प्रधानमंत्री मोदी के आसुंओं में छिपा कांग्रेस से गुलाम नबी की ‘आजादी’ का राज!

कांग्रेस के तीन-तीन प्रधानमंत्रियों के साथ काम करने वाले दिग्गज नेता इन दिनों पार्टी में चल रहे हैं हाशिए पर, कश्मीर घाटी के बड़े मुस्लिम चेहरों में शुमार गुलाम नबी आजाद भाजपा के लिए कोहिनूर हीरा यानि साबित हो सकते हैं कश्मीर में बडा मुस्लिम वोट बैंक, अगर ऐसा हुआ तो पीएम मोदी की होगी ऐतिहासिक कूटनीतिक जीत, और मिट जाएगा ध्रुवीकरण की राजनीति करने का आरोप भी

पीएम मोदी के आसुंओं में छिपा गुलाम नबी की 'आजादी' का राज!
पीएम मोदी के आसुंओं में छिपा गुलाम नबी की 'आजादी' का राज!

Politalks.News/NewDelhi. कांग्रेस के वरिष्ठ दिग्गज नेता गुलाम नबी आजाद का बीते मंगलवार को संसद के उच्च सदन यानी राज्यसभा में सांसद के तौर पर सदन में अंतिम भाषण था. राज्यसभा में कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद की विदाई भाषण के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भावुक हो गए और उनके आंसू छलक आए. यही नहीं पीएम मोदी ने तो भावुकता में इतना भी कह दिया कि आप निवर्तमान तो हो रहे हैं लेकिन मैं आपको जाने नहीं दूंगा और मेरे घर के द्वार आपके लिए सदा खुले हैं. प्रधानमंत्री मोदी जब भी कुछ कहते हैं, तो उसके राजनीतिक मायने होते हैं. कल भी मोदी ने जो भी कुछ राज्यसभा में कहा, उसके कई राजनीतिक मायने हैं. राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि पीएम मोदी के आंसू यूं नहीं बहे, इसमें बहुत बड़ा सियासी संदेश छिपा है. इस पर चर्चा करने से पहले हम गुलामनबी आजाद के बारे में जान लेते हैं.

कौन हैं गुलाम नबी आजाद

स्वर्गीय इंदिरा गांधी जब देश की प्रधानमंत्री थीं, उस समय गुलाम नबी आजाद संजय गांधी के संपर्क में आए थे. फिर इंदिरा गांधी के समय राजनीति में आए, गुलाम नबी आजाद 30 साल के राजनीतिक सफर के बाद कांग्रेस की और से देश के सबसे बडा मुस्लिम चेहरा बने. यही नहीं इंदिरा गांधी, राजीव गांधी और मनमोहन सिंह के प्रधानमंत्री कार्यकाल में कांग्रेस की राजनीति को संभालने वाले गुलाम नबी आजाद ही कांग्रेस से अकेले ऐसे नेता रहे जिन्होंने भाजपा की नीतियों को देश के लिए खतरा बताया. गुलाम नबी इसलिए भी महत्वपूर्ण नेता के तौर पर जानें जाते हैं, क्योंकि वो जम्मू कश्मीर से आते हैं और जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री भी रहे हैं.

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अब समझिए आजाद को लेकर कांग्रेस के खेमे में चल क्या रहा है

आपको बता दें, गुलाम नबी आजाद कांग्रेस में अध्यक्ष पद पर चुनाव की मांग उठाने वाले 23 नेताओं में शामिल थे, जिन्होंने गांधी परिवार पर निशाना भी साधा था. यही नहीं इस दौरान राहुल गांधी ने गुलाम नबी पर भाजपा से सांठ-गांठ का आरोप भी लगा दिया था. इसके बाद आजाद ने कांग्रेस से इस्तीफा देने की पेशकश भी कर दी थी. हालांकि मामला भले ही ठंडे बस्ते में चला गया, लेकिन शांत नहीं हुआ है.

वहीं मंगलवार को राज्यसभा में अंतिम बार बोलते हुए गुलाम नबी आजाद ने एक बार भी राहुल गांधी का नाम नहीं लिया. वहीं सोनिया गांधी के नाम का भी एक बार ही जिक्र किया. दूसरी तरफ कांग्रेस की तरफ से गुलाम नबी के कार्यकाल को लेकर कांग्रेस में से किसी नेता ने कोई खास तवज्जो नहीं दी. बता दें, आगामी 15 फरवरी को आजाद का राज्यसभा का कार्यकाल समाप्त हो रहा है, लेकिन कांग्रेस ने गुलाम नबी को फिर से राज्यसभा के लिए प्रस्तावित नहीं किया है. राजनीतिक हल्कों में चर्चा यह भी है कि आजाद इससे बहुत नाखुश हैं. ऐसे में पीएम मोदी की आंख के ये आंसू गुलाम नबी के दिल में लगी आग में घी का काम करेंगे.

भाजपा को गुलाम नबी आजाद की क्या जरूरत

2019 में मोदी पार्ट-2 सरकार ने बडा निर्णय लेते हुए जम्मू कश्मीर से धारा 370 को हटा दिया था. जिसके बाद से कश्मीर वैली के लोगों में बीजेपी के प्रति गहरी नाराजगी है. इस दौरान कश्मीर के लोगों को कई महिनों तक कर्फ्यू में रहना पडा. अभी भी वहां बडी संख्या में सेना बल मौजूद है. इधर अंतर्राष्ट्रीय दबाव भी भारत पर आ रहा है. इसी बीच केंद्र सरकार को जम्मू कश्मीर में विधानसभा चुनाव भी कराने हैं. इन सब हालातों के बीच भाजपा के पास कश्मीर घाटी में कोई बडा ऐसा चेहरा नहीं है, जो भाजपा के विचार को वहां स्थापित कर सके. ऐसे में कश्मीर घाटी के बड़े मुस्लिम चेहरों में शुमार गुलाम नबी आजाद भाजपा के लिए कोहिनूर हीरा यानि कश्मीर में बडा वोट बैंक साबित हो सकते हैं.

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क्या है जम्मू कश्मीर की सत्ता का समीकरण

आपको बता दें, जम्मू और कश्मीर के वोट हमेशा बंटे रहते हैं. जम्म्मू और कश्मीर की सीटें मिलाकर ही वहां की सरकार बनती है. अभी स्थिति ऐसी है कि जम्मू क्षेत्र में तो भाजपा का पाला मजबूत माना जा रहा है लेकिन कश्मीर क्षेत्र में नहीं. अगर वहां भाजपा को अपने दम पर सरकार बनानी है तो कश्मीर क्षेत्र की सीटें भी जीतनी ही होंगी. जानकारों की मानें तो इसके लिए भाजपा को कोई बडा ऐसा चेहरा कश्मीर में नहीं मिल पा रहा है, जो कश्मीर की जनता के बीच जाकर भाजपा के लिए मानसिकता तैयार कर सके. इन हालातों को देखते हुए राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि कांग्रेस में हाशिए पर चल रहे गुलाम नबी आजाद को पीएम मोदी ने अपने पाले में लाने का प्रयास किया है.

गुलाम नबी आजाद भाजपा से जुडे तो क्या होगा

अव्वल में तो ऐसा होने के सिर्फ कयास लगाए जा रहे हैं, लेकिन अगर वाकई गुलाम नबी कांग्रेसी विचारधारा से आजाद होकर भाजपा में आ जाते हैं तो यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ऐतिहासिक कूटनीतिक जीत होगी. अगर ऐसा होता है तो हिंदुस्तान की राजनीति में बहुत बडा बदलाव आ जाएगा. कांग्रेस का तो बहुत बड़ा नुकसान होगा, वो तो एक पहलू है ही, दूसरी तरफ भाजपा को एक कददावर मुस्लिम नेता मिल जाएगा, वो भी ऐसा जो जम्मू कश्मीर से जुडा हुआ, जिसकी इस समय वहां पूर्ण बहुमत से बीजेपी की सरकार बनाने के लिए सख्त आवश्यकता है. इसके साथ ही अगर गुलाम नबी आजाद भाजपा में जाते हैं तो भाजपा की नई राजनीतिक पारी की शुरूआत होगी और आजाद से जुडे देशभर के अन्य मुस्लिम नेता भी भाजपा की ओर रूख कर सकते हैं.

भाजपा पर लगा कांग्रेस का आरोप भी औंधे मुंह गिर जाएगा

कांग्रेस का शुरू से आरोप रहा है कि भाजपा ध्रुवीकरण की राजनीति करती है. ध्रुवीकरण का अर्थ है कि हिंदू – मुस्लिम को बांटकर राजनीति करना. लेकिन अगर कांग्रेस का ही सबसे बडा मुस्लिम नेता भाजपा में आ गया तो फिर कांग्रेस के पास कहने के लिए कुछ नहीं होगा, बल्कि जो भी कुछ कहने को होगा, वो भाजपा के पास होगा. भाजपा के पास देश का एक कददावर मुस्लिम नेता होगा, इसके साथ ही वो देश ही नहीं बल्कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर यह बात कहेगा कि भाजपा सरकारों से मुसलमानों को कोई खतरा नहीं है.

भाजपा को मिलेगा कई दशकों तक लाभ

अगर कांग्रेस का सबसे बड़ा मुस्लिम चेहरा भगवा धारण करता है तो इसका लाभ भाजपा को कई दशकों तक मिलेगा. फिर भाजपा गुलाम नबी के चेहरे को लेकर देशभर के मुस्लिमों के बीच आसानी से जा पाएगी. अभी तक जितने भी मुस्लिम लीडर भाजपा के पास हैं, उनसे मुस्लिम समुदाय का बडा वर्ग जुड ही नहीं पा रहा है. लेकिन गुलाम नबी आजाद के संपर्क में देश भर में कई ऐसे मुस्लिम नेता हैं, जो उनके कहने से भाजपा में आ सकते हैं.

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मंगलवार को ऐसा क्या हुआ राज्यसभा में

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लगातार दूसरे दिन मंगलवार को राज्यसभा में अपना सम्बोधन दिया. दरअसल, मंगलवार को जम्मू-कश्मीर के चार सांसदों को राज्यसभा से विदाई दी गई. पीएम मोदी ने एक-एक करके गुलाम नबी आजाद, शमशेर सिंह, मीर मोहम्मद फयाज और नजीर अहमद का नाम लिया और सभी को शुभकामनाएं दीं. इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी 16 मिनट तक बोले, जिनमें पूरे 12 मिनट सिर्फ गुलाम नबी आजाद के नाम रहे. आजाद का नाम लेते-लेते पीएम मोदी इतने भावुक हो गए कि रो दिए और अंगुलियों की पोर से अपने आंसू पोंछे, फिर पानी पिया…और करीब 6 मिनट तक सिसकियां लेते-लेते आजाद से अपने संबंधों को याद करते रहे.

अब निर्णय आजाद पर
प्रधानमंत्री मोदी ने भावुक होने के साथ यह भी कह दिया कि मैं आपको जाने नहीं दूंगा. अब अगला निर्णय गुलाम नबी आजाद को करना है, वैसे भी गांधी परिवार ने आजाद की कांग्रेस से राज्यसभा की अगली पारी पर रोक लगा दी है. ,

आजाद की जिंदगी का सबसे महत्वूपर्ण निर्णय होगा

अगर गुलाम नबी आजाद भाजपा से जुड़ने का कोई निर्णय कर लेते हैं तो यह उनके राजनीतिक जीवन का सबसे महत्वपूर्ण निर्णय होगा. गुलाम नबी कांग्रेस के सबसे बुरे दौर में ना सिर्फ जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री बन सकते हैं बल्कि खुद की राजनीति को भी सुरक्षित कर सकते हैं. हालांकि यह कहना भी जल्दबाजी होगी कि गुलाम नबी आजाद को इससे केवल लाभ ही होगा.

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