वसुंधरा राजे से बंगला खाली कराने की नहीं गहलोत सरकार की मंशा, नई नीति बनाने की तैयारी में सरकार, बेनीवाल ने साधा निशाना

हाईकोर्ट में गहलोत सरकार ने बताया कि सरकार मौजूदा विधायकों के लिए बंगले आवंटन के लिए जल्द ही नई नीति बनाने जा रही है

पॉलिटॉक्स ब्यूरो. लगता है सुप्रीम कोर्ट से अपील खारिज होने और हाईकोर्ट के स्प्ष्ट आदेश के बावजूद भी राजस्थान की गहलोत सरकार की मंशा पूर्व मुख्यमंत्री वसुधंरा राजे से सिविल लाईन स्थित सरकारी बंगला नंबर 13 खाली करवाने की नहीं है. इसके लिए सरकार ने अब एक नई नीति बनाने जा रही है. इस सम्बंध में आज हाईकोर्ट में सरकार ने बताया कि सरकार मौजूदा विधायकों के लिए बंगले आवंटन के लिए जल्द ही नई नीति बनाने जा रही है. सोमवार को सरकार के महाधिवक्ता महेन्द्र सिंह सिंघवी ने हाईकोर्ट में जस्टिस सबीना और जस्टिस एन.एस.ढड़्ढ़ा की बैंच को यह जानकारी दी. वहीं रालोपा मुखिया और नागौर सांसद हनुमान बेनीवाल ने इस मामले में गहलोत सरकार पर गठजोड़ का आरोप लगाया है.

सोमवार को वरिष्ठ पत्रकार मिलापचंद डंडिया की अवमानना याचिका पर सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता ने हाईकोर्ट को बताया कि पूर्व सीएम वसुंधरा राजे ने 17 जनवरी को ही सरकारी स्टॉफ और 19 जनवरी को सरकारी वाहन आदि की सुविधाएं सरकार को वापिस कर दी हैं. वहीं पूर्व सीएम जग्गनाथ पहाडि़या को सरकार ने बंगला खाली करने के लिए 15 दिन का नोटिस दे दिया गया है. हालांकि बीमारी के चलते पहाड़िया दिल्ली में इलाज करवा रहे हैं.

वहीं सरकारी बंगला खाली करवाने की बात पर महाधिवक्ता महेन्द्र सिंह सिंघवी ने हाईकोर्ट में बताया कि सरकार मौजूदा विधायकों के लिए बंगले आवंटन करने सम्बन्धी एक नई नीति जल्द ही बनाने जा रही है. इसके लिए महाधिवक्ता ने अवमानना याचिका पर जवाब देने के लिए अतिरिक्त समय मांगा तो कोर्ट ने अगली सुनवाई अब 17 फरवरी को तय की है.

वहीं सुप्रीम कोर्ट द्वारा अपील खारिज किए जाने के बाद भी गहलोत सरकार द्वारा पूर्व सीएम राजे से सरकारी बंगला खाली नहीं कराए जाने पर नागौर सांसद हनुमान बेनीवाल ने ट्वीट करते हुए कहा कि, “श्री अशोक गहलोत जी, आप राजस्थान की जनता व सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट का लगातार अपमान कर रहे हैं. व्यक्ति विशेष के लिए आपने शासन-लोकतंत्र की मूलभावना को गिरवी रख दिया है. यह मिलीभगत की पराकाष्ठा है, जनता का सब्र जवाब दे रहा है. #गहलोत_वसुंधरा_गठजोड”

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गौरतलब है कि 4 सितंबर, 2019 को हाईकोर्ट ने वरिष्ठ पत्रकार मिलापचंद डांडिया और विजय भंडारी की याचिका को मंजूर करते हुए राजस्थान मंत्री वेतन संशोधन अधिनियम-2017 के तहत पांच साल तक लगातार मुख्यमंत्री रहने वाले नेताओं को जीवन भर मुफ्त में सरकारी बंगला, स्टॉफ व वाहन की सुविधाएं देने वाले प्रावधान को असंवैधानिक और गैर-कानूनी करार दे दिया था.

इसके बाद गहलोत सरकार ने हाईकोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी, जिस पर हाल ही में 6 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने भी हाईकोर्ट के आदेश को बहाल रखते हुए सरकार की अपील खारिज कर दी थी. सुप्रीम कोर्ट के आदेश की पालना नहीं होने पर डांडिया ने पुनः अवमानना याचिका हाईकोर्ट में दायर की है जिस पर सुनवाई चल रही है.