सत्ता और संगठन से दूर हो चुके बीजेपी के ये दिग्गज नेता बनेंगे राज्यपाल
लोकसभा चुनाव में मिली बंपर जीत के बावजूद बीजेपी के कई वरिष्ठ नेता सत्ता और संगठन से दूर हो गए हैं. पार्टी इन नेताओं को बड़ी जिम्मेदारी देने का मन बना चुकी है. इनमें से करीब आधा दर्जन नेताओं को राज्यपाल बनाया जा सकता है. आपको बता दें कि 11 राज्यों के राज्यपालों का कार्यकाल अगले दो से तीन महीनों में खत्म होने जा रहा है. सूत्रों के अनुसार मोदी सरकार इनमें से ज्यादातर के कार्यकाल को बढ़ाना नहीं चाहती है. ज्यादातर जगह नए राज्यपाल बनाए जाएंगे.
जिन राज्यपालों का कार्यकाल अगले दो-तीन महीने में पूरा हो रहा है उनमें गोवा से मृदुला सिन्हा, गुजरात से ओम प्रकाश कोहली, कर्नाटक से वजुभाई वाला, केरल से पी सदाशिवम, महाराष्ट्र से विद्यासागर राव, नागालैंड से पद्मनाथ बालकृष्ण आचार्य, राजस्थान से कल्याण सिंह, त्रिपुरा से कप्तान सिंह सोलंकी, उत्तर प्रदेश से राम नाईक और पश्चिम बंगाल से केशरीनाथ त्रिपाठी का नाम शामिल है. बीजेपी इन राज्यों में जिन दिग्गज नेताओं को राज्यपाल बनाने के बारे में सोच रही है, उनमें कुछ नाम ये हैं-
सुमित्रा महाजन
16वीं लोकसभा में स्पीकर की जिम्मेदारी संभाल चुकी सुमित्रा महाजन को राज्यपाल की जिम्मदारी मिलना तय माना जा रहा है. सुमित्रा की छवि पार्टी में साफ सुथरे नेता की है. वे मध्य प्रदेश की इंदौर लोकसभा क्षेत्र से लगतार आठ बार सांसद चुनी जा चुकी हैं. हालांकि इस बार लोकसभा चुनाव में पार्टी ने उन्हें टिकट नहीं देना चाहती थी, जिसके कारण उन्होंने खुद ही चुनाव लड़ने से इंकार कर दिया.
कलराज मिश्र
मंदिर आंदोलन के दौर में यूपी बीजेपी के ब्राहम्ण चेहरे रहे कलराज मिश्र को पार्टी राज्यपाल जैसी अहम जिम्मेदारी दे सकती है. बता दें कि पिछली सरकार में कलराज मिश्र कैबिनेट मंत्री थे, लेकिन महेंद्रनाथ पांडे को यूपी में बीजेपी का अध्यक्ष बनाने के बाद से वे सक्रिय राजनीति से दूर हो गए. अब उनका नाम राज्यपाल पद के लिए चर्चा में है. पार्टी उन्हें मौका दे सकती है.
सुषमा स्वराज
पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज को आंध्र प्रदेश का राज्यपाल बनाए जाने की सूचना मंत्रिमंडल गठन के बाद सोशल मीडिया पर वायरल हो चुकी है. दरअसल केंद्रीय मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने ट्वीट कर सुषमा स्वराज को राज्यपाल बनने की बधाई दी थी, जिसे बाद में उन्होंने डिलीट कर दिया. बाद में सुषमा स्वराज ने ऐसा कोई फैसला होने से इंकार किया. ताजा जानकारी के अनुसार पार्टी ने उन्हें राज्यपाल नियुक्त करने का मन बना लिया है.
बंडारू दत्तात्रेय
पिछली मोदी सरकार में मंत्री रहे बंडारु दतात्रेय ने इस बार लोकसभा चुनाव नहीं लड़ा था. सूत्रों के अनुसार मोदी-शाह ने उन्हें राज्यपाल बनाने का मन बना लिया है. आपको बता दें कि बंडारु पार्टी के वरिष्ठ नेता हैं और तेलंगना की सिकंदराबाद लोकसभा सीट से चार बार सांसद रहे हैं. इस बार यहां से बीजेपी के टिकट पर किशन रेड्डी सांसद चुने गए हैं. उन्हें मोदी मंत्रिमंडल में गृह राज्य मंत्री की जिम्मेदारी दी गई है.
भगत सिंह कोश्यारी
उतराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री भगत सिंह कोश्यारी को पार्टी राज्यपाल जैसी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दे सकती है. वे मुख्यमंत्री रहने के बाद दो बार राज्यसभा और एक बार लोकसभा के सांसद निर्वाचित हो चुके हैं. साल 2014 के चुनाव में वे नैनीताल सीट से चुनाव लड़े थे. इस बार पार्टी ने उनके स्थान पर टिकट प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट को दिया था. भट्ट ने यहां कांग्रेस दिग्गज हरीश रावत को मात दी है.
तीन तलाक, एयरस्ट्राइक और एक देश-एक चुनाव पर बोले राष्ट्रपति कोविंद
17वीं लोकसभा के गठन के बाद दोनों संसद की संयुक्त बैठक को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि नई लोकसभा नए भारत की तस्वीर प्रस्तुत करती है. अपने संबोधन में उन्होंने कहा, ‘इस लोकसभा में लगभग आधे सांसद पहली बार निर्वाचित हुए हैं. लोकसभा के इतिहास में सबसे बड़ी संख्या में 78 महिला सांसदों का चुना जाना नए भारत की तस्वीर प्रस्तुत करता है.’ उन्होंने कहा कि आम चुनाव में देश की जनता ने स्पष्ट जनादेश दिया है. सरकार के पहले कार्यकाल के मूल्यांकन के बाद देशवासियों ने दूसरी बार और भी मजबूत समर्थन दिया है. ऐसा करके देशवासियों ने वर्ष 2014 से चल रही विकास यात्रा को अबाधित और तेज गति से आगे बढ़ाने का जनादेश दिया है.
अपने संबोधन में राष्ट्रपति ने तीन तलाक के खिलाफ कानून की जरूरत पर भी चर्चा की. उन्होंने सभी सांसदों से इससे जुड़े बिल का समर्थन करने की अपील की. राष्ट्रपति ने कहा, ‘देश में हर बहन-बेटी के लिए समान अधिकार सुनिश्चित करने के लिए तीन तलाक और निकाह-हलाला जैसी कुप्रथाओं का उन्मूलन जरूरी है. मैं सभी सदस्यों से अनुरोध करूंगा कि हमारी बहनों और बेटियों के जीवन को और सम्मानजनक एवं बेहतर बनाने वाले इन प्रयासों में अपना सहयोग दें.’
रामनाथ कोविंद ने कहा कि उनकी सरकार अवैध प्रवासियों के खिलाफ एनआरसी को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध है. उन्होंने कहा, ‘अवैध तरीके से भारत में दाखिल हुए विदेशी आतंरिक सुरक्षा के लिए बहुत बड़ा खतरा हैं. मेरी सरकार ने यह तय किया है कि घुसपैठ की समस्या से जूझ रहे क्षेत्रों में नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन्स की प्रक्रिया को प्राथमिकता के आधार पर अमल में लाया जाएगा.’ राष्ट्रपति ने एक देश-एक चुनाव पर भी अपनी बात रखी. उन्होंने कहा, ‘पिछले कुछ दशकों के दौरान देश के किसी न किसी हिस्से में कोई न कोई चुनाव होते रहने से विकास की गति और निरंतरता प्रभावित होती रही है. हमारे देशवासियों ने राज्य और राष्ट्रीय स्तर के मुद्दों पर अपना स्पष्ट निर्णय व्यक्त करके विवेक और समझदारी का प्रदर्शन किया है.’
रामनाथ कोविंद ने कहा कि तेज विकास के लिए समय की मांग है कि एक देश-एक चुनाव की व्यवस्था लागू की जाए. उन्होंने कहा कि ऐसी व्यवस्था होने से सभी राजनीतिक दल अपनी विचारधारा के अनुरूप जनकल्याणकारी कामों में अपनी ऊर्जा का अधिक उपयोग कर पाएंगे. राष्ट्रपति ने आतंकवाद और आंतरिक सुरक्षा जैसी चुनौतियों पर भी सरकार की प्राथमिकताएं गिनाईं. उन्होंने कहा कि सीमा पार आतंकवादी ठिकानों पर पहले सर्जिकल स्ट्राइक और फिर पुलवामा हमले के बाद एयर स्ट्राइक करके भारत ने अपने इरादों और क्षमताओं को प्रदर्शित किया है. भविष्य में भी अपनी सुरक्षा के लिए हर संभव कदम उठाए जाएंगे.
BJP ने बंगाल में बनाई ‘प्रतिशोध वाहिनी’, पार्टी कार्यकर्ताओं पर हमले का देगी जवाब
लोकसभा चुनाव को नतीजे आए करीब एक महीना पूरा होने को आया है लेकिन लेकिन बंगाल में लोकसभा चुनाव से जारी राजनीतिक हिंसा थमने का नाम नहीं ले रही हैं. रोज बंगाल से हिंसा की खबरें आ रही हैं. इन हिंसाओं में कभी बीजेपी कार्यकर्ताओं की हत्या की खबर आती है, कभी टीएमसी कार्यकर्ताओं की मौत की खबर आती है. तीखी बयानबाजी का दौर भी चालू है.
लंबे समय से जारी हिंसा से अपने कार्यकर्ताओं के बचाव के लिए पार्टियों ने संगठन बनाना शुरु कर दिया है. पश्चिम बंगाल के हावड़ा जिले में बीजेपी ने भी ‘प्रतिरोध वाहिनी’ नाम से एक संगठन का गठन किया है. इन संगठन का काम पार्टी कार्यकर्ताओं पर होने वाले हमलों का जवाब देने का रहेगा.
संगठन की स्थापना पर बंगाल बीजेपी के नेता मुकुल रॉय ने कहा कि इस संगठन का निर्माण टीएमसी को उसी की भाषा में जबाव देने के लिए किया गया है. यह संगठन टीएमसी की हिंसा का अब मुंहतोड़ जवाब देगा. इससे पूर्व ममता बनर्जी की पार्टी टीएमसी ने भी ‘हिंद वाहिनी’ नाम से संगठन का गठन किया था. इसी के जवाब में बीजेपी ने प्रतिरोध वाहिनी संगठन बनाया है.
सदन में नहीं होने दी जाएगी धार्मिक नारेबाजी: लोकसभा अध्यक्ष
लोकसभा के नवनिर्वाचित अध्यक्ष ओम बिड़ला ने कहा है कि वो संसद में किसी भी सदस्य को धार्मिक नारे लगाने की इजाजत नहीं देंगे. अगर सदस्य ऐसा करेंगे तो उनके खिलाफ सख्त कारवाई की जाएगी. गौरतलब है कि पिछले दो दिनों में सांसदों की शपथ के दौरान कई सदस्यों ने अपनी शपथ पूर्ण करने के बाद धार्मिक नारे लगाए थे. इन नारों में भारत माता की जय के जयकारों के साथ जय श्री राम, राधे राधे, अल्लाह-हू-अकबर, जय भीम, जय बंगाल सहित अन्य स्थानीय देवताओं के नारे शामिल हैं.
एक समाचार पत्र से बातचीत के दौरान लोकसभा अध्यक्ष बिड़ला ने कहा, ‘मुझे नहीं लगता कि संसद कोई ऐसी जगह है जहां कोई नारा लगाए. सदन के वेल में आए-जाए या फिर बैनर-पोस्टर लहराए. विरोध के लिए अलग जगह है. उन्हें जो कुछ भी सरकार के खिलाफ कहना है, वो वहां कह सकते हैं लेकिन यहां इसकी इजाजत नहीं होगी. यह नियम सतापक्ष और विपक्ष दोनों के लिए लागु होगा.’
इससे पहले सदन में जब एआईएमआईएम सांसद असदुद्दीन औवेसी को जैसी ही शपथ के लिए बुलाया गया, बीजेपी और उसके सहयोगी सांसदो ने जय श्रीराम के नारे लगाना शुरु कर दिया. इन नारों के जवाब में औवेसी ने शपथ पूर्ण करने के बाद जय मीम, जय भीम और अल्लाह-हू-अकबर का नारा लगाया. बीजेपी सांसदों की यह नारेबाजी टीएमसी सांसदों के शपथ ग्रहण के दौरान भी जारी रही. टीएमसी सांसदों ने इस नारेबाजी का जवाब जय काली, जद दुर्गा, जय ममता के नारों से दिया था.
गौरतलब है कि ओम बिड़ला को हाल ही में लोकसभा अध्यक्ष चुना गया है. बिड़ला राजस्थान के कोटा से वर्तमान सांसद हैं.
बिहार में ‘चमकी’ के साये के बीच पार्टी नेता के विवादित बयान ने मचाया गदर
बिहार इन दिनों ‘चमकी बुखार’ की गिरफ्त में हैं. इस बुखार से अब तक करीब 135 बच्चे काल के ग्रास में समा चुके हैं. हालांकि प्रदेश का चिकित्सा विभाग अपनी पूरजोर कोशिशों में जुटा हुआ है लेकिन हालात हैं कि सुधरने का नाम नहीं ले रहे. ऐसे समय में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का दिल्ली दौरा सभी की समझ से परे हैं. सभी के लिए यह आलोचना का विषय बनता जा रहा है. इसी बीच जेडीयू के सांसद दुलार चंद्र गोस्वामी उनके समर्थन में उतर आए हैं लेकिन उनके इस बयान ने प्रदेशभर में गदर मचा दिया है.
गोस्वामी ने कहा, ‘हम मान रहे हैं कि स्थिति गंभीर है और सरकार इस पर तत्परता से काम कर रही है. नीतीश दिल्ली में है तो क्या हुआ. वह (नीतीश) हालात का जायजा लेने गए तो थे. स्वास्थ्य मंत्री भी हालात देखने गए थे. इस बात से कौन इनकार कर रहा है ऐसी घटना हुई है जो कि हमारे लिए भी दुखद है. स्थिति सुधर रही है.’
बता दें, एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (AES) की वजह से बिहार में अब तक 135 से अधिक बच्चों की मौत हो चुकी है. चिकित्सा व्यवस्था पर स्थानीय लोगों का गुस्सा चरम पर है. यहां तक कि सोशल मीडिया पर कुछ यूजर्स ने नीतीश कुमार को इस्तीफा देने की बात भी कही है. आलम यह है कि हाल ही में सीएम नीतीश और डिप्टी सीएम सुशील कुमार मोदी मुजफ्फरपुर स्थित श्रीकृष्णा मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में हालात का जायजा लेने पहुंचे थे, यहां उसके खिलाफ लोगों ने विरोध-प्रदर्शन किया. साथ ही ‘नीतीश वापस जाओ’ के नारे भी लगाए.
बिहार में ‘चमकी बुखार’ से मौत का मामला अब सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया है. कोर्ट इस मामले पर सोमवार को सुनवाई करेगा. दो वकीलों ने इसे लेकर कोर्ट में याचिका दायर की है. याचिका में कहा गया कि सरकारी लापरवाही के कारण यह स्थिति पैदा हुई है क्योंकि उन्होंने इस बीमारी से हर साल होने वाली मौतों को नजरअंदाज किया. याचिका में एईएस को फैलने से रोकने के लिए सहायता और समीक्षा के लिए मेडिकल प्रोफेशनल्स की टीम भेजने का आदेश केंद्र को देने की मांग की गई है. साथ ही कहा गया कि केंद्र और राज्य सरकार को स्थिति से निपटने के लिए जरूरी मेडिकल पेशेवरों के साथ तत्काल 500 आईसीयू की व्यवस्था करनी चाहिए.
अशोक गहलोत हो सकते हैं कांग्रेस के नए अध्यक्ष
कांग्रेस में राहुल गांधी के इस्तीफे की पेशकश के बाद पार्टी के नए अध्यक्ष के लिए शुरू हुई तलाश अब खत्म होती नजर आ रही है. कांग्रेस के अध्यक्ष पद के लिए राजस्थान के मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अशोक गहलोत का नाम लगभग फाइनल समझा जा रहा है. कांग्रेस नेतृत्व ने हाल ही में इस बात के संकेत भी दिए हैं कि गहलोत राहुल गांधी की जगह ले सकते हैं.
अगर सच में ऐसा हेाता है तो कांग्रेस का अध्यक्ष बनाए जाने के बाद राजस्थान में उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट गहलोत का स्थान ले सकते हैं. इससे राज्य में विधानसभा चुनाव के बाद दोनों नेताओं के बीच खड़ा हुआ विवाद भी पूरी तरह शांत हो जाएगा.
कांग्रेस सूत्रों की माने तो यह करीब-करीब तय हो गया है कि कांग्रेस जल्द ही पार्टी के नए अध्यक्ष का ऐलान करेगी. अशोक गहलोत ने बुधवार को दिल्ली में राहुल गांधी से मुलाकात भी की थी. हालांकि कहा यह जा रहा कि वह राहुल गांधी को जन्मदिन की बधाई देने पहुंचे थे.
बता दें, राहुल गांधी से मुलाकात के दौरान अशोक गहलोत ने उनसे पार्टी प्रमुख बने रहने का भी आग्रह किया था. कांग्रेस सूत्रों के अनुसार, पार्टी नेताओं के तमाम प्रयासों के बावजूद राहुल गांधी अपने फैसले से पीछे हटने को तैयार नहीं हैं.
तमाम अटकलों के बीच राहुल गांधी ने यह भी साफ कर दिया है कि कांग्रेस अध्यक्ष के लिए पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी के नाम पर विचार नहीं किया जाएगा. राहुल गांधी की ओर से लिए गए इस फैसले की एक वजह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा कांग्रेस पर वंशवाद का आरोप लगाना माना जा रहा है.
आखिर अशोक गहलोत ही क्यों
– संगठन से पुराना जुड़ाव और लंबा अनुभव
– गहलोत का पिछड़ी जाति से ताल्लुक होना
– सोनिया और राहुल गांधी से बेहतर रिश्ते
– कांग्रेस के अन्य नेताओं से ठीक समीकरण