Congress VS Aap: देश की 26 राजनीतिक पार्टियों की विपक्षी एकता का प्रतीक I.N.D.I.A. गठबंधन को बने अभी दो महीने भी पूरे नहीं हुए हैं, लेकिन जैसी की संभावना थी, इसमें दरार पड़ते हुए नजर आ रही है. इसकी वजह है दिल्ली में अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव. कांग्रेस दिल्ली लोकसभा की सभी सातों सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है. इसके लिए कांग्रेस दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष अनिल चौधरी और अलका लांबा ने बयान जारी किया है. उनके अनुसार, कांग्रेस अगले साल होने वाले दिल्ली लोकसभा चुनाव में सभी 7 सीटों पर अकेले चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है. इस जिस पर आम नेताओं की ओर से बयानबाजी शुरू हो गई है. इसके बाद सियासी गलियारों में चर्चा है कि आम आदमी पार्टी (AAP) भी दिल्ली में अकेले चुनाव लड़ने का मन बना सकती है. इतना ही नहीं, पार्टी ने विपक्षी गठबंधन की 31 सितंबर को होने वाली बैठक में हिस्सा लेने से भी इनकार कर दिया. वक्त की नजाकत को भांपते हुए कांग्रेस के अब कुछ नेता फिर से सामने आए हैं और इस तरह की बयानबाजी को पार्टी से अलग करते दिख रहे हैं.
मीडिया में आ रही खबरों को नकारते हुए कांग्रेस ने इन सभी बयानबाजी से किनारा कर लिया है. इस संबंध में दिल्ली कांग्रेस के कम्यूनिकेशन डिपार्टमेंट के चेयरमैन और पूर्व विधायक अनिला भारद्वाज ने कांग्रेस नेता अलका लांबा की तरफ से दिए गए बयान को सिरे से खारिज कर दिया. भारद्वाज ने कहा कि अलका लांबा इस पर बोलने के लिए अधिकृत नहीं हैं.
VIDEO | "Alka Lamba is not authorised to speak on this matter. In today's meeting of Delhi leaders with party central leadership, there was no discussion over (INDIA) alliance," says Congress leader @INCanilbhardwaj on Alka Lamba's statement that Congress is planning to contest… pic.twitter.com/iEzubruTJZ
— Press Trust of India (@PTI_News) August 16, 2023
उन्होंने कहा कि बैठक में गठबंधन को लेकर बिल्कुल चर्चा नहीं हुई. ये तय करना केंद्रीय नेतृत्व का काम है. गठबंधन पर कोई भी चर्चा कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के लेवल पर होगी. उसके बारे में कोई भी व्यक्ति बयान देने के लिए अधिकृत नहीं है. वहीं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दीपक बावरिया ने अधिकारिक बयान देते हुए स्पष्ट किया है कि हमारी जो बैठक हुई थी, उसमें कहा गया कि जो हमारी कमियां है उसको कैसे ठीक करना है.
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इधर, कांग्रेस के पलटते ही आम आदमी पार्टी ने भी अपना रुख थोड़ा सा नरम कर लिया. दिल्ली सरकार में मंत्री सौरभ भारद्वाज ने इस मुद्दे पर अपनी प्रतिक्रिया दी है. भारद्वाज ने कहा, ‘इस तरह की बातें तो आती रहेंगी. जब I.N.D.I.A. के सभी दल एक साथ बैठेंगे, सीट शेयरिंग पर चर्चा करेंगे, सभी पार्टी का राष्ट्रीय नेतृत्व आमने-सामने बैठकर चर्चा करेंगे, तब पता चलेगा कौन सी पार्टी को कौन सी सीटें मिलती हैं. कांग्रेस के इस फैसले का INDIA गठबंधन पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा.’
#WATCH | AAP Minister Saurabh Bhardwaj on Congress to contest on all 7 Lok Sabha seats in Delhi and possible alliance with Congress
"…Our central leadership will decide this…Our political affairs committee and INDIA parties will sit together and discuss this (poll alliance)" pic.twitter.com/FjH7VuXPFV
— ANI (@ANI) August 16, 2023
आप नेता ने जारी रखते हुए कहा कि बयान देने वाले बहुत छोटे-छोटे नेता हैं, जिनकी जमानतें MLA इलेक्शन तक में नहीं बची हैं. उनकी क्या वेल्यू है. अनील चौधरी और अल्का लांबा ने बयान दिया है, दोनों की ही जमानत कहां बची. दोनों की मिला लो तो भी नहीं जीतेंगे.
दरअसल, अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव की तैयारियों को लेकर दिल्ली कांग्रेस के नेताओं के साथ कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और राहुल गांधी ने बैठक की. इस बैठक के तुरंत बाद कांग्रेस दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष अनिल चौधरी और अलका लांबा ने एक टीवी चैनल को दिए बयान में दिल्ली की सभी सातों लोकसभा सीटों पर चुनावी तैयारी करने की बात कही. लांबा ने कहा कि सात महीने हैं और लोकसभा की सात सीटें हैं. ये सीटें कैसे जीतनी हैं, इसको लेकर हमें आदेश हुआ है. पार्टी ने सभी सातों सीटों पर तैयारी रखने को कहा है. ऐसा ही कुछ मिलता जुलता बयान दिल्ली कांग्रेस के अध्यक्ष अनिल चौधरी ने भी दिया. चौधरी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लोकसभा और अरविंद केजरीवाल अगला विधानसभा चुनाव हारेंगे.
आम आदमी पार्टी ने इन्हीं बयानों को आधार बनाते हुए कांग्रेस समेत I.N.D.I.A. गठबंधन पर निशाना साधा और गठबंधन की बैठक में जाने से इनकार कर दिया. एक मीडिया चैनल के मुताबिक पार्टी ने कहा, ‘हमने कांग्रेस दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष अनिल चौधरी का बयान मीडिया में देखा. कांग्रेस ने दिल्ली में चुनाव अकेले लड़ने का फैसला कर लिया है तो विपक्षी गठबंधन ‘इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस’(इंडिया) की मीटिंग में जाने का कोई मतलब नहीं है. इस पर अंतिम फैसला पार्टी की टॉप लीडरशीप करेगी.’
अनिल चौधरी-अलका लांबा के बयानों के बाद आम आदमी पार्टी और कांग्रेस की तरफ से आए इन बयानों के बाद भी सियासी खींचतान कम हुई है लेकिन पूरी तरह से थमी होते नहीं दिख रही है. गौरतलब है कि राजधानी में लोकसभा की 7 सीटें हैं और सभी पर बीजेपी के सांसद सत्तारूढ़ हैं. विधानसभा में भी आम आदमी के पास 63 तो बीजेपी के पास 7 सीटें हैं लेकिन कांग्रेस के हाथ भी यहां खाली हैं. फिलहाल लांबा और चौधरी का इस विषय पर कोई नया बयान सामने नहीं आया है.