राज्यपाल ने लौटाया एडवोकेट वेलफेयर फंड बिल, वकीलों के विरोध का दिया हवाला, अब संशोधन की तैयारी

राजभवन ने लौटाया वकीलों से जुड़ा बिल, विधानसभा अध्यक्ष ने दी जानकारी, वकीलों के विरोध का हवाला देकर ने एडवोकेट वेलफेयर फंड बिल भेजा वापस, साथ ही दिए अहम सुझाव, अब संशोधन की तैयारी में राज्यसरकार, मेंबरशिप फीस और वकालत नामे के टिकट का पैसा बढ़ाने सहित अन्य मांगों को लेकर वकीलों ने जताया था विरोध

राज्यपाल ने एडवोकेट वेलफेयर फंड बिल भेजा वापस
राज्यपाल ने एडवोकेट वेलफेयर फंड बिल भेजा वापस

Politalks.News/Rajasthan. अपने दो साल का कार्यकाल पूरा होने के साथ ही राज्यपाल ने राज्य सरकार को जोर का झटका धीरे से दिया है. राज्यपाल कलराज मिश्र ने एडवोकेट वेलफेयर अमेंडमेंट बिल में बदलाव करने के लिए सरकार को लौटा दिया है. राज्यपाल ने बार काउंसिल और वकीलों के संगठन के विरोध का हवाला दिया है. बिल में सब्सक्रिप्शन फीस 17500 से एक लाख करने और वकालत नामे की टिकट का पैसा बढ़ाने का सबसे ज्यादा विरोध हो रहा है. राज्यपाल मिश्र ने वकीलों के संगठनों से मिले ज्ञापनों और उनकी मांग के आधार पर राज्य सरकार को इसके प्रावधानों में बदलाव करने का सुझाव दिया है. राज्यपाल के बिल वापस लौटाने की सूचना गुरुवार को विधानसभा में दी गई. स्पीकर सीपी जोशी ने बिल वापस लौटाने के साथ राज्यपाल का मैसेज भी पढ़कर सुनाया, जिसमें राज्यपाल ने बदलावों का सुझाव दिया है.

मेंबरशिप फीस और वकालत नामे की टिकट का पैसा बढ़ाने का विरोध
7 मार्च 2020 को राजस्थान विधानसभा से एडवोकेट वेलफेयर फंड अमेंडमेंट बिल पारित हुआ था. 24 मार्च 2020 को मंजूरी के लिए राज्यपाल को भेजा गया. इस बिल में एडवोकेट वेलफेयर फंड में वकीलों से लिए जाने वाले पैसे को बढ़ाया गया था। लाइफटाइम मेंबरशिप को 17500 से बढ़ाकर 1 लाख किया गया था. वकालतनामे पर लगने वाली टिकट का पैसा बढ़ाकर जिला कोर्ट में 100 रुपए और हाईकोर्ट के लिए 200 रुपए करने का प्रावधान किया गया था. लाइफटाइम मेंबरशिप और वकालतनामे की टिकट का पैसा बढ़ाने पर वकील विरोध कर रहे थे. वकीलों ने राज्यपाल और मुख्यमंत्री को ज्ञापन देकर इन दोनों प्रावधानों को वापस लेने की मांग की थी.​

अब गहलोत सरकार करेगी संशोधन
प्रदेश के वकीलों को मेडिकल सुविधाओं और रिटायरमेंट पर मिलने वाली तय रकम के लिए एडवोकेट वेलफेयर फंड बना हुआ है. इसके लिए इस फंड में वकीलों से पैसा लिया जाता है. एडवोकेट वेलफेयर फंड में लाइफटाइम मेंबरशिप और वकालतनामे पर लगने वाली टिकट के पैसे बढ़ाने पर वकीलों के विरोध के बाद अब इस बिल में संशोधन तय माना जा रहा है. अब गहलोत सरकार इसमें संशोधन करने की तैयारी में है.

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फीस कम करने और फीस नहीं बढ़ाने पर बन चुकी सहमति
सूत्रों की माने तो बार काउंसिल ऑफ राजस्थान सहित वकीलों के कई संगठनों की मांग के बाद लाइफटाइम मेंबरशिप को 1 लाख से घटाकर 50 हजार करने और वकालतनामे पर लगने वाली टिकट पर जिला अदालतों और हाईकोर्ट में एक समान 100 रुपए करने पर सहमति बन चुकी है. वकीलों के संगठन इस मामले में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और राज्यपाल कलराज मिश्र से मिले थे. राज्यपाल के बिल लौटाने के बाद इसे अब सरकार के पास भेजा जाएगा. अब गहलोत सरकार संशोधन के साथ बिल लाएगी.

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कानून में ये थे प्रावधान
सरकार की ओर से इस कानून में कई प्रावधान किए गए थे. प्रदेश के 80 हजार वकीलों को मेडिक्लेम व रिटायरमेंट पर मिलने वाले लाभों सहित अन्य सुविधाओं को बढ़ाया गया था. बार काउंसिल ऑफ राजस्थान (बीसीआर) के वैलफेयर फंड से 40 साल तक जुड़े रहने वाले वकील को रिटायरमेंट पर 15 लाख रु. का भुगतान का प्रावधान था. इसके अलावा 5 साल की सदस्यता वाले वकील को 50 हजार, 15 साल पर 1,98,000 रु., 30 साल पर 7,33,000 रु. और 35 साल की सदस्यता वाले वकील को 10,83,000 रुपए देना प्रस्तावित थी. इसको लेकर वकीलों में आक्रोश था. इसके अलावा वकीलों को बीमारियों के दावे पर अधिकतम तीन लाख रुपए और आकस्मिक मृत्यु पर 7 लाख रु. दिए जाने थे.

 

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