पिछली मोदी सरकार पर आरोप लगते रहे है कि उसे लोगों ने जिस काम के लिए चुना था, वह छोड़ कर दूसरे काम कर रही है. उनके समर्थक भी निराश थे कि उन्हें चुना था देवालय बनाने के लिए और वे शौचालय बना रहे हैं. तभी इस बार ऐसा लग रहा है कि सरकार ने लोकप्रिय भावनाओं का ख्याल रखा है. संयोग भी है, जो इस बार लोकसभा में ढेर सारे ऐसे लोग चुन कर आ गए हैं, जो लोकप्रिय भावनाओं का प्रतिनिधित्व करते हैं.
तभी लोकसभा में शपथ ग्रहण समारोह में जय श्री राम, वंदे मातरम, भारत माता की जय, मंदिर वहीं बनाएंगे के नारे लगे. इस बार भाजपा के पास लोकसभा में पश्चिम बंगाल से जीते 18 सांसद हैं, जो जय श्री राम के नारे पर जीत कर आए हैं. इस बार भाजपा के पास चंद्र प्रताप षाड़ंगी हैं, जो वैसे तो आरोप मुक्त हैं पर जिस समय ओड़िशा में ग्राहम स्टेंस और उनके दो बच्चों को जिंदा जलाया गया था तब वे प्रदेश के बजरंग दल के प्रमुख थे. भाजपा के पास इस बार प्रज्ञा सिंह ठाकुर भी हैं, जो मालेगांव बम विस्फोट की आरोपी हैं और भोपाल से जीत कर आई हैं.
गिरिराज सिंह अब कैबिनेट मंत्री बन गए हैं और दूसरी कतार में उन्हें जगह मिली है. इस बार भाजपा अपने इन चेहरों के दम पर अपने एजेंडे को ज्यादा मुखर तरीके से लोगों तक पहुंचाने में कामयाब होगी. उधर अमित शाह के गृह मंत्री बनते ही अपने आप भाजपा के कार्यकर्ताओं से लेकर समर्थकों तक मैसेज गया है कि अब पार्टी अपने सारे पुराने एजेंडे पूरे करेगी. बांग्लादेशी घुसपैठियों को निकाल बाहर करेगी, नागरिकता कानून बना कर पड़ोसी देशों से भारत में आए हिंदुओं को नागरिकता देगी. कश्मीर से अनुच्छेद 370 और 35 ए खत्म कर दिया जाएगा, अयोध्या में राममंदिर बनेगा, समान नागरिक संहिता बनाई जाएगी, यानी वे सारे काम होंगे, जो पिछले कई दशकों से लंबित हैं.
गृह मंत्री बनते ही अमित शाह ने जो पहला काम किया वह था जम्मू कश्मीर में परिसीमन की बहस शुरू कराना. ऐसी खबरें आईं कि सरकार राज्य में परिसीमन कराने जा रही है, जिस पर फारूक अब्दुल्ला ने मुख्यमंत्री रहते रोक लगा दी थी. इस परिसीमन से कुछ चुनाव क्षेत्रों की भौगोलिक सीमाओं में बदलाव आएगा पर घाटी और जम्मू की जनसंख्या संरचना ऐसी है कि मतदाताओं की संख्या और उनके स्वरूप में कोई खास बदलाव नहीं आएगा. पर पूरे देश में ऐसा प्रचार हो रहा है, जैसे परिसीमन होते ही राज्य में आधी से ज्यादा विधानसभा सीटों पर हिंदू मतदाताओं की बहुलता हो जाएगी और फिर भाजपा की अकेले सरकार बन जाएगी.
बहरहाल, परिसीमन से कुछ हो या नहीं पर ऐसा लग रहा है कि अगले कुछ दिन में अनुच्छेद 35 ए पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आ जाएगा. अगर सुप्रीम कोर्ट ने इसे असंवैधानिक बता कर खारिज कर दिया तो सरकार इसे मान लेगी. हालांकि इससे भी जमीनी स्तर पर तत्काल कुछ नहीं बदलेगा पर पूरे देश में भाजपा समर्थक इसे अपनी जीत मानेंगे. ध्यान रहे संसद के चालू सत्र में शुक्रवार को भाजपा के एक सांसद ने अनुच्छेद 370 हटाने और गोहत्या रोकने के कानून के लिए एक गैर सरकारी विधेयक भी पेश किया है.
बहरहाल, अयोध्या में राममंदिर के मामले में मध्यस्थता की रिपोर्ट अगले कुछ महीनों में आ जाएगी. ज्यादातर लोगों का मानना है कि मध्यस्थता कर रही तीन सदस्यों की कमेटी इस मसले को नहीं सुलझा पाएगी. तब सरकार सुप्रीम कोर्ट से रोजाना सुनवाई का अनुरोध कर सकती है. बाकी सारे पक्ष भी चाहते हैं कि इस मामले की रोजाना सुनवाई हो और फैसला आए. संभव है कि अगले साल तक सुनवाई पूरी हो जाए. उसके बाद जो भी फैसला आए, मंदिर जरूर बनेगा.
सरकार ने संसद का सत्र शुरू होते ही तीन तलाक बिल को नए सिरे से पेश किया और इस बार बहुत आक्रामक अंदाज में सरकार इसके लिए लॉबिंग कर रही है. किसी भी तरह से इसे इसी सत्र मे पास कराया जाएगा. राष्ट्रपति तक ने अपने अभिभाषण में कहा कि तीन तलाक और निकाह हलाला की प्रथा खत्म होनी चाहिए. वैसे सरकार की ओर बातें समावेशी विकास की हो रही हैं. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने अभिभाषण में समावेशी विकास पर जोर दिया. उससे पहले प्रधानमंत्री मोदी ने सबका साथ, सबका विकास के अपने नारे में सबका विश्वास भी जोड़ा, लेकिन असलियत क्या है इसका छह महिनों के कामकाज से में पता चल जाएगा.