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राजस्थान: आलाकमान ने गुटबाजी को बढ़ावा देने वाले बयानवीरों की मांगी रिपोर्ट

लोकसभा चुनाव में करारी हार के बाद कांग्रेस नेताओं की बयानबाजी को लेकर आलाकमान बेहद नाराज है. हाईकमान ने बाकायदा संगठन महासचिव वेणुगोपाल से हार के बाद बयान देने वाले नेताओं के नामों की लिस्ट मांगी है. राहुल गांधी ने पार्टी के फैसले के खिलाफ बयानबाजी को अनुशासनहीनता के दायरे में माना है. माना जा रहा है कि आलाकमान रिपोर्ट मिलने के बाद इन बयानवीरों पर कड़ी कार्यवाही कर सकता है.

बयानबाजी से कार्यकर्ता हो रहे हताश
हार के बाद कांग्रेस कार्यकर्ताओं का मनोबल वैसे ही कमजोर हो गया है. उसके बाद मंत्रियों और विधायकों के आए बयानों से वे अधिक निराश हो रहे हैं. राजस्थान में जब से नेतृत्व परिवर्तन के बयान आने लगे हैं, तब से कार्यकर्ता और पशोपेस में पड़ गए हैं. उनमें यह मैसेज भी जा रहा है कि आलाकमान का अपने नेताओं पर कोई प्रभाव नहीं रह गया है. लिहाजा आलाकमान ने डैमेज कंट्रोल के लिए बयानवीर नेताओं पर एक्शन लेने का मन बना लिया है. इससे न केवल नेताओं की जुबान पर कंट्रोल होगा, आलाकमान का कद भी बना रहेगा.

सीएम गहलोत ने भी जताई नाराजगी
बताया जा रहा है कि सीएम अशोक गहलोत ने भी आलाकमान से नेताओं की बयानबाजी पर रोक लगाने की मांग की है. गहलोत ने कहा कि आलाकमान जो फैसला करता है, वो सर्वमान्य होगा. लेकिन बयानबाजी से गलत संदेश जा रहा है और माहौल पार्टी के खिलाफ बन रहा है. उसके बाद राहुल गांधी ने संगठन महासचिव वेणुगोपाल से रिपोर्ट तलब की है. जल्द ही प्रदेश कांग्रेस की तरफ से संगठन महासचिव को इस बारे में रिपोर्ट भेज दी जाएगी.

कई मंत्रियों और विधायकों ने की थी बयानबाजी
चुनाव के परिणाम आते ही मंत्री उदयलाल आंजना और रमेश मीणा ने हार की जिम्मेदारी तय करने को लेकर सीएम पर निशाना साधा था. उसके बाद हरीश मीणा ने अपनी ही सरकार को हत्यारी बताते हुए मोर्चा खोल दिया था. एक ओर रामनारायण मीणा ने सरकार बर्खास्त होने का दावा कर डाला तो वहीं विधायक पी.आर. मीणा ने सीधे सीएम को टार्गेट कर दिया. ऐसे में विपक्ष का रोल कांग्रेस विधायक ही निभाने लग गए थे. आनन-फानन में प्रभारी अविनाश पांडेय ने भी एडवायजरी जारी की लेकिन उसका कोई असर नहीं हुआ. ऐसे में अब आलाकमान को दखल देना पड़ा. रिपोर्ट मिलने के बाद बयानवीरों पर अनुशासन का डंडा चलाया जा सकता है.

कठुआ मामले में अदालत का फैसला बना BJP के लिए गले की हड्डी

सीएम योगी ने घर जाकर जाना मुलायम का हाल, शिवपाल-अखिलेश रहे मौजूद

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प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ आज सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव के घर पहुंचे और मुलाकात कर उनकी कुशलक्षेम पूछी. मुलायम सिंह को रविवार दोपहर में तबीयत खराब होने के बाद लखनऊ के लोहिया इंस्टिट्यूट में भर्ती कराया गया था. उनका ब्लड-शुगर लेवल काफी ज्यादा हो गया था जिसके बाद डॉक्टर ने उन्हें एडमिट कर जरूरी टेस्ट्स किए. तबीयत सही होने पर उन्हें रात दो बजे अस्पताल से छुट्टी दी गई.

मुलायम सिंह के स्वास्थ्य की जानकारी लेने के लिए ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ उनके निजी आवास पहुंचे थे.इस मौके पर सीएम योगी ने मुलायम को कुंभ की पुस्तिका भेंट की. मुलाकात के दौरान सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव और शिवपाल सिंह यादव भी वहां मौजूद रहे.

बेगूसराय में लगे गिरिराज सिंह को मुख्यमंत्री बनाने की मांग के नारे

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चुनाव में मिली ऐतिहासिक जीत के बाद मतदाताओं का धन्यवाद करने केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह बेगूसराय पहुंचे. लेकिन इस धन्यवाद यात्रा के दौरान भी गिरिराज सिंह बीजेपी के लिए बड़ी मुसीबत खड़ी कर आए. हुआ कुछ यूं कि यात्रा के दौरान गिरिराज सिंह खुली जीप पर सवार होकर मतदाताओं का धन्यवाद कर रहे थे. इस दौरान उनके साथ हजारों समर्थक मौजूद रहे.

उसी समय उत्साहित समर्थकों ने गिरिराज सिंह को बिहार का मुख्यमंत्री बनाने की मांग कर दी. यहां उनके समर्थकों ने ‘बिहार का मुख्यमंत्री कैसा हो, गिरिराज सिंह जैसा हो’ के नारों से आसमान को गुंजायमान कर दिया.

गिरिराज सिंह के समर्थन में लगे नारों के बाद अब एक बार फिर जेडीयू-बीजेपी गठबंधन में तनातनी का बढ़ना तय है. वैसे ही बिहार में जेडीयू-बीजेपी के मध्य तनाव अपने चरण पर है. पहले मंत्रिमंडल में कम हिस्सेदारी के चलते जेडीयू मोदी मंत्रिमंडल में शामिल नहीं हुई. हालांकि अमित शाह और नरेंद्र मोदी ने नीतीश को मनाने के काफी कोशिशे की. लेकिन वो जैसा चाहते थे वैसा नहीं हो सका.

उसके बाद नीतीश ने दिल्ली के अपमान का बदला पटना में लेते हुए अपनी सरकार के मंत्रिमंडल को विस्तार किया और सरकार में सहयोगी होने के बावजूद बीजेपी को जगह नहीं दी.

इससे पहले भी गिरिराज सिंह ने बिहार में सत्तारूढ़ दलों (बीजेपी, जेडीयू और एलजेपी) के नेताओं की चार तस्वीरों को अपने ट्वीटर हैंडल पर पोस्ट करते हुए पूछा कि अपने कर्म धर्म में हम पिछड़ क्यों जाते हैं और दिखावा में आगे रहते हैं. कितनी खूबसूरत तस्वीर होती जब इतनी ही चाहत से नवरात्रि पे फलाहार का आयोजन करते और सुंदर-सुंदर फ़ोटो आते.

गिरिराज सिंह के ट्वीट के बाद बिहार की राजनीति में भूचाल आ गया था. जेडीयू प्रवक्ताओं ने गिरिराज सिंह पर कड़ी कारवाई की मांग की थी. हालांकि बाद में अमित शाह ने इस मामले में गिरिराज को फटकार भी लगाई थी जिसके बाद मामला शांत हो गया.

बता दें, गिरिराज सिंह को बीजेपी ने इस बार बेगूसराय से चुनावी मैदान में उतारा था. उनका मुकाबला कन्हैंया कुमार और राजद के तनवीर हसन से था. गिरिराज ने चुनाव में बड़ी जीत हासिल की जिसका इनाम उन्हें मोदी मंत्रिमंडल में कैबिनेट मंत्री के रुप में मिला है. इससे पूर्व गिरिराज सिंह नवादा से सांसद चुने जाते रहे हैं. इस बार यह सीट गठबंधन के कारण जेडीयू के हिस्से में आई थी.

बंगाल में विधानसभा चुनाव के लिए BJP ने बनाई यह रणनीति

केंद्रीय मंत्री अर्जुनराम मेघवाल ने तंबूरे के साथ कुछ यूं छेड़ी तान

एक्टर गिरीश कर्नाड के निधन पर प्रधानमंत्री मोदी सहित गहलोत-वसुंधरा ने जताया शोक

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बॉलीवुड के दिग्गज़ अभिनेता गिरीश कर्नाड का आज लंबी बिमारी के चलते निधन हो गया. वे 81 साल के थे. उनके निधन से बॉलीवुड में शोक का माहौल है. गिरीश कर्नाड के निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व सीएम वसुंधरा राजे सहित अन्य राजनेताओं ने शोक व्यक्त किया है.

पीएम मोदी ने अपने शोक संदेश में कहा कि गिरीश कर्नाड सभी माध्‍यमों में अपने बहुमुखी अभिनय के लिए हमेशा याद किए जाएंगे. वे अपनी पसंद के विषयों पर भावुकता से बोलते थे. भविष्‍य में भी उनका काम लोकप्रिय रहेगा. प्रधानमंत्री ने कहा कि उनके निधन पर दुखी हूं, उनकी आत्मा को शांति मिले.

गिरीश कर्नाड को भारत के जाने-माने समकालीन लेखक, अभिनेता, फिल्म निर्देशक और नाटककार के तौर पर भी जाना जाता है. उन्होंने सलमान खान अभिनित ‘एक था टाईगर’ और ‘टाईगर जिंदा है’ सरीखी फिल्मों में दमदार अभिनय किया है. गिरीश कार्नाड का जन्म 19 मई, 1938 को महाराष्ट्र के माथेरान में हुआ था. वंशवृक्ष नामक कन्नड़ फिल्म से उन्होंने निर्देशन की दुनिया में कदम रखा था. इसके बाद कई कन्नड़ तथा हिन्दी फिल्मों का निर्देशन तथा अभिनय भी किया.

आर.के.नारायण की किताब पर आधारित टीवी सीरियल मालगुड़ी डेज़ में उन्होंने स्वामी के पिता की भूमिका निभाई जिसे दूरदर्शन पर प्रसारित किया गया था. उनकी हिंदी के साथ-साथ कन्नड़ और अंग्रेजी भाषा पर अच्छी खासी पकड़ थी. उन्होंने 10 बार राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार जीता है. बॉलीवुड में उन्होंने’पुकार’ (2000) ‘इक़बाल’ (2005), ‘डोर’ (2006) और ‘आशाएं’ (2010) में भी काम किया है.

चुनावी हार के बाद बोले दुष्यंत चौटाला, कहा-EVM पर सवाल उठाना जनमत का अपमान

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जननायक जनता पार्टी के नेता दुष्यंत चौटाला ने लोकसभा चुनाव में मिली हार के बाद ईवीएम पर बड़ा बयान दिया है. उन्होंने एक पत्रकार वार्ता के दौरान कहा कि जनता ने लोकसभा चुनाव में बीजेपी को बहुमत दिया है. हरियाणा की 10 सीटें यहां की जनता ने बीजेपी के खाते में डाली है. अब इसके कारण कुछ भी हो सकते है.

उन्होंने कहा, ‘अगर हम चुनाव में मिली हार के लिए ईवीएम और चुनाव आयोग को जिम्मेदार ठहराते है तो यह सीधा-सीधा जनता के दिए गए जनादेश का अपमान है. विपक्षी दलों को ऐसा करने से बचना चाहिए. ईवीएम पर हार का दोष मढ़ने के बजाय पार्टी के भीतर हार के कारणों को तलाशना चाहिए. साथ ही जनता के दिए गए जनादेश को विन्रमता से स्वीकार करना चाहिए.’

बसपा के साथ गठबंधन के सवाल पर दुष्यंत ने कहा कि बसपा के साथ हमारी गठबंधन को लेकर चर्चा चल रही है. अगर हमारी गठबंधन को लेकर सहमति बनती है तो बसपा के साथ विधानसभा चुनाव में गठबंधन हो सकता है. बता दें, बसपा का पहले इनेलो के साथ गठबंधन था लेकिन जींद चुनाव में इनेलो को मिली करारी हार के बाद बसपा गठबंधन से अलग हो गई.

लोकसभा चुनाव में बसपा ने राजकुमार सैनी की पार्टी राष्ट्रीय सुरक्षा मंच के साथ गठबंधन किया था. लेकिन इससे बसपा को कोई फायदा नहीं हुआ जिसके बाद बसपा ने राजकुमार सैनी के साथ गठबंधन तोड़ लिया. चुनाव आयोग ने जननायक जनता पार्टी के चुनाव निशान में भी बदलाव किया है. पार्टी चुनाव चिन्ह चप्पल से बदलकर चाबी कर दिया गया है.

राहुल-प्रियंका से मिले नवजोत सिंह सिद्धू, दे सकते हैं मंत्रीपद से इस्तीफा

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लोकसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद कांग्रेस में उठापटक का दौर थम नहीं रहा है. प्रदेशों में कांग्रेस के नेता एक-दूसरे को आलाकमान के सामने हार के लिए जिम्मेदार ठहराने के लिए लालायित दिख रहे हैं. पहला मामला राजस्थान से सामने आया जहां मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपने पुत्र की हार के लिए पीसीसी अध्यक्ष सचिन पायलट को जिम्मेदार ठहराया. इसके बाद कांग्रेस में अशोक गहलोत गुट के उपर सचिन पायलट गुट के विधायकों ने जुबानी प्रहार करते हुए पार्टी की हार के लिए मुख्यमंत्री गहलोत को जिम्मेदार ठहरा दिया.

ऐसे ही हालात कुछ पंजाब कांग्रेस के भीतर फैले हैं. हालांकि यहां पार्टी ने अच्छा प्रदर्शन किया है, लेकिन पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के मध्य हालात सामान्य नहीं हैं. पहले तो चुनावी नतीजों के बाद मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने 5 लोकसभा क्षेत्रों में मिली हार के लिए कैबिनेट मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू को जिम्मेदार ठहराया.

इसकी वजह से लोकसभा चुनाव के बाद बुलाई गई कैबिनेट की बैठक में सिद्धू शामिल नहीं हुए. बैठक के बाद कैप्टन ने सिद्धू के मंत्रालय को बदल दिया जिसके बाद से कैप्टन और सिद्धू के बीच तल्खी ओर बढ़ गई.

मंत्रिमंडल में उनके विभाग बदलने के बाद आज नवजोत सिंह सिद्धू ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी से मुलाकात की है. इस मुलाकात के दौरान प्रियंका गांधी और अहमद पटेल मौजूद रहे. मुलाकात के दौरान नवजोत सिंह सिद्धू ने कैप्टन विवाद पर राहुल के समक्ष अपनी बात रखी. साथ ही कुछ दस्तावेज भी राहुल गांधी को सौंपे हैं. इस मुलाकात के बाद से ही खबर आ रही है कि नवजोत सिंह सिद्धू मंत्री पद से इस्तीफा दे सकते हैं.

सचिन पायलट को क्यों बितानी पडी खेत में रात

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