लखीमपुर मामले में माहौल बना बाजी मार गई प्रियंका, चूके अखिलेश तो डैमेज के बावजूद भाजपा खुश!

लखीमपुर में प्रियंका के 'साहस' ने कांग्रेस को दिलाया माइलेज, यूपी में मृतप्राय: कांग्रेस के लिए 'संजीवनी' साबित हो सकती है प्रियंका की सक्रियता, आंतरिक कलह से जूझ रही कांग्रेस नजर आ रही एकजुट, अखिलेश कुछ देरी की वजह से चूक गए मौका, लेकिन फिर भी भाजपा को संतोष, सूत्रों का कहना- भाजपा का मानना, लोकप्रियता को वोटों में कनवर्ट करने के लिए चाहिए संगठन जो नहीं है कांग्रेस के पास, वहीं कांग्रेस को मिलने वाला हर वोट करेगा अखिलेश का नुकसान!

कांग्रेस को मिली 'संजीवनी', क्या मिलेंगे वोट भी?
कांग्रेस को मिली 'संजीवनी', क्या मिलेंगे वोट भी?

Politalks.News/Uttarpradesh. लखीमपुर की घटना ने उत्तरप्रदेश का सियासी तापमान बढ़ा दिया है. विधानसभा चुनाव के मद्देनजर सभी प्रमुख विपक्षी दल इसका सियासी फायदा उठाने की कोशिश में जुटे हैं. घटना के तुरंत बाद सपा, बसपा, कांग्रेस समेत सभी विपक्षी दल सरकार पर हमलावर दिखाई दिए लेकिन जहां तक सियासी बढ़त बात है तो निश्चित तौर पर प्रियंका गांधी ने इसमें बाजी मार ली. लखीमपुर खीरी में रविवार को भाजपा नेताओं के काफिल की कार से किसानों के कुचले जाने और फिर हिंसा में 4 अन्य लोगों के मारे जाने के मुद्दे को कांग्रेस हथियार बनाया है. यही नहीं इस मामले ने अब तक कमजोर दिख रही कांग्रेस को एक तरह से राजनीतिक ‘संजीवनी’ प्रदान की है. आपको बता दें कि 2017 से ही प्रियंका गांधी को पश्चिमी यूपी का प्रभारी बनाया गया था. तब से ही वह इस इलाके में सक्रिय थीं, लेकिन ऐसा पहली बार देखने को मिल रहा है, जब वह मजबूती के साथ चर्चा में भी हैं. यही नहीं प्रियंका गांधी को लखीमपुर जाने से रोकने, गिरफ्तार करने की भी राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा हुई है. महाराष्ट्र में शिवसेना, एनसीपी से लेकर कश्मीर में महबूबा मुफ्ती तक ने उनका समर्थन किया है.

प्रियंका की सक्रियता ने विपक्षी पार्टियों में मचाई खलबली!
खास तौर पर उत्तरप्रदेश में अपनी खोई हुई सियासी जमीन वापस पाने के लिए छटपटा रही कांग्रेस ने आक्रामक तरीके से आगे आकर दूसरे विपक्षी दलों पर बढ़त लेने की कोशिश की है. विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को प्रियंका की इस सक्रियता का कितना सियासी फायदा होगा यह तो बाद में ही पता चलेगा लेकिन इतना जरूर है कि उनके इस कदम ने दूसरे विपक्षी दलों को भी ‘फ्रंट फुट’ पर आकर सियासी बैटिंग करने के लिए मजबूर कर दिया है. सपा-बसपा पर भी हमलावर  प्रियंका भाजपा पर तो हमलावर हैं ही, सपा-बसपा पर भी सवाल उठाते हुए कह रही हैं कि, ‘अखिलेश और मायावती सड़क पर कहां दिखाई दे रहे हैं? इशारा साफ है. प्रियंका इस घटना का सियासी फायदा उठाने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ना चाहती हैं.

लखीमपुर के बहाने एकजुट नजर आ रही कांग्रेस!
लखीमपुर कांड के बहाने से ही सही पंजाब, राजस्थान और छत्तीसगढ़ समेत कई राज्यों में आंतरिक कलह से जूझ रही कांग्रेस को भी वह एकजुट होती दिख रही है. पंजाब के नए बने सीएम चन्नी से लेकर छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री बघेल तक एक्टिव नजर आए हैं और राहुल गांधी के साथ लखीमपुर खीरी दौरे पर हैं. प्रियंका की सक्रियता ने राहुल गांधी को भी ताकत प्रदान की है, जो बुधवार को दिल्ली में प्रेस कॉन्फ्रेंस करने आए तो आत्मविश्वास से भरे नजर आ रहे थे. यही नहीं दो मुख्यमंत्रियों के साथ वह लखनऊ पहुंचे और जब अपनी गाड़ी से निकलने की परमिशन नहीं मिली तो धरने पर बैठ गए. आखिर में अपनी ही गाड़ी से निकलने की परमिशन भी मिल गई.

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पंजाब के सीएम चन्नी ने भी छोड़ा प्रभाव!
यूपी की राजनीतिक जानकारों की मानें तो लखीमपुर खीरी में कांग्रेस के सक्रिय होने की एक वजह दो राज्यों में फायदा मिलने की संभावना भी है. दरअसल लखीमपुर खीरी, पीलीभीत, बहराइच और हरदोई समेत तराई इलाके के कई जिलों में सिखों की अच्छी खासी आबादी है. भाजपा नेताओं की कार से कुचलकर मरने वाले किसान भी सिख समुदाय से ही ताल्लुक रखते हैं. ऐसे में कांग्रेस लखीमपुर में एक्टिव रहकर यह संदेश देना चाहती है कि वह सिख समुदाय के हितों के लिए तत्पर है. यही वजह है कि उसने अपने पंजाब के सीएम चरणजीत सिंह चन्नी को भी साथ लिया है. यहां तक कि पंजाब सरकार ने मारे गए किसानों के परिजनों के लिए 50 लाख रुपये के मुआवजे का भी ऐलान किया है. इतनी ही रकम देने की घोषणा छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार ने भी की है. जो कि यूपी की योगी सरकार से 5 लाख ज्यादा है.

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अखिलेश मलते रह गए हाथ, प्रियंका की सक्रियता के भाजपा खुश!
एक तरफ लखीमपुर मामले से प्रियंका यूपी की सियासत में अचानक चर्चा में आ गई हैं तो वहीं मुख्य विपक्षी दल कहे जाने वाली सपा और उसके नेता अखिलेश यादव माहौल बनाने में नाकामयाब दिखे हैं. इससे यह संदेश भी जा सकता है कि अखिलेश यादव आम लोगों के हितों के लिए सड़क पर उतरने से कतराते हैं. अब भाजपा के नजरिए से देखें तो यूपी में यह उसके लिए फायदेमंद ही है. इसकी वजह यह है कि कांग्रेस के पास मजबूत संगठन नहीं है और वह चर्चा में रहने के बाद भी माहौल को इतने वोटों में तब्दील नहीं कर पाएगी कि जीत हासिल कर सके. वहीं जो भी वोट वह हासिल करेगी, उससे सपा का ही नुकसान होगा.

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