होम ब्लॉग पेज 3187

शिवराज ने कहा- बीजेपी का कमलनाथ सरकार को गिराने का कोई इरादा नहीं

मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और बीजेपी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि उनकी पार्टी का कमलनाथ सरकार को गिराने का कोई इरादा नहीं है, लेकिन कांग्रेस की अंदरूनी कलह की वजह से सरकार गिर जाती है तो इसमें बीजेपी कुछ नहीं कर सकती. चौहान ने लखनऊ में बीजेपी के सदस्यता अभियान के जिला और क्षेत्रीय स्तर के प्रमुखों को संबोधित करने के बाद मीडिया से बातचीत में यह बात कही.

जब शिवराज सिंह चौहान से यह पूछा गया कि क्या बीजेपी अगले विधानसभा चुनाव होने से पहले मध्यप्रदेश में सरकार बनाएगी तो उन्होंने कहा, ‘अब यदि कांग्रेस की सरकार पार्टी की अंदरूनी कलह से गिर जाती है तो वह कुछ नहीं कर सकते. हम किसी को अपदस्थ नहीं कर रहे हैं, लेकिन वहां जो कुछ चल रहा है, वह अच्छा नहीं है.’

आपको बता दें कि मध्यप्रदेश में 15 साल तक सत्ता से बाहर रहने के बाद पिछले साल दिसंबर में कांग्रेस की सत्ता में वापसी हुई थी, लेकिन लोकसभा चुनाव के बाद से कांग्रेस ने कई बार आरोप लगाया है कि बीजेपी उसकी सरकार को गिराना चाहती है और उसके और बसपा के विधायकों को सरकार से हटने के लिए तरह-तरह से प्रलोभन दे रही है.

सांसद-विधायक को महंगा पड़ा ‘चमकी’ पर राजनीति चमकाना, लोगों ने बनाया बंधक

चमकी बुखार से प्रभावित बिहार के हरिवंशपुर गांव में वैशाली के सांसद पशुपति पारस और लालगंज विधायक राजकुमार साह को नेतागिरी चमकाना भारी पड़ गया. जनता ने दोनों को घेर लिया और जमकर खरी खोटी सुनाई. यही नहीं, स्थानीय विधायक और एलजेपी के नेता राजकुमार साह को स्थानीय लोगों ने बंधक भी बना लिया. मौके पर मौजूद लोगों की सांसद और विधायक से जमकर बहस भी हुई. इसके बाद विधायक राजकुमार साह पैसे देकर छूटे.

दरअसल, वैशाली से लोकजनशक्ति पार्टी के सांसद पशुपति पारस और लालगंज विधायक राजकुमार साह हरिवंशपुर गांव इसलिए गए थे, क्योंकि वहां ग्रामीणों ने उनके लापता होने के बैनर लगा रखे हैं. इनमें लिखा है, ‘बच्चे मर रहे हैं और सांसद/विधायक का अता-पता नहीं. स्थानीय सांसद पशुपति पारस को खोजने वाले वयक्ति को 11 हजार रुपये का इनाम.’ चमकी बुखार से अपने बच्चों को खो चुके परिजनों के के गुस्से को शांत करने के लिए सांसद वहां गए. दोनों ने मृतक बच्चों के परिजनों को 5 हजार रुपये और दवाईयां बांटी.

सांसद पशुपति पारस और विधायक राजकुमार साह पैसे और दवाईयां बांटकर लौट ही रहे थे कि ग्रामीणों ने उन्हें घेर लिया. ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि पैसे और दवाई बांटने में भेदभाव किया गया. बच्चों की मौत के मुकाबले कम लोगों को सहायता दी गई. लोगों के गुस्से को देखकर सांसद तो मौके से निकल लिए, लेकिन विधायक राजकुमार साह को ग्रामीणों ने बंधक बना लिया. ग्रामीणों ने उन्हें मृतक बच्चों के परिजनों को पैसे देने के बाद ही छोड़ा.

आपको बता दें कि बिहार के मुजफ्फरपुर और इसके आसपास के इलाकों में बच्चों पर कहर बनकर टूटने वाली बीमारी ‘चमकी बुखार’ से पीड़ित बच्चों की मौत का सिलसिला जारी है. बच्चों की मौत का आंकड़ा 150 को पार कर चुका है. लगातार हो रही मौतों के बावजूद सरकार की सुस्ती से लोगों में भारी गुस्सा है. पिछले दिनों मुख्यमंत्री जब मुजफ्फरनगर के अस्पताल का जायजा लेने गए थे तब भी लोगों ने उनका विरोध किया था. अस्पताल के बाहर ‘नीतीश कुमार वापस जाओ’ के नारे लगे थे.

सरकार के खिलाफ लोगों के गुस्से को देखते हुए मुजफ्फरपुर के अस्पताल में बिहार कांग्रेस के नेता और कार्यकर्ता पहुंचे. कांग्रेस नेता सरकार और सरकार की व्यवस्था को लेकर कोसने लगे. कांग्रेस पार्टी के नेताओं की वजह से मुजफ्फरपुर अस्पताल में आज हंगामा हुआ. इस हंगामे की वजह से मरीजों के परिजनों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा. कांग्रेस के नेताओं ने मुजफ्फरपुर के अस्पताल में भीड़ जुटाकर बच्चों के इलाज में बाधा डाली.

मणिशंकर अय्यर ने कहा- गैर गांधी हो सकता है कांग्रेस का नया अध्यक्ष

वरिष्ठ नेता मणिशंकर अय्यर के मुताबिक कोई ‘गैर गांधी’ कांग्रेस का अध्यक्ष हो सकता है. उन्होंने कहा कि अगर राहुल गांधी पार्टी अध्यक्ष बने रहते हैं तो यह सबसे अच्छा होगा लेकिन वे इस पद नहीं रहना चाहते तो उनकी इच्छा का सम्मान होना चाहिए. अय्यर ने कहा, ‘मैं आश्वस्त हूं कि पार्टी का अध्यक्ष कोई नेहरू-गांधी न हो तब भी हमारा अस्तित्व कायम रहेगा बशर्ते नेहरू-गांधी परिवार पार्टी में सक्रिय रहे और ऐसे संकट का समाधान निकालने में मदद करे जहां गंभीर मतभेद उत्पन्न हों.’

कांग्रेस नेता ने कहा कि राहुल ने अध्यक्ष पद के लिए कोई अन्य विकल्प ढूंढने के लिए एक महीने का वक्त दिया है और इस मुद्दे को लेकर कांग्रेस के भीतर बातचीत जारी है जहां पार्टी में ज्यादातर लोग राहुल के पद पर बने रहने के पक्ष में हैं. हालांकि पूर्व केंद्रीय मंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि मीडिया को अटकलें लगाने की बजाए यह जानने के लिए अंतिम समय सीमा का इंतजार करना चाहिए कि क्या कोई विकल्प मिल गया है या राहुल को कांग्रेस अध्यक्ष बने रहने के लिए मना लिया गया है.

अय्यर ने कहा, ‘मुझे नहीं लगता कि यह व्यक्तित्व का मामला है. मैं जानता हूं कि बीजेपी का लक्ष्य गांधी मुक्त कांग्रेस और नतीजन कांग्रेस मुक्त भारत है. मेरे विचार में हम उस सोच के जाल में फंसने वाले नहीं हैं कि उन्होंने कुछ ऐसा पता लगा लिया है जिसे खोज पाने में हम असमर्थ हैं.’ संगठन के शीर्ष नेतृत्व में फेरबदल की जरूरत को लेकर पूछे गए सवाल पर अय्यर ने कहा, ‘अगर आप सिर ही कलम कर देंगे तो धड़ फड़फड़ाने लगेगा.’

मणिशंकर अय्यर ने पार्टी के इतिहास से ऐसे कई उदाहरण पेश किए जब नेहरू-गांधी परिवार से बाहर के लोग पार्टी के अध्यक्ष रहे, यूएन ढेबर से लेकर ब्रह्मानंद रेड्डी तक. उन्होंने कहा कि अब भी इस मॉडल को अपनाया जा सकता है. राहुल गांधी के इस्तीफे की पेशकश के बाद उनके अगले कदम को लेकर लग रही अटकलों के बीच गुरुवार को उन्होंने कहा कि पार्टी फैसला ले कि उनके बाद इस पद को कौन संभालेगा और वह इस पद पर नहीं बने रहेंगे.

झारखंड में आरजेडी को बड़ा झटका, पूर्व प्रदेशाध्यक्ष ने बनाई नई पार्टी

राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) को झारखंड में बड़ा झटका लगा है. प्रदेश के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष गौतम सागर राणा ने आरजेडी से इस्तीफा देकर राष्ट्रीय जनता दल लोकतांत्रिक (आरजेडीएल) नाम से नई पार्टी बना ली है. उन्होंने नई पार्टी का एलान करते हुए लालू यादव की जमकर आलोचना भी की. उन्होंने कहा, ‘आरजेडी झारखंड पार्टी के 90 फीसदी नेता और मैं लालू प्रसाद यादव से परेशान हैं. आरजेडी में कोई लोकतंत्र नहीं बचा है. हम अपने दम पर झारखंड के लोगों की सेवा करेंगे.’

आपको बता दें कि लोकसभा चुनाव में हार के बाद आरजेडी ने गौतम सागर राणा को झारखंड के प्रदेश अध्यक्ष पद से हटा दिया था. पार्टी ने उनकी जगह अभय कुमार सिंह को प्रदेश अध्यक्ष बना दिया था. इस बात से गौतम सागर काफी नाराज थे. उन्होंने आरजेडी को अपने फैसले पर पुर्नविचार करने के लिए 21 जून तक का समय दिया था. सागर ने पार्टी आलाकमान से साफ-साफ कह दिया था कि अगर अभय सिंह को पद से नहीं हटाया जाता है, तो 21 जून के बाद प्रदेश में नई आरजेडी की घोषणा की जाएगी, जिस पर उन्होंने आज अमल कर दिया है.

असर में बिहार के पड़ोसी राज्य झारखंड में पैर पसारने से पहले ही आरजेडी को झटके पर झटके लग रहे हैं. लोकसभा चुनाव के दौरान आरजेडी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष गिरिनाथ सिंह और प्रदेश अध्यक्ष अन्नपूर्णा देवी ने भी पार्टी का साथ छोड़ दिया था. दोनों ने बीजेपी का हाथ थाम लिया था. उसके बाद 25 मार्च को आरजेडी ने गौतम सागर राणा को झारखंड की कमान सौंपी थी. अब राणा ने भी पार्टी का साथ छोड़ दिया है. उल्लेखनीय है कि अविभाजित बिहार में जहां झारखंड के सीमावर्ती क्षेत्रों से राजद के नौ विधायक हुआ करते थे. 2004 में यह संख्या घटकर सात और 2009 में पांच रह गई और 2014 के विधानसभा चुनाव में राजद का खता भी नहीं खुला .

मायावती ने भाई को उपाध्यक्ष तो भतीजे को बनाया नेशनल कोऑर्डिनेटर

बसपा सुप्रीमो मायावती ने पार्टी पदाधिकारियों की बैठक में अपने भाई आनंद कुमार को राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और भतीजे आकाश आनंद को नेशनल कॉर्डिनेटर बनाने की घोषणा की है. आपको बता दें कि मायावती ने आज पार्टी के देशभर के पदाधिकारियों के साथ लखनऊ में बैठक की. बैठक में उन्होंने उत्तर प्रदेश में विधानसभा की 12 सीटों के लिए होने वाले उपचुनाव और विभिन्न राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों व जनाधार बढ़ाने के बारे में जरूरी दिशा-निर्देश दिए.

गौरतलब है कि लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश से 10 सीटें जीतने के बाद बसपा अध्यक्ष की सक्रियता बढ़ गई है. मायावती सपा से अलग होकर उत्तर प्रदेश में अकेले 12 विधानसभा सीटों के उपचुनाव लड़ने का एलान कर चुकी हैं. इसके अलावा 2022 के विधानसभा चुनाव सभी 403 सीटों पर लड़ने के लिहाज से तैयारी का संदेश देते हुए संगठन पुनर्गठन व जनाधार विस्तार के भी दिशा-निर्देश दे चुकी हैं.

Haryana में BJP ने रखा 75 प्लस सीटों का लक्ष्य

विकास की बात के साथ एजेंडे का तड़का लगाती मोदी सरकार

PoliTalks news

पिछली मोदी सरकार पर आरोप लगते रहे है कि उसे लोगों ने जिस काम के लिए चुना था, वह छोड़ कर दूसरे काम कर रही है. उनके समर्थक भी निराश थे कि उन्हें चुना था देवालय बनाने के लिए और वे शौचालय बना रहे हैं. तभी इस बार ऐसा लग रहा है कि सरकार ने लोकप्रिय भावनाओं का ख्याल रखा है. संयोग भी है, जो इस बार लोकसभा में ढेर सारे ऐसे लोग चुन कर आ गए हैं, जो लोकप्रिय भावनाओं का प्रतिनिधित्व करते हैं.

तभी लोकसभा में शपथ ग्रहण समारोह में जय श्री राम, वंदे मातरम, भारत माता की जय, मंदिर वहीं बनाएंगे के नारे लगे. इस बार भाजपा के पास लोकसभा में पश्चिम बंगाल से जीते 18 सांसद हैं, जो जय श्री राम के नारे पर जीत कर आए हैं. इस बार भाजपा के पास चंद्र प्रताप षाड़ंगी हैं, जो वैसे तो आरोप मुक्त हैं पर जिस समय ओड़िशा में ग्राहम स्टेंस और उनके दो बच्चों को जिंदा जलाया गया था तब वे प्रदेश के बजरंग दल के प्रमुख थे. भाजपा के पास इस बार प्रज्ञा सिंह ठाकुर भी हैं, जो मालेगांव बम विस्फोट की आरोपी हैं और भोपाल से जीत कर आई हैं.

गिरिराज सिंह अब कैबिनेट मंत्री बन गए हैं और दूसरी कतार में उन्हें जगह मिली है. इस बार भाजपा अपने इन चेहरों के दम पर अपने एजेंडे को ज्यादा मुखर तरीके से लोगों तक पहुंचाने में कामयाब होगी. उधर अमित शाह के गृह मंत्री बनते ही अपने आप भाजपा के कार्यकर्ताओं से लेकर समर्थकों तक मैसेज गया है कि अब पार्टी अपने सारे पुराने एजेंडे पूरे करेगी. बांग्लादेशी घुसपैठियों को निकाल बाहर करेगी, नागरिकता कानून बना कर पड़ोसी देशों से भारत में आए हिंदुओं को नागरिकता देगी. कश्मीर से अनुच्छेद 370 और 35 ए खत्म कर दिया जाएगा, अयोध्या में राममंदिर बनेगा, समान नागरिक संहिता बनाई जाएगी, यानी वे सारे काम होंगे, जो पिछले कई दशकों से लंबित हैं.

गृह मंत्री बनते ही अमित शाह ने जो पहला काम किया वह था जम्मू कश्मीर में परिसीमन की बहस शुरू कराना. ऐसी खबरें आईं कि सरकार राज्य में परिसीमन कराने जा रही है, जिस पर फारूक अब्दुल्ला ने मुख्यमंत्री रहते रोक लगा दी थी. इस परिसीमन से कुछ चुनाव क्षेत्रों की भौगोलिक सीमाओं में बदलाव आएगा पर घाटी और जम्मू की जनसंख्या संरचना ऐसी है कि मतदाताओं की संख्या और उनके स्वरूप में कोई खास बदलाव नहीं आएगा. पर पूरे देश में ऐसा प्रचार हो रहा है, जैसे परिसीमन होते ही राज्य में आधी से ज्यादा विधानसभा सीटों पर हिंदू मतदाताओं की बहुलता हो जाएगी और फिर भाजपा की अकेले सरकार बन जाएगी.

बहरहाल, परिसीमन से कुछ हो या नहीं पर ऐसा लग रहा है कि अगले कुछ दिन में अनुच्छेद 35 ए पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आ जाएगा. अगर सुप्रीम कोर्ट ने इसे असंवैधानिक बता कर खारिज कर दिया तो सरकार इसे मान लेगी. हालांकि इससे भी जमीनी स्तर पर तत्काल कुछ नहीं बदलेगा पर पूरे देश में भाजपा समर्थक इसे अपनी जीत मानेंगे. ध्यान रहे संसद के चालू सत्र में शुक्रवार को भाजपा के एक सांसद ने अनुच्छेद 370 हटाने और गोहत्या रोकने के कानून के लिए एक गैर सरकारी विधेयक भी पेश किया है.

बहरहाल, अयोध्या में राममंदिर के मामले में मध्यस्थता की रिपोर्ट अगले कुछ महीनों में आ जाएगी. ज्यादातर लोगों का मानना है कि मध्यस्थता कर रही तीन सदस्यों की कमेटी इस मसले को नहीं सुलझा पाएगी. तब सरकार सुप्रीम कोर्ट से रोजाना सुनवाई का अनुरोध कर सकती है. बाकी सारे पक्ष भी चाहते हैं कि इस मामले की रोजाना सुनवाई हो और फैसला आए. संभव है कि अगले साल तक सुनवाई पूरी हो जाए. उसके बाद जो भी फैसला आए, मंदिर जरूर बनेगा.

सरकार ने संसद का सत्र शुरू होते ही तीन तलाक बिल को नए सिरे से पेश किया और इस बार बहुत आक्रामक अंदाज में सरकार इसके लिए लॉबिंग कर रही है. किसी भी तरह से इसे इसी सत्र मे पास कराया जाएगा. राष्ट्रपति तक ने अपने अभिभाषण में कहा कि तीन तलाक और निकाह हलाला की प्रथा खत्म होनी चाहिए. वैसे सरकार की ओर बातें समावेशी विकास की हो रही हैं. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने अभिभाषण में समावेशी विकास पर जोर दिया. उससे पहले प्रधानमंत्री मोदी ने सबका साथ, सबका विकास के अपने नारे में सबका विश्वास भी जोड़ा, लेकिन असलियत क्या है इसका छह महिनों के कामकाज से में पता चल जाएगा.

सात सालों में एनपीपी को कैसे मिला नेशनल दर्जा

ईरान की हथियार प्रणाली पर अमेरिका के साइबर हमले शुरू

अमेरिका ने ईरान पर साइबर हमले शुरू किए हैं. अमेरिकी मीडिया की ओर से दावा किया गया है कि रॉकेट और मिसाइल सिस्टम को नियंत्रित करने वाली कंप्यूटर प्रणालियों को निशाना बनाया गया है. कहा जा रहा है कि ये साइबर हमले कई हफ्तों तक जारी रहेंगे. इनका उद्देश्य ईरान की उस हथियार प्रणाली को निशाना बनाना है जिसका इस्तेमाल इस्लामिक रिवॉल्यूशनरी गार्ड कॉर्प करता है. इन हमलों के बाद इस प्रणाली पर ऑनलाइन काम करना बंद हो जाएगा और इसका संचालन ऑफलाइन ही किया जा सकेगा.

ईरान की ओर से तेल टैंकर पर हमले और इसके बाद एक हवाई ड्रोन को मार गिराए जाने के बाद अमेरिका ने ईरान के खिलाफ ये कदम उठाया है. अमेरिका ने इस हमलों में ईरान का हाथ बताया जबकि ईरान ने इसका खंडन किया. इसके बाद अमेरिकी जासूसी ड्रोन को ईरान ने मार गिराया. ट्रंप ने इसी दिन ईरान पर हमले के आदेश दिए, लेकिन ट्रंप का आदेश पाकर अमेरिकी लड़ाकू विमान और युद्धपोत सक्रिय हो गए. इस बीच ट्रंप ने अपने सलाहकारों से पूछा कि ईरान पर हमले में कितने लोग मारे जाएंगे. सेना के जनरल बताया कि करीब डेढ़ सौ लोगों की मौत होगी. इसके बाद ट्रंप ने हमले को रोकने के आदेश दिए.

दरअसल, ईरान ने गुरुवार को एक अमेरिकी ड्रोन मार गिराया था. ईरान का दावा है कि यह जासूस ड्रोन ईरानी हवाई क्षेत्र में था जबकि अमेरिका इस दावे को झूठा बताया. ईरान ने यह भी कहा कि कम से कम 35 लोगों को लेकर जा रहा अमेरिकी विमान ईरानी हवाई क्षेत्र के बिल्कुल करीब से होकर गुजरा था, लेकिन उन्होंने उस पर हमला नहीं किया. अमेरिका-ईरान के बीच बीते कुछ दिनों से तनाव लगातार बढ़ते तनाव के बीच अमेरिका ने मध्य-पूर्व में अपनी सेना और साजो-सामान की तैनाती कर ली है.

ईरान ने खुद को परमाणु समझौते से आंशिक तौर पर अलग करने के बाद कह दिया है कि वह अमेरिका के साथ इस समझौते पर अब और बात नहीं करेगा. जबकि अमेरिका ने इसके अलावा इराक में मौजूद अपने कई राजनयिक कर्मचारियों की संख्या भी घटा दी है. ऐसे में स्पष्ट संकेत हैं कि मध्य-पूर्व पर अब अमेरिका और ईरान के बीच होने वाले संभावित युद्ध के बादल मंडराने लगे हैं. यह तनाव पूरे इलाके के लिए खतरनाक है. चूंकि ईरान तेल निर्यात का एक बड़ा केंद्र है और कई देशों की तेल आपूर्ति ईरान पर निर्भर है इसलिए यहां युद्ध छिड़ने से पूरे विश्व में तेल संकट छा सकता है. यही नहीं, यहां से होकर कई देशों का जलमार्ग गुजरता है, ऐसे में दुनिया के कई देशों में जरूरी आयात-निर्यात भी प्रभावित हो सकता है.

मोदी-शाह ने वसुंधरा राजे को धकेला हाशिए पर

Evden eve nakliyat şehirler arası nakliyat