भूखी शेरनी के सामने कौन बने ‘बलि का बकरा’, भवानीपुर में ममता के सामने BJP का ‘टाबर’ दांव

पश्चिम बंगाल की भवानीपुर सीट पर 30 सितंबर को उपचुनाव, ममता से बड़ी हार का डर, जमानत जब्त होने के डर से कतरा रहे भाजपा के दिग्गज, बीजेपी की ओर से हार का मुंह देख चुकी प्रियंका टिबरेवाल होंगी मैदान में, कांग्रेस नहीं उतारेगी ममता के खिलाफ प्रत्याशी तो लेफ्ट भी असमंजस में!

भूखी शेरनी के सामने कौन बने 'बलि का बकरा'
भूखी शेरनी के सामने कौन बने 'बलि का बकरा'

Politalks.news/WestBengal. पश्चिम बंगाल के 3 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव का एलान हो चुका है. भवानीपुर सीट से ममता दीदी का उतरना तय है इसको देखते हुए कांग्रेस एलान कर चुकी है कि इस सीट अपना प्रत्याशी नहीं उतारेगी तो वहीं लेफ्ट और अन्य दल अब तक किसी भी नतीजे पर नहीं पहुंचे हैं. तो वहीं बंगाल विधानसभा चुनाव से पहले हुंकार भरने वाली भाजपा भी थोड़ी दबी-दबी नजर आ रही है. नंदीग्राम से ममता बनर्जी को पटखनी देने वाले पार्टी नेता शुभेंदु अधिकारी ममता के खिलाफ एक बार फिर हूंकार भरने को तैयार थे लेकिन भाजपा आलाकमान ने उन्हें मना कर दिया. तो वहीं बीजेपी के कई दिग्गज नेता जमानत जब्त होने के डर से ही मना कर गए. ऐसे में विधानसभा चुनाव में एक बार पहले भी हार का मुंह देख चुकी प्रियंका टिबरेवाल को बीजेपी ने ममता के सामने उतारने का फैसला किया है.

भवानीपुर जीतना जरुरी है ममता के लिए
बंगाल की समसेरगंज, जंगीपुर और भवानीपुर में 30 सितंबर को उपचुनाव हैं. भवानीपुर से चुनाव लड़ रही ममता बनर्जी के लिए ये चुनाव बहुत ही महत्वपूर्ण है. क्योंकि अगर ममता को इस चुनाव भी में भी अगर हार मिलती है, “जो की दूर दूर तक संभव नहीं है” तो उस स्थिति में ममता बनर्जी को अपनी सीट छोड़नी होगी. आपको बता दें कि हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में ममता बनर्जी को नंदीग्राम सीट से हार का मुंह देखना पड़ा था. चुनावों से ठीक पहले TMC से बीजेपी में शामिल हुए शुभेंदु अधिकारी ने नंदीग्राम सीट से ममता दीदी का पूरा गेम बिगाड़ दिया. हालांकि ममता बनर्जी को शुभेंदु ने महज 1956 वोटों से हराया था. नंदीग्राम में मिली हार के बाद ममता को 6 महीने विधानसभा की सदस्यता ग्रहण करनी है.

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भाजपा के दिग्गजों को जमानत जब्त होने का डर
भवानीपुर सीट से उपचुनाव के लिए ममता बनर्जी ने ताल ठोक दी है. ममता बनर्जी के खिलाफ बीजेपी से शुभेंदु अधिकारी एक बार फिर अपनी किस्मत आजमाने को बेक़रार थे लेकिन भाजपा आलाकमान की दखलंदाजी ने उनका काम बिगाड़ दिया और उन्हें ममता के खिलाफ उतरने से मना कर दिया. हालांकि उपचुनाव में ममता के खिलाफ प्रत्याशी खड़ा करने के लिए बीजेपी ने अपने कई दिग्गज नेताओं से संपर्क किया लेकिन उन्होंने जमानत जब्त होने के डर से चुनाव लड़ने के लिए मना कर दिया. चुनाव से पूर्व बीजेपी में शामिल हुए अभिनेता मिथुन चक्रबर्ती से भी पार्टी कार्यकर्ताओं ने बात की लेकिन उन्होंने भी पूर्व की तरह ही चुनाव लड़ने से मना कर दिया. ऐसे में बीजेपी की ओर से विधानसभा चुनाव में एंटीली से एक बार हार का मुंह देख चुकी प्रियंका टिबरेवाल को मैदान में उतारने का मन बनाया है.

कौन हैं प्रियंका टिबरेवाल
अगस्त 2020 में BJP ने प्रियंका को भारतीय जनता युवा मोर्चा का प्रदेश उपाध्यक्ष बनाया. प्रियंका दिल्ली यूनिवर्सिटी से ग्रैजुएट हैं और चुनाव के बाद हुई हिंसा के मामलों में सक्रिय रूप से पार्टी का सहयोग कर रही हैं. सीनियर जर्नलिस्ट प्रभाकर मणि तिवारी कहते हैं कि, ‘ममता का जीतना तय है. वो कम से कम 50 हजार वोटों के मार्जिन से यह चुनाव जीतेंगी, इसलिए कोई बड़ा नेता अपना नाम खराब नहीं करना चाहता’.

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पार्टी के एक बड़े नेता के अनुसार भाजपा की ओर से भवानीपुर सीट के लिए प्रियंका का नाम तय हो चुका है, अब सिर्फ औपचारिकताएं बाकी हैं. प्रियंका भाजपा की पहली पसंद नहीं थीं, क्योंकि पार्टी बड़ा चेहरा उतारना चाहती थी ताकि इस चुनाव को नंदीग्राम जैसा रंग दिया जा सके, लेकिन सभी बड़े नेताओं ने ममता के खिलाफ उतरने से इनकार कर दिया.

कांग्रेस नहीं उतारेगी ममता के सामने प्रत्याशी
वहीं भवानीपुर सीट पर हने वाले विधानसभा उपचुनाव में कांग्रेस ने ये फैसला लिया है कि कांग्रेस ममता बनर्जी के खिलाफ कोई कैंडीडेट नहीं उतारेगी. विधानसभा चुनाव कांग्रेस और लेफ्ट ने गठबंधन में लड़ा था. वहीं लेफ्ट ने एडवोकेट श्रीजी बिस्वास को कैंडीडेट बनाने का निर्णय लिया है लेकिन इस नाम पर भी अभी असमंजस की स्थिति बनी हुई है. वहीं राजनीतिक हलकों में ये भी चर्चा है कि TMC, सिर्फ भवानीपुर ही नहीं, बल्कि समसेरगंज और जंगीपुर सीट पर होने वाले चुनाव में जीत दर्ज करेगी. आपको बता दें कि ममता बनर्जी बंगाल की ऐसी तीसरी मुख्यमंत्री है जो खुद चुनाव हार चुकी है. ममता से पहले साल 1967 में प्रफुल्ल चंद्र सेन और 2011 में बुद्धदेव भट्टाचार्य भी अपनी सीट नहीं बचा सके थे.

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