बातचीत की परंपरा खो चुकी कांग्रेस के लिए छलका सुशील कुमार शिंदे का दर्द, राउत बोले- विचार करे पार्टी

एक समय था, जब कांग्रेस पार्टी में मेरे शब्दों की कुछ कीमत थी, लेकिन मुझे पता नहीं है कि अब है या नहीं, आज के वक्त में यह समझना मुश्किल है कि आखिर पार्टी कहां जा रही है- सुशील कुमार शिंदे, शिंदे ऐसा कह रहे हैं तो इस पर कांग्रेस को आत्ममंथन करना चाहिए. वे कांग्रेस के सबसे पुराने सैनिकों में से एक हैं- संजय राउत

कांग्रेस के लिए छलका सुशील कुमार शिंदे का दर्द
कांग्रेस के लिए छलका सुशील कुमार शिंदे का दर्द

Politalks.News/Maharashtra. भारतीय राजनीति में विपक्ष का काम सत्ताधारी पार्टी के खिलाफ आवाज उठाने का है. लेकिन देश की सत्ता में काफी लम्बे समय तक राज करने वाली कांग्रेस, अब पार्टी में चल रही आपसी खींचतान में ही उलझ कर रह गई है. कई राज्यों में पार्टी के नेताओं ने बगावती तेवर अख्तियार कर लिए है. इन्ही बगावती तेवर और पार्टी में अपने हक़ की आवाज को तवज्जो नहीं मिलने पर कांग्रेस के हाथ से मध्यप्रदेश की सत्ता निकल गई. ऐसा ही कुछ आगामी उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनाव से ठीक पहले देखने को मिला जहां ब्राह्मण नेता जितिन प्रसाद ने भाजपा का दामन थाम लिया. कांग्रेस के भीतर पार्टी के कई दिग्गज पार्टी के नेतृत्व और सोच पर सवाल उठा चुके हैं. अब इसी कड़ी में महाराष्ट्र के दिग्गज नेता एवं पूर्व गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे ने कांग्रेस नेतृत्व पर सवाल उठाते हुए कहा है कि कांग्रेस पार्टी अब धीरे-धीरे अपनी विचारधारा की संस्कृति लगातार खो रही है.

कांग्रेस के दिग्गज नेता सुशील कुमार शिंदे के इस बयान के बाद कांग्रेस नेतृत्व पर फिर से सवाल उठने लगे हैं. गुरुवार को पुणे में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान शिंदे ने कहा कि पार्टी की कार्यशैली में काफी बदलाव आ गया है. ‘कांग्रेस की जो परंपरा डिबेट करने और बातचीत के लिए सेशन करने की थी, अब वह खत्म हो चुकी है और मैं इसके लिए बेहद दुखी हूं.’ शिंदे ने आगे कहा कि कांग्रेस में आत्मचिंतन के लिए बैठकें होना जरूरी है. हमारी नीतियां गलत हो सकती हैं, लेकिन हम उसे सही कर सकते हैं, पार्टी में ऐसे और सेशंस की जरूरत है.

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सुशील कुमार शिंदे ने आगे कहा कि एक समय था, जब कांग्रेस पार्टी में मेरे शब्दों की कुछ कीमत थी, लेकिन मुझे पता नहीं है कि अब है या नहीं. कांग्रेस अपनी विचारधारा की संस्कृति भी खोती जा रही है. एक समय था जब कांग्रेस में शिविर, कार्यशालाएं आयोजित किए जाते थे. इन शिविर में मंथन होता था कि पार्टी कहां जा रही है, लेकिन आज के वक्त में यह समझना मुश्किल है कि आखिर पार्टी कहां जा रही है. अब चिंतन शिविर का आयोजन नहीं किया जाता है, मैं इसको लेकर काफी दुखी महसूस करता हूं.’

सुशील कुमार शिंदे का यह बयान उस समय आया है जब कांग्रेस नेतृत्व विहीन है और पार्टी के कई नेता पार्टी की कार्यशेली पर सवाल उठा चुके हैं. G-23 गुट के नेता गुलाम नबी आजाद, आनंद शर्मा, कपिल सिब्बल और वीरप्पा मोइली समेत कई नेता कांग्रेस पार्टी में व्यापक फेरबदल की वकालत भी कर चुके हैं. सुशील कुमार शिंदे को महाराष्ट्र के दिग्गज नेताओं में गिना जाता रहा है. UPA सरकार के दौरान शिंदे के पास गृह मंत्रालय जैसी अहम जिम्मेदारी थी.

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वहीं सुशील कुमार शिंदे के इस बयान पर शिवसेना सांसद संजय राउत का भी बयान सामने आया है. राज्यसभा सांसद संजय राउत ने कहा कि अगर सुशील कुमार शिंदे ऐसा कह रहे हैं तो इस पर कांग्रेस को आत्ममंथन करना चाहिए. वे कांग्रेस के सबसे पुराने सैनिकों में से एक हैं और उन्होंने पार्टी के लिए बहुत संघर्ष किया है. अगर वह अपना दर्द व्यक्त कर रहे हैं, तो उनकी पार्टी को इस पर विचार करना चाहिए. हम बाहरी हैं, लेकिन हम चाहते हैं कि कांग्रेस पार्टी बनी रहे.

सुशील कुमार शिंदे और कांग्रेस के कई दिग्गज नेताओं के इस तरह पार्टी की कार्यशेली पर सवाल उठाना कांग्रेस आलाकमान के लिए टेंशन बढ़ाने वाला है. आगामी 6 राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस आलाकमान भी चाहता है कि किसी न किसी तरह पार्टी में खड़े हुए इस मसले को ख़त्म किया जाए. वहीं पार्टी लोकसभा चुनाव के बाद से एक स्थाई अध्यक्ष की तलाश में लगा हुआ है. हालांकि सोनिया गांधी अंतरिम अध्यक्ष के तौर पर पार्टी की कमान संभाली हुई है लेकिन यह पूर्ण समाधान नजर नहीं आता. पंजाब, राजस्थान, छत्तीसगढ़, हरियाणा में चल रही सियासी वर्चस्व की लड़ाई भी कांग्रेस के लिए बड़ी मुसीबत बनी हुई है. ऐसे में क्या कांग्रेस इन सभी बयानबाजी और पार्टी में चल रही अंतरकलह से निजात पाने के लिए जल्द से जल्द अध्यक्ष का चुनाव करेगी और करेगी तो कब, यह सवाल बहुत ही महत्वपूर्ण है.

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