राष्ट्रीय स्तर पर कोई भी बड़ा घटनाक्रम होता है, तो उसके आधार पर फिल्म बनाने की तैयारी कई लोग शुरू कर देते हैं और टाइटल रजिस्टर्ड करवाने वालों की कतार लग जाती है. जब सर्जिकल स्ट्राइक हुई थी, तो उसके आधार पर जल्दी ही उरी: द सर्जिकल स्ट्राइक शीर्षक से फिल्म बन गई, जो हिट रही. इससे पहले भी देशभक्ति की भावनाओं को बॉक्स ऑफिस पर भुनाने के लिए फिल्में बनती रही हैं.
इनमें मनोज कुमार की फिल्म उपकार प्रमुख है, जो 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के बाद बनी थी, इसमें लाल बहादुर शास्त्री के नारे जय जवान, जय किसान को साकार करने का प्रयास किया गया था. इससे पहले भारत-चीन युद्ध की पृष्ठभूमि पर चेतन आनंद ने हकीकत फिल्म बनाई थी, जो आज भी देखने पर आंखें भिगो देती है. उसके गाने सदाबहार हैं. देवानंद की फिल्म प्रेम पुजारी भी युद्ध की पृष्ठभूमि पर बनी थी. हिंदुस्तान की कसम, बॉर्डर और अन्य फिल्में भी सैन्य घटनाक्रमों के आधार पर बनाई गई हैं.
राजनीतिक घटनाक्रमों पर भी फिल्में बनाने का चलन है. लोकतंत्र की राजनीति पर कटाक्ष करते हुए आज का एमएलए नाम की फिल्म बनी थी, जिसमें राजेश खन्ना ने विधायक राम अवतार की भूमिका निभाई थी. उसके साथ ही अमिताभ बच्चन अभिनीत इन्कलाब फिल्म भी हिट हुई थी. गुलजार की फिल्म आंधी में प्रमुख किरदार इंदिरा गांधी से प्रेरित बताए जाने पर पाबंदी भी लगी थी. अब टीवी के निजी चैनलों की बहुतायत होने के बाद राजनीति पर आधारित धारावाहिक भी बनने लगे हैं.
फरवरी में पुलवामा पर आतंकी हमला हुआ था और उसके बाद पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में एयरस्ट्राइक की गई थी. इस घटनाक्रम पर भी फिल्में और टीवी कार्यक्रम बनाने की तैयारी शुरू हो गई हैं. सूत्रों के मुताबिक इंडियन मोशन पिक्चर्स प्रोड्यूसर्स एसोसिएशन (आईएफटीपीए) और इंडियन फिल्म टीवी प्रोड्यूसर्स काउंसिल (आईएफटीपीसी) के दफ्तरों में टाइटल रजिस्ट्रेशन के आवेदनों का ढेर लग गया है. आवेदनों में जो शीर्षक मांगे गए हैं, उनमें प्रमुख हैं पुलवामाः द डैडली अटैक, सर्जिकल स्ट्राइक 2.0, बालाकोट और पुलवामा अटैक. हालांकि इस तरह के शीर्षक देने की प्रक्रिया फिलहाल बंद है.
एक फिल्म निर्माता ने विंग कमांडर अभिनंदन वर्धमान पर फिल्म बनाने की अनुमति मांगी है, जो पाकिस्तान की जमीन पर हिरासत में लिए जाने के 60 घंटे बाद रिहा कर दिए गए थे और भारत में उनका नायक की तरह स्वागत हुआ था. इसी तरह धारा 370 हटने के बाद की परिस्थितियों पर फिल्म बनाने के लिए निर्माताओं की कतार लग गई है.
आर्टिकल 15 नामक फिल्म सफल रहने के बाद उससे प्रेरणा लेकर आर्टिकल 370 और आर्टिकल 35ए शीर्षक से फिल्म बनाने के अनुमति मांगी गई है. इससे संबंधित शीर्षक के लिए करीब 25-30 आवेदन दोनों संस्थाओं के पास पहुंच गए हैं. इनमें से कुछ शीर्षक हैं, कश्मीर में तिरंगा, कश्मीर हमारा है, धारा 370 और धारा 35ए. मैदान में कई प्रमुख फिल्म निर्माण कंपनियां आ गई हैं. इनमें से कुछ कंपनियां जल्दी से जल्दी फिल्म बनाकर रिलीज करने की तैयारी में हैं.
पीएम नरेन्द्र मोदी फिल्म के निर्माता आनंद पुरोहित ने बताया कि आर्टिकल 370 और आर्टिकल 35ए शीर्षक वह एक माह पहले ही रजिस्टर्ड करा चुके हैं. उन्होंने कहा कि पहले वह इस शीर्षक से फिल्म में यह दिखाना चाहते थे कि देश के एक राज्य में इस धारा के कारण क्या परिस्थितियां बनी हुई हैं. लेकिन अब ये धाराएं हटने के बाद उन्हें फिल्म का क्लाइमेक्स फिल्माना आसान हो जाएगा. पीएम नरेन्द्र मोदी फिल्म में नरेन्द्र मोदी की भूमिका विवेक ओबेराय ने निभाई थी.