनाम में प्रथम सचिव एवं हिंदी प्रोफेसर के रूप में वर्ष 2001 से 2005 तक वह कार्यरत रहीं, उनके संयोजन में वर्ष 2003 में सूरीनाम में सातवाँ विश्व हिंदी सम्मलेन संपन्न हुआ, वर्ष 2006 मे प्रोफेसर पुष्पिता अवस्थी ने नीदरलैंड स्थित ‘हिंदी यूनिवर्स फाउन्डेशन’ की निदेशक के रूप में कार्य शुरू किया तत्पश्चात अध्यक्ष निर्वाचित हुई , वर्ष 2010 में गठित अंतर्राष्ट्रीय भारतवंशी सांस्कृतिक परिषद की वे महासचिव भी हैं

भारत में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी द्वारा स्थापित ऐतिहासिक संस्था राष्ट्रभाषा प्रचार समिति वर्धा से जुड़े मुजीब आजाद ने बताया कि हिन्दी, संस्कृत, अंग्रेजी, बांग्ला, फ्रेंच और डच भाषाओँ की जानकार प्रोफेसर पुष्पिता अवस्थी को हिंदी यूनिवर्स फाउंडेशन की प्रतिनिधि के रूप में जापान, मॉरिशस, अमेरिका, इंग्लैंड, आस्ट्रेलिया, न्युजीलैंड सहित कई यूरोपियन और कैरिबियई देशों में आमंत्रित किया जा चुका है . विश्व के अनेक विश्वविद्यालयों में उन्होंने वैश्विक मानवीय संस्कृति तथा भारतवंशी संस्कृति पर विशेष व्याख्यान दिए हैं मॉरीशस स्थित हिंदी लेखक संघ सहित विदेशों की कई संस्थाओं का उन्हें मानद सदस्य बनाया गया है लगातार कई वर्षों से वे भारतवंशी बहुल देशों में से सुरीनाम, गयाना, ट्रिनिडाड, फिजी, दक्षिण अफ्रीका और कैरिबियाई देश-द्वीपों को अपना कार्य और सृजनात्मक चिंतन का क्षेत्र बनाए ह्ए हैं.

मुजीब आजाद ने बताया कि हिंदी यूनिवर्स फाउंडेशन हिंदी के प्रचार प्रसार और विकास के लिए वैश्विक स्तर पर निरंतर कार्य किए जा रहे हैं फाउंडेशन अध्यक्ष द्वारा अनुदित और संपादित समकालीन सूरीनामी लेखन के दो संग्रहों ‘कविता सूरीनाम’ ( राधाकृष्ण प्रकाशन, 2003) और ‘कहानी सूरीनाम’ (राधाकृष्ण प्रकाशन, 2003) में पुस्तकों में हुई . ‘सूरीनाम’ शीर्षक से उन्होंने मोनोग्राफ़ भी लिखा, जिसे राधाकृष्ण प्रकाशन ने वर्ष 2003 में प्रकाशित किया . इन सबका लोकार्पपण सातवें विश्व हिंदी सम्मेलन में हुआ, कविता संग्रहों ‘शब्द बनकर रहती हैं ऋतुएँ’ (कथारूप, 1997), ‘अक्षत’ (राधाकृष्ण प्रकाशन, 2002), ‘ईश्वराशीष’ (राधाकृष्ण प्रकाशन, 2005), ‘ह्रदय की हथेली’ (राधाकृष्ण प्रकाशन, 2008), तुम हो मुझ में (राधाकृष्ण प्रकाशन, 2014), ‘शब्दों में रहती है वह’ ( किताब घर-2014) और कहानी संग्रह ‘गोखरू’ (राजकमल प्रकाशन, 2002) और ‘जन्म’ ( मेघा बुक्स -2009) को साहित्य संसार में व्यापक सराहना मिली है, आलोचना के क्षेत्र में वर्ष 2005 में राधाकृष्ण प्रकाशन से प्रकाशित पुस्तक ‘आधुनिक हिंदी काव्यालोचना के सौ वर्ष’ विशेष रूप से चर्चित रही जिसके कई संस्करण प्रकाशित हुए. हिंदी और संस्कृत विद्वान पंडित विद्यानिवास मिश्र से उनके संवाद ‘सांस्कृतिक आलोक से संवाद’ (भारतीय ज्ञानपीठ, 2006) को समकालीन हिंदी और हिंदी समाज की विकासयात्रा को दर्ज करने के अनूठे प्रयास के रूप में देखा/पहचाना गया है.

वर्ष 2009 में मेधा बुक्स से ‘अंतर्ध्वनि’ और अंग्रेजी अनुवाद सहित रेमाधव प्रकाशन से ‘देववृक्ष’ काव्य संग्रहों का प्रकाशन हुआ. साहित्य अकादमी, दिल्ली से वर्ष 2010 में ‘सूरीनाम का सृजनात्मक हिंदी साहित्य’ पुस्तक प्रकाशित हुई, जिसका लोकार्पण जोहान्सवर्ग में वर्ष 2011 में आयोजित हुए नवें विश्व हिंदी सम्मलेन में हुआ ,वर्ष 2010 में ही नेशनल बुक ट्रस्ट से उनकी ‘सूरीनाम’ शीर्षक पुस्तक प्रकाशित हुई . एम्सटर्डम स्थित इंडियन इंस्टीट्यूट ने डिक प्लक्कर और लोडविक ब्रंट द्धारा डच में किये उनकी कविताओं के अनुवाद का एक संग्रह वर्ष 2008 में प्रकाशित किया . नीदरलैंड के अमृत प्रकाशन से डच, अंग्रेजी और हिंदी में वर्ष 2010 में ‘शैल प्रतिमाओं से’ शीर्षक काव्य संग्रह प्रकाशित हुआ .

उपाध्यक्ष मुजीब आजाद ने बताया कि फाउंडेशन द्वारा फिल्म, मीडिया और टेलीविजन के क्षेत्र में अनेक महत्वपुर्ण वृत्तचित्र बनाए हैं. सूरीनाम की संस्कृति और प्रकृति पर उनके द्वारा बनाई गई दो घंटे की डॉक्यूमेंटरी फिल्म वर्ष 2003 में आयोजित हुए विश्व हिंदी सम्मलेन में और इसके उपरांत कई भारतवंशी बहुल देशों में भी प्रदर्शित की गई. इसके पूर्व महान हिंदी साहित्यकार व उपन्यासकार श्रीलाल शुक्ल, प्रोफेसर विद्यानिवास मिश्र और प्रोफेसर शिवप्रसाद सिंह के कृतित्व-व्यक्तित्व पर उनके द्वारा बनाई गईं डॉक्यूमेंटरी फिल्मों का लखनऊ दूरदर्शन से प्रदर्शन हुआ है. हिंदी यूनिवर्स फाउंडेशन नीदरलैंड्स विश्व की अनेक आदिवासी प्रजातियों तथा भारतवंशियों के अस्तित्व और अस्मिता पर विशेष अध्ययन और शोधकार्य से भी संबद्ध हैं.

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