बॉलीवुड के दिग्गज़ अभिनेता गिरीश कर्नाड का आज लंबी बिमारी के चलते निधन हो गया. वे 81 साल के थे. उनके निधन से बॉलीवुड में शोक का माहौल है. गिरीश कर्नाड के निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व सीएम वसुंधरा राजे सहित अन्य राजनेताओं ने शोक व्यक्त किया है.
Girish Karnad will be remembered for his versatile acting across all mediums. He also spoke passionately on causes dear to him. His works will continue being popular in the years to come. Saddened by his demise. May his soul rest in peace.
— Narendra Modi (@narendramodi) June 10, 2019
पीएम मोदी ने अपने शोक संदेश में कहा कि गिरीश कर्नाड सभी माध्यमों में अपने बहुमुखी अभिनय के लिए हमेशा याद किए जाएंगे. वे अपनी पसंद के विषयों पर भावुकता से बोलते थे. भविष्य में भी उनका काम लोकप्रिय रहेगा. प्रधानमंत्री ने कहा कि उनके निधन पर दुखी हूं, उनकी आत्मा को शांति मिले.
The passing away of veteran actor and theatre personality Sh. #GirishKarnad is a very sad news. My heartfelt condolences to his family members. May his soul rest in peace.
— Ashok Gehlot (@ashokgehlot51) June 10, 2019
गिरीश कर्नाड को भारत के जाने-माने समकालीन लेखक, अभिनेता, फिल्म निर्देशक और नाटककार के तौर पर भी जाना जाता है. उन्होंने सलमान खान अभिनित ‘एक था टाईगर’ और ‘टाईगर जिंदा है’ सरीखी फिल्मों में दमदार अभिनय किया है. गिरीश कार्नाड का जन्म 19 मई, 1938 को महाराष्ट्र के माथेरान में हुआ था. वंशवृक्ष नामक कन्नड़ फिल्म से उन्होंने निर्देशन की दुनिया में कदम रखा था. इसके बाद कई कन्नड़ तथा हिन्दी फिल्मों का निर्देशन तथा अभिनय भी किया.
Condole the demise of Veteran actor and playwright Shri #GirishKarnad. His passing is an unparalleled loss to Indian cinema & literature. My thoughts and prayers are with his family in this hour of grief.
— Vasundhara Raje (@VasundharaBJP) June 10, 2019
आर.के.नारायण की किताब पर आधारित टीवी सीरियल मालगुड़ी डेज़ में उन्होंने स्वामी के पिता की भूमिका निभाई जिसे दूरदर्शन पर प्रसारित किया गया था. उनकी हिंदी के साथ-साथ कन्नड़ और अंग्रेजी भाषा पर अच्छी खासी पकड़ थी. उन्होंने 10 बार राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार जीता है. बॉलीवुड में उन्होंने’पुकार’ (2000) ‘इक़बाल’ (2005), ‘डोर’ (2006) और ‘आशाएं’ (2010) में भी काम किया है.