पंजाब की आग से दिल्ली में बढ़ा प्रदूषण तो जावेडकर-केजरीवाल में भड़क गई चिंगारी

दिल्ली में प्रदूषण की भयावह स्थिति के लिए पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जलने वाली पराली को जिम्मेदार माना जाता रहा है, वैज्ञानिकों ने भी पराली को जिम्मेदार माना है, राजधानी में प्रदूषण स्तर बढ़ने के लिए पराली के साथ दिल्ली की समस्याएं भी जिम्मेदार- प्रकाश जावड़ेकर

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Politalks.News/Punjab-Delhi. एक बहुत ही विश्व प्रसिद्ध कहावत है, फ्रांस जल रहा था और नीरो बांसुरी बजा रहा था, इसी तर्ज पर पंजाब से लगी आग का धुआं राजधानी दिल्ली में प्रदूषण फैलाता है. बता दें कि पंजाब में मौजूदा समय में कांग्रेस की सरकार है, इसको हम यह भी कह सकते हैं कि कांग्रेस की लगाई आग में भाजपा और आम आदमी पार्टी झुलस जाती है. उसके बाद पंजाब सरकार आराम से बांसुरी बजाती है. आग का मतलब है पराली जलाना, वैसे पंजाब के साथ हरियाणा और पश्चिम उत्तर प्रदेश में भी किसानों द्वारा पराली जलाई जाती है, जिससे दिल्ली में प्रदूषण और बढ़ जाता है. पराली जलाने की घटनाएं अधिकांश सर्दी के शुरू होने पर सामने आती है. इस बार भी ऐसे ही हो रहा है. सर्दी शुरू होते ही पराली जलाने से दिल्ली का प्रदूषण स्तर काफी बढ़ गया है.

पिछले कुछ दिनों से दिल्ली और एनसीआर के इलाकों में धुंध हो रही है, जिसकी वजह से राजधानी दिल्ली की जनता का दम घुटने लगा है. अब इसी मुद्दे पर केंद्र और दिल्ली सरकार में फिर बयानबाजी शुरू हो गई है. गुरुवार को केंद्रीय पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावेडकर और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण को लेकर आमने सामने आ गए हैं. राजधानी में बढ़ते प्रदूषण से हालात बिगड़ने पर पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावेडकर ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को जिम्मेदार ठहरा दिया. आइए आपको बताते हैं जावेडकर ने क्या कहा जिस पर अरविंद केजरीवाल ने भी पलटकर जवाब दिया.

राजधानी में प्रदूषण स्तर बढ़ने के लिए पराली के साथ दिल्ली की समस्याएं भी जिम्मेदार-

गुरुवार सुबह केंद्रीय पर्यावरण मंत्री जावेडकर ने कहा की राजधानी में बढ़ते प्रदूषण के लिए पंजाब सहित अन्य राज्यों में पराली जलाने के साथ दिल्ली की आम आदमी पार्टी की सरकार भी जिम्मेदार है. केंद्रीय मंत्री ने कहा कि राजधानी में पराली की वजह से सिर्फ चार फीसदी प्रदूषण होता है, बाकी प्रदूषण यहां की ही लोकल समस्याओं के कारण होता है. जावेडकर ने बताया कि दिल्ली में बायोमास जलती है, ये सभी मिलकर राष्ट्रीय राजधानी में प्रदूषण संकट में योगदान करते हैं. केंद्रीय मंत्री ने कहा कि दिल्ली सरकार इससे निपटने में नाकामयाब रही है. केंद्रीय मंत्री जावेडकर के इस बयान के बाद आम आदमी पार्टी के मुखिया और दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल भी केंद्र से आर-पार की लड़ाई में उतर आए.

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मुख्यमंत्री केजरीवाल ने जावेडकर पर पलटवार करते हुए कहा कि बार-बार इनकार करने से कुछ नहीं होगा. अगर पराली जलने से सिर्फ चार फीसदी प्रदूषण हो रहा है तो फिर अचानक रात में ही कैसे प्रदूषण फैल गया? उससे पहले तो हवा साफ थी. केजरीवाल ने कहा कि यही कहानी हर साल होती है, कुछ ही दिनों में दिल्ली में प्रदूषण को लेकर ऐसा कोई उछाल नहीं हुआ है. दिल्ली सीएम अरविंद केजरीवाल ने अपने ट्वीट में लिखा कि इस बात को मानना होगा कि हर साल उत्तर भारत में पराली जलने के कारण प्रदूषण फैलता है और इससे हमें साथ में मिलकर लड़ना होगा. केजरीवाल ने कहा कि राजनीति और एक दूसरे पर आरोप लगाने से कुछ नहीं होगा, लोगों को नुकसान हो रहा है.

पिछले साल भी दिल्ली में प्रदूषण बढ़ने पर भाजपा और आम आदमी पार्टी में ठन गई थी-

पिछले साल 2019 के आखिरी महीनों में दिल्ली में बढ़े प्रदूषण ने हाहाकार मचा दिया था. राजधानी के लोगों का दम घुटने पर राजनीति भी खूब हुई. मामला संसद से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया था. वहीं सप्रीम कोर्ट ने सभी राजनीतिक दलों पर तल्ख टिप्पणी करते हुए फटकार लगाई थी और राजधानी में बढ़ते प्रदूषण पर लगाम लगाने के लिए सख्त दिशा निर्देश भी जारी किए थे. उसी दौरान प्रदूषण को लेकर दिल्ली में चल रही राजनीतिक जंग के बीच संसद में चर्चा छिड़ी तो एकमत से सदस्यों ने किसानों का बचाव करते हुए ठीकरा प्रबंधन पर फोड़ा, जबकि भाजपा ने पूरी तरह दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार को कठघरे में खड़ा किया था.

यहां हम आपको बता दें कि हर साल की तरह इस साल भी दिल्ली में धुंध की समस्या शुरू हो गई है. दिल्ली, पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी यूपी के इलाकों में अब पराली जलना शुरू हो गई है, जिसके कारण धुंध इकट्ठी हो रही है. पंजाब में सबसे अधिक पराली जलाई जा रही है. दरअसल दिल्ली में प्रदूषण की भयावह स्थिति के लिए पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जलने वाली पराली को जिम्मेदार माना जाता रहा है, वैज्ञानिकों ने भी पराली को जिम्मेदार माना है.

दिल्ली सरकार की ओर से भी यही तर्क दिया जाता है. दिल्ली सरकार ने प्रदूषण को रोकने के लिए निर्माण कार्यों के लिए गाइडलाइंस जारी की है. जेनरेटर के इस्तेमाल पर भी रोक लगा दी है. धूल न उड़े, इसके लिए पानी के निरंतर छिड़काव के निर्देश दिए गए हैं. दिल्ली सरकार के ये तमाम प्रयास नाकाफी साबित हो रहे हैं. राजधानी की हवा बहुत खराब स्तर पर पहुंच गई है। सही मायने में दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण की समस्या को रोकने के लिए सभी राजनीतिक दलों को एक दूसरे पर कीचड़ उछालने से अच्छा होता कि इस पर गंभीरता से विचार किया जाता.

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