हिरासत में दलित युवक की मौत के मामले में धारीवाल और कटारिया के बीच जबरदस्त तू-तू मैं-मैं, स्पीकर ने भी सरकार पर बोला हमला

'क्या पुलिस इतनी सज्जन है कि रातभर किसी को कस्टडी में रखे और उसके साथ कुछ भी नहीं करे'- जोशी, 'धमकाने वाली आवाज न मैंने कभी सुनी है, न सुनूंगा, मेरे फेफड़ों में अभी दम है'- गुस्से में बोले कटारिया, 'आप जवाब सुनना नहीं चाहते और धमका रहे हैं, तो मैं भी रखता हूं दम'- धारीवाल

धारीवाल व कटारिया के बीच जबरदस्त तू-तू मैं-मैं, स्पीकर ने भी सरकार पर बोला हमला
धारीवाल व कटारिया के बीच जबरदस्त तू-तू मैं-मैं, स्पीकर ने भी सरकार पर बोला हमला

पॉलिटॉक्स न्यूज़/राजस्थान. बिना किसी मुकदमे के बाड़मेर में हिरासत में लिए गए एक दलित युवक की मौत के मामले में शुक्रवार को शून्यकाल के बाद सदन में जोरदार हंगामा हुआ. इस मामले को लेकर नेता प्रतीपक्ष गुलाब चंद कटारिया के अलावा स्पीकर डॉ. सी.पी. जोशी ने भी सरकार पर हमला बोला. संसदीय कार्यमंत्री शांति धारीवाल के जवाब से असंतुष्ट स्पीकर जोशी ने यह तक कह डाला कि क्या पुलिस इतनी सज्जन है कि रातभर किसी को कस्टडी में रखे और उसके साथ कुछ भी नहीं करे? वहीं गुलाबचंद कटारिया और शांति धारीवाल के बीच भी जमकर तू-तू-मैं-मैं हुई. मामले पर जवाब देते वक्त धारीवाल ने कटारिया को देखते हुए जैसे ही तेज आवाज़ में बोलना शुरू किया तो कटारिया ने टोका और गुस्से में कहा कि धमकाने वाली आवाज न मैंने कभी सुनी है, न सुनूंगा, मेरे फेफड़ों में अभी दम है. इस पर धारीवाल ने पलटवार करते हुए कहा कि आप जवाब सुनना नहीं चाहते और धमका रहे हैं, तो मैं भी दम रखता हूं.

दरअसल, बाड़मेर शहर के हमीरपुरा निवासी जितेंद्र (27) पुत्र ताराचंद को बाड़मेर ग्रामीण थाना पुलिस ने चोरी के पाइप खरीदने के संदेह पर पूछताछ के लिए बुधवार सुबह 11 बजे थाने लेकर गई. जहां पूछताछ के बाद बिना गिरफ्तार किए थाने में रखा. पुलिस ने दूसरे दिन गुरुवार दोपहर में जितेन्द्र के परिजनों को बताया कि जितेंद्र की तबीयत खराब है. पुलिस उसे राजकीय अस्पताल लेकर आई जहां चिकित्सकों ने मृत घोषित किया. बाड़मेर में बिना किसी मुकदमें के हिरासत में लिए गए एक दलित युवक की मौत के एक्शन में आई प्रदेश सरकार ने देर रात ही पुलिस अधीक्षक शरद चौधरी को एपीओ कर दिया.

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यही नहीं इस मामले में सरकार ने त्वरित कार्रवाई करते हुए बाड़मेर ग्रामीण थानाधिकारी को निलम्बित करने के साथ ही बाड़मेर ग्रामीण पुलिस थाने के पूरे स्टॉफ को ही लाइन हाजिर कर दिया था. इसके बाद शुक्रवार सुबह उप अधीक्षक विजय सिंह चारण को भी एपीओ कर दिया गया. वहीं दूसरी तरफ मृतक के परिजन आरोपी पुलिसकर्मियों को गिरफ्तार करने सहित अन्य मांगों को लेकर शव नहीं उठाने पर अड़े हुए हैं. इस दौरान बाड़मेर जिला कलेक्टर अंशदीप धरना स्थल पर पहुंच परिजनों से समझाइश भी की.

शुक्रवार को सदन में इस मामले पर उपनेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ और विधायक जोगेश्वर गर्ग के स्थगन पर धारीवाल ने मामले के जवाब में कहा कि बाड़मेर के हमीरपुरा निवासी जितेंद्र को पुलिस चोरी के शक के आधार पर उठाकर लाई थी, कोई एफआईआर नहीं थी. उसे रात से सुबह तक थाने में ही बैठाए रखा. दोपहर डेढ़ बजे युवक ने सीने में दर्द की शिकायत की थी. मौत के बाद उसके घरवालों को थाने बुलाकर पूरा शरीर दिखाया गया था. घरवालों ने खुद कहा कि उसके कहीं पर भी चोट नहीं है, फिर भी पोस्टमार्टम करवाया गया है, यदि मौत पिटाई से मौत हुई है, तो ये सभी बातें पोस्टमार्टम रिपोर्ट में आ जाएंगी.

स्पीकर सीपी जोशी बोले- क्या पुलिस इतनी सज्जन है?

शांति धारीवाल की बात पर अध्यक्ष सीपी जोशी ने सवाल करते हुए पूछा कि क्या पुलिस इतनी सज्जन है कि रातभर व्यक्ति बैठा रहेगा और वो कुछ नहीं करेगी? थानेदार शक के आधार पर उसे लेकर आया, आपने खुद स्टेटमेंट दिया है. इसका मतलब क्या है कि पुलिसवाले ने माना कि चोरी इसी ने की है. मैं पूछ रहा हूं कि अब तक इस मामले में जो हुआ उससे हटकर क्या सरकार ऐसी घटनाओं से बचने के लिए कोई कानून बनाना चाहती है, पैकेज देंगे, मैं चाहता हूं कि इस पर चर्चा करें.

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इस पर मंत्री शांति धारीवाल और स्पीकर जोशी के बीच जमकर बहस हुई. धारीवाल ने कहा कि मृतक के शरीर पर चोट का कोई निशान नहीं था, परिवार वालों को भी इस संबंध में बताया गया था. धारीवाल ने कहा कि उसके परिवार के जीवन यापन के लिए पैकेज दे दिया जाएगा, लेकिन ये तो पता चले पोस्टमार्टम की रिपोर्ट में कि मारपीट से उसकी मौत हुई है या फिर हार्ट अटैक से मौत हुई है. इस पर जोशी ने फिर सवाल दाग दिया कि अगर मारपीट नहीं हुई तो एसपी को एपीओ क्यों किया गया? इस पर धारीवाल ने जवाब दिया कि पुलिस कस्टडी में रखने के मामले में एसपी को एपीओ किया गया है. धारीवाल बोले बिना एफआईआर रातभर क्यों बैठाए रखा, ये गलती थी. इस वजह से सस्पेंड किया गया. धारीवाल ने कहा 302 का केस रजिस्टर्ड हो चुका है, अगर पिटाई से मौत का मामला सामने आया तो कार्यवाही भी करेंगे.

इसके बाद धारीवाल ने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि आप सवाल सुनने से पहले ऐसा महौल बना देते हो, मेरा जवाब भी नहीं सुनते हो. आपके पास मेरी बात का जवाब नहीं है. आपने कहा मुझ जैसे गरीब का, आप जैसे गरीब पूरे हिंदुस्तान में जो जाएं तो अमेरिका कहीं नहीं अड़ता. जिसके बाद नेता प्रतिपक्ष गुलाब चंद कटारिया ने कहा कि ऐसा नहीं है कि आप लोगों के फेफड़ों में ही दम है और हमारे में नहीं है. मैने बहुत तरीके से विषय को रखा है. कस्टडी में मौत मेरे टाइम में भी हुई है. इसलिए हम चाहते हैं कि पीड़ित परिवार को सहायता दी जाए. जिसके बाद धरीवाल खड़े हुए और सदन हंगामें भी भेंट चढ़ गया.

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विधानसभा अध्यक्ष सी.पी. जोशी ने दोनों को शांत रखने के लिए काफी दखल किया, शोर बढ़ता देख जोशी ने विपक्ष से कहा कि आप घटना पर मंत्री का जवाब सुनना ही नहीं चाहते, उन्होंने अगली कार्यवाही शुरू की, जिसके तहत ध्यानाकर्षण प्रस्ताव पर मंत्रियों ने जवाब देने शुरू कर दिए. इससे विपक्ष के सदस्य वैल में आ गए और सदन की कार्यवाही के दौरान सरकार के खिलाफ नारे लगाते रहे. इस पर जोशी ने करीब 25 मिनट बाद कहा कि दोनों वरिष्ठ सदस्य रोल मॉडल हैं और क्या मैसेज दे रहे हैं.

स्पीकर सीपी जोशी ने कहा कि सदन को इस मामले की गम्भीरता को समझना चाहिए. इसके बाद जब भाजपा के विधायक वापस अपनी सीट पर बैठ गए तो जोशी ने कहा कि नेता प्रतिपक्ष ने जो सवाल उठाए वो मुलभूत प्रश्न है. जिस युवक की कस्टोडियल डेथ हुई है उसके खिलाफ कोई एफआईआर नही थी. ऐसे में सरकार मामले को हत्या के मुकदमे की तरह से डील करेगी? दूसरी सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि पीड़ित परिवार को क्या सरकार कोई मुआवजा या पैकेज देने का विचार कर रही है? यह नागरिक अधिकार का सीधा उल्लंघन है. जोशी ने धारीवाल के साथ ही विपक्ष को भी सीख देते हुए कहा कि अगर गम्भीर विषय को देखते हुए अगर अध्यक्ष को डिक्टेट करने का प्रयास किया जाएगा तो यह नहीं होने वाला.

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इसके बाद माहौल को देखते हुए विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि विषय बहुत गम्भीर है और भावुकता के आधार पर इस पर चर्चा नहीं हो सकती. सीपी जोशी ने सरकार को इस मामले में दोबारा सदन में अपनी बात रखने के लिए अगले सप्ताह तक का समय दिया. जोशी ने कहा कि इस टॉपिक पर सरकार क्या लेकर आएगी, इमोशनली इस विषय पर कोई निर्णय नहीं लेना है. सरकार बताएगी कि वो पीड़ित के लिए क्या पैकेज लाती है.