अभेद कुटनीति व सटीक रणनीति रखने वाले अजीत डोभाल राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बने रहेंगे. मोदी सरकार ने उनका कार्यकाल अगले पांच सालों तक के लिए बढ़ाते हुए उन्हें कैबिनेट मंत्री का दर्जा भी दिया है. डोभाल भारतीय सेनाओं की पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान पर सर्जिकल व एयर स्ट्राइक के सफल रणनीतिकार व चीन से विवाद में अभेद कुटनीतिज्ञ रहे हैं. उन्हें भारत सरकार में एक कैबिनेट मंत्री को मिलने वाली तमाम सुविधाएं मिलती रहेंगी.
केंद्र में पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में दूसरी बार बनी सरकार ने यह निर्णय लिया है. मोदी सरकार ने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल का कार्यकाल आगे पांच साल तक बढ़ा दिया है. राष्ट्रीय सुरक्षा में उनके योगदान को देखते हुए केंद्र सरकार ने डोभाल को फिर से यह जिम्मेदारी दी गई है. बता दें कि भारतीय सेना के द्वारा की गई सर्जिकल स्ट्राइल और एयर स्ट्राइक की योजना का श्रेय एनएसए डोभाल को दिया जाता है. सितंबर 2018 में भी भारतीय सेना ने पाकिस्तानी सीमा में सर्जिकल स्ट्राइक की थी. इस सर्जिकल स्ट्राइक की योजना बनाने में भी डोभाल की भूमिका अहम बताई जाती है.
सोमवार को मोदी सरकार के कार्मिक मंत्रालय द्वारा जारी एक आदेश में यह जानकारी दी गई है. इस आदेश में बताया गया है कि कैबिनेट की नियुक्ति समिति ने एनएसए अजीत डोभाल को इस पद पर दोबारा नियुक्त किये जाने के संबंध में अपनी मंजूरी दे दी है. समिति के आदेशानुसार 31 मई 2019 से इस निर्णय को अमल में माना जाएगा और पीएम के कार्यकाल के साथ-साथ उनकी नियुक्ति की अवधि भी स्वत: ही खत्म हो जाएगी.
कार्मिक मंत्रालय की ओर से जारी इस आदेश में इस बात की भी जानकारी दी गई है कि अजीत डोभाल के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के पद पर नियुक्ति के दौरान उन्हें कैबिनेट मंत्री का रैंक भी दिया गया है. बता दें कि डोभाल को पहली बार मई 2014 में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बनाया गया था. उन्हें पिछली मोदी सरकार में एनएसए के साथ-साथ राज्य मंत्री का दर्जा भी प्राप्त था.
बता दें कि भारतीय सेना द्वारा पाकिस्तान में आतंकियों पर की गई सर्जिकल स्ट्राइल और एयर स्ट्राइक की योजना का श्रेय एनएसए डोभाल को ही दिया जाता है. साथ ही चीन और म्यांमार सीमा पर स्थित डोकलाम के विवाद को सुलझाने में भी डोभाल की अहम भूमिका रही है. अजीत डोभाल जनवरी 2005 में इंटेलिजेंस ब्यूरो प्रमुख के पद से रिटायर हुए थे.
भारतीय पुलिस सेवा के 1968 बैच के अधिकारी रहे अजीत डोभाल अपनी दिमागी रणनीति और शानदार कूटनीति के लिए जाने जाते हैं. साल 1999 में हुए कांधार विमान अपहरण मामले में अपहरणकर्ताओं के साथ डोभाल देश के मुख्य वार्ताकार रहे थे. उन्होंने अपनी सेवा के 33 साल एक खुफिया अधिकारी के तौर पर पूर्वोत्तर भारत, जम्मू कश्मीर और पंजाब में दिए हैं.
(लेटेस्ट अपडेट्स के लिए फ़ेसबुक, ट्वीटर और यूट्यूब पर पॉलिटॉक्स से जुड़ें)