Politalks.News/Rajasthan. हाल ही में किसानों की कर्जमाफी को लेकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को लिखे गए पत्र को लेकर भाजपा प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनियां ने पलटवार करते हुए कहा कि अपनी जिम्मेवारी केन्द्र सरकार पर डालकर मुख्यमंत्री गहलोत ने स्वीकार कर लिया है कि विधानसभा चुनाव-2018 के दौरान उन्होंने झूठ बोलकर प्रदेश के किसानों को ठगा था. पूनियां ने कहा कि राहुल गाँधी और अशोक गहलोत को किसानों के बारे में कुछ कहने का हक नहीं है. 50 वर्ष से अधिक समय तक बहुत लम्बा समय था, किसानों का कल्याण करते, नौजवानों का करते, देश में बदलाव लाते, लेकिन उन्होंने सिर्फ नारों, भावनाओं की राजनीति की, इस बात का इतिहास गवाह है.
सतीश पूनियां ने कहा कि मुख्यमंत्री गहलोत ने एक लम्बा-चैड़ा पत्र प्रधानमंत्री मोदी के नाम लिखा, मुझे लगता है कि मुख्यमंत्री इतने कमजोर हो गये कि अब वो चिट्ठियों का सहारा लेने लग गये हैं. सम्पूर्ण कर्जमाफी की बात को गोल-माल करने के लिए वो यह कह रहे हैं कि प्रधानमंत्री जी को चिट्ठी लिख दी कि राष्ट्रीयकृत बैंकों का कर्जा माफ किया जाये. इसका मतलब साफ है कि अशोक गहलोत ने 2018 में प्रदेश के किसानों के वोट बटोरने के लिए सम्पूर्ण कर्जमाफी का झूठा वादा किया था और आज वो भाजपा पर तोहमत लगाते हैं.
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सतीश पूनियां ने कहा कि प्रदेश के विधानसभा चुनाव प्रचार में किसानों का वोट लेने के लिए राहुल गाँधी और वर्तमान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने वादा किया था कि सरकार में आये तो प्रदेश के सभी किसानों का सम्पूर्ण कर्जा सरकार बनने के 10 दिन में माफ कर देंगे. उनकी बात का भरोसा कर प्रदेश के किसानों ने उन्हें वोट दिया, परन्तु सरकार बनने के 2 साल में भी कुल 1 लाख करोड़ के कर्ज में से मात्र 7 हजार करोड़ का कर्ज किसानों का प्रदेश की सरकार ने माफ किया जो कि किसानों पर कुल कर्ज का 7 प्रतिशत है.
पूनियां ने कहा कि अशोक गहलोत अपनी जिम्मेदारी भारत सरकार पर क्यों डाल रहे हैं, उन्हें तो तुरन्त प्रभाव से अपनी सरकार के खजाने से प्रदेश के किसानों के कर्ज की राशि वाणिज्यिक एवं राष्ट्रीयकृत बैंकों में जमा करवाकर अपना चुनावी वादा पूरा करना चाहिए, नहीं तो नैतिक आधार पर पद छोड़ देना चाहिए. पूनियां ने कहा कि सरकार की वादाखिलाफी और अकर्मण्यता के कारण पिछले दो वर्षों में 4 दर्जन से ज्यादा किसान आत्महत्या कर चुके हैं.
बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष पूनियां ने कहा कि मुझे अफसोस हुआ कि मुख्यमंत्री इतना झूठ कैसे बोल सकते हैं. आज तक उन्होंने मेरी बात का जवाब नहीं दिया, इस देश में आपातकाल कौन लेकर आया, इस देश में भ्रष्टाचार के जितने मुद्दे थे विश्व रिकाॅर्ड टूटा, उसका जवाब तो कभी नहीं देते. क्यों नहीं उन्होंने स्वामीनाथन की रिपोर्ट लागू की, कांग्रेस के अन्तर्राष्ट्रीय नेता राहुल गाँधी जी ने 10 दिन में सम्पूर्ण कर्जामाफी की बात कही थी. आज जो आंदोलन चल रहा है क्या 2019 में उनके घोषणापत्र में कृषि कानून वाली बातें नहीं हैं?
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पूनियां ने आगे कहा कि एक दुर्भाग्यपूर्ण बात यह है कि जब भी गहलोत कमजोर होते हैं तो वो मोदी जी और अमित शाह जी पर झूठे आरोप लगाकर यह कहते हैं कि सरकार को गिराने की कोशिश हो रही है. इसका मतलब यह है कि वो अब गिरे-तब गिरे, कब गिरे इस आशंका में पिछले दो साल निकाल दिये. भाजपा तो तोहमत लगाने की एक कारक बन गई कि उनको एक ऐसा उपकरण मिल गया कि जिसके जरिए आरोप लगाओ और सहानुभूति बटोरो.