सत्ता और संगठन में बेहतर तालमेल के लिए सोनिया गांधी के निर्देश पर कांग्रेस शासित राज्यों में बनीं समन्वय समिति

पंजाब को छोड़ कर बाकी चार प्रदेशों में समन्वय समिति बनाई गई हैं, जिसमें प्रभारी, मुख्यमंत्री, प्रदेश अध्यक्ष के अलावा राज्य के महत्वपूर्ण नेता शामिल किए गए हैं, राजस्थान में अशोक गहलोत और सचिन पायलट दोनों समिति में शामिल

पॉलिटॉक्स ब्यूरो. कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्षा सोनिया गांधी ने कांग्रेस शासित राज्यों में सत्ता और संगठन के बीच तालमेल बनाने और पार्टी रीति-नीति व चुनावी घोषणापत्र ठीक से लागू करवाने के लिए पंजाब को छोड़कर हर राज्य के लिए अलग-अलग समन्वय समितियां गठित की हैं. पिछले काफी समय से कयास लगाए जा रहे थे कि कांग्रेस शासित राज्यों में बड़े नेताओं के बीच अंतर्कलह को थामने के लिए पार्टी आलाकमान की तरफ से कोई ठोस कदम उठाए जाएंगे. इसी कड़ी में सोमवार को सोनिया गांधी के निर्देश पर राजस्थान सहित 4 राज्यों में कोर्डिनेशन कमेटी का गठन किया है.

बात करें राजस्थान की तो मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पीसीसी चीफ सचिन पायलट के बीच की पुरानी अदावत किसी से छिपी नहीं है. विधानसभा चुनाव के पहले से चली आ रही दोनों के बीच की खींचतान आज तक किसी ना किसी मुद्दे पर सार्वजनिक हो ही जाती है. राजस्थान में कांग्रेस की सरकार को बने महज 13 महीने का समय ही हुआ है. लेकिन इन 13 महीनों में सत्ता और संगठन के बीच की लड़ाई अनेकों बार पार्टी आलाकमान तक पहुँची है.

यहां तक कि कई कार्यक्रमों में तो सत्ता और संगठन के लोग आपस में शामिल भी नहीं हुए है. प्रदेशाध्यक्ष के साथ-साथ उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट कई मुद्दों पर गहलोत सरकार को घेर चुके हैं. जिनमें प्रदेश की बिगड़ती कानून व्यवस्था, निकाय चुनाव का हाईब्रीड फॉर्मूला, कोटा के जेके लोन अस्पताल में हुई बच्चों की मौत की जिम्मेदारी और अभी हाल ही में पूर्व सीएम राजे को दी जा रही सरकारी सुविधाओं को लेकर सरकार की कार्यप्रणाली का मामला प्रमुख है.

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कमोबेश ऐसे ही हालात मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री कमलनाथ और पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीच के हैं. पिछले दो महीने के समय को छोड़ दें, तो सरकार बनने के पहले से मुख्यमंत्री की कुर्सी के लिए और बाद में प्रदेशाध्यक्ष के लिए चली आ रही दोनों के बीच की अदावत भी जगजाहिर है. ऐसे में सत्ता और संगठन के आमने-सामने होने, सरकार के मंत्रियों में समन्वय नहीं होने और पार्टी के विधायकों द्वारा अपनी ही सरकार के खिलाफ सार्वजनिक रूप से बयानबाजी करने को लेकर कांग्रेस आलाकमान ने गहरी नाराजगी व्यक्त की है और इसीलिए आलाकमान ने विवादों से निपटने के लिए इस समन्वय समिति (Coordination Committee) बनाने का फैसला लिया है.

ऐसे में पार्टी आलाकमान सोनिया गांधी के निर्देश पर एआईसीसी महासचिव के सी वेणुगोपाल ने सत्ता और संगठन में बेहतर तालमेल के लिये पंजाब को छोड़ कर बाकी चार प्रदेशों में समन्वय समिति बनाई गई है. जिसमें प्रभारी, मुख्यमंत्री, प्रदेश अध्यक्ष के अलावा राज्य के महत्वपूर्ण नेता शामिल किए गए हैं. जैसे मध्यप्रदेश में सात सदस्यीय इस समिति में प्रभारी दीपक बावरिया और मुख्यमंत्री कमलनाथ के साथ दिग्विजय सिंह, ज्योतिरादित्य सिंधिया, अरुण यादव, जीतू पटवारी और मीनाक्षी नटराजन को शामिल किया गया है.

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राजस्थान में प्रभारी अविनाश पांडे, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट के साथ हेमराम चौधरी, भंवरलाल मेघवाल, दीपेंद्र शेखावत, महेन्द्रजीत सिंह मालवीय और हरीश चौधरी को मिला कर आठ सदस्यीय समन्वय समिति बनाई गई है. इसी तरह छत्तीसगढ़ की कमेटी में 9 सदस्य होंगे जिसके चैयरमेन पी एल पूनिया होंगे तो वहीं पुडुचेरी की कमेटी में 8 सदस्य होंगे जिसके चैयरमेन एआईसीसी के महासचिव मुकुल वासनिक होंगे. समन्वय समिति की अध्यक्षता संबंधित राज्य के प्रभारी करेंगे.

इन समन्वय समितियों के गठन के बाद सत्ता और संगठन से जुड़े सारे फैसले यह समिति ही करेगी. जिनमें मंत्रिमंडल विस्तार, प्रदेश में होने वाली राजनीतिक नियुक्तियां, प्रदेश कांग्रेस कमेटी में पदाधिकारियों की नियुक्ति और सरकार से जुड़े सभी महत्वपूर्ण फैसले अब से यह समन्वय समिति ही करेगी. इस समिति की माह में एक बार बैठक होगी. बहरहाल, कांग्रेस शासित राज्यों के लिए बनाई गई ये समितियां कितनी कारगर होती है ये आने वाला वक्त बताएगा लेकिन मतलब साफ है कि इन प्रदेश के नेताओं के लिए कांग्रेस आलाकमान का सीधा संदेश है कि मिल जुल कर काम करें.